पुलिस प्रशासन मौन, मुंगेली शहर के चौक-चौराहों पर केक काटते हुए कानून का हो रहा उल्लंघन

Jagdish Dewangan
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मुंगेली —शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। विगत कुछ दिनों से शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर रात के समय खुलेआम सड़क पर भीड़ इकट्ठा कर केक काटने और जमकर हंगामा करने जैसी गतिविधियाँ हो रही हैं। युवाओं की टोलियां सड़क को पार्टी स्थल बनाकर यातायात अवरुद्ध कर रहे हैं, जिससे आम जनता परेशान हो रही है। हैरानी की बात यह है कि यह सब पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है और प्रशासन मौन धारण किए हुए दिखाई देता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जन्मदिन या अन्य निजी कार्यक्रमों को मनाने का अधिकार सबको है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह नियमों का उल्लंघन करना न केवल गलत है बल्कि यह सड़क सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए भी खतरा बन चुका है। चौक-चौराहों पर रात देर तक तेज आवाज में डीजे बजाना, पटाखे फोड़ना और शराब के नशे में हंगामा करना आम बात हो गई है। इसके चलते कई बार दुर्घटनाएं भी टल चुकी हैं। नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब छोटे-छोटे मामलों में आम जनता को तुरंत चालानी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, तब इन खुलेआम हो रहे नियम उल्लंघनों पर पुलिस की चुप्पी समझ से परे है। उनका आरोप है कि प्रशासन का यह रवैया आम नागरिकों में कानून के प्रति सम्मान को कमजोर कर रहा है। शहर के प्रमुख पुराना बस स्टैंड, आनंद चार्ट पुल, नया बस स्टैंड, दाउपारा, पड़ाव चौक जैसे व्यस्ततम स्थान इन आयोजनों के केंद्र बन गए हैं। इन जगहों पर देर रात तक भीड़ उमड़ने और हंगामा करने से न केवल यातायात प्रभावित होता है बल्कि क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को नींद और शांति से भी वंचित होना पड़ रहा है।
कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय दंड संहिता और मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर इस तरह से भीड़ इकट्ठा करना, ट्रैफिक रोकना और ध्वनि प्रदूषण फैलाना पूरी तरह से अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन, जब प्रशासन ही इस पर मौन साधे रहे तो ऐसे कृत्यों को बढ़ावा मिलता है।
इस पूरे मामले को लेकर नागरिकों ने जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक से शीघ्र हस्तक्षेप करने, सख्त कार्रवाई करने और शहर की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस प्रशासन इस पर कब जागता है और क्या मुंगेली शहर के चौक-चौराहे फिर से अनुशासन और शांति का प्रतीक बन पाएंगे या नहीं।

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