वेटरनरी कॉलेज में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: वन्य जीवों की बीमारियों और निगरानी तकनीकों पर मंथन

Babita Sharma
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रायपुर, 25 अप्रैल 2025

छत्तीसगढ़ के वेटरनरी कॉलेज स्थित स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेंसिक हेल्थ में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस सम्मेलन में भारत समेत कीनिया, रूस और अन्य देशों के वन्य प्राणी विशेषज्ञ शामिल हुए हैं, जो जंगली जानवरों की बीमारियों और उनके संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

केनाइन डिस्टेंपर बनी चिंता का विषय

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डॉ. अनुपम शाह और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य फोकस ‘केनाइन डिस्टेंपर’ नामक बीमारी पर है, जो वन्य प्राणियों विशेष रूप से बाघों और तेंदुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इस बीमारी की रोकथाम और समय पर पहचान के लिए एक विशेष निगरानी प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है।

चीता पुनर्वास और वाइल्डलाइफ कॉरिडोर की योजना

मध्य प्रदेश के चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट शुभरंजन सेन ने चीता पुनर्वास योजना की जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में सफलता पूर्वक बसाया गया है। आगे चलकर इन्हें गांधी सागर और नौरादेही टाइगर रिजर्व में भी स्थानांतरित किया जाएगा।

नौरादेही में देश का पहला वाइल्डलाइफ कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, जो विभिन्न टाइगर रिजर्वों को जोड़कर जंगली जानवरों को एक सुरक्षित और विस्तृत निवास क्षेत्र प्रदान करेगा।

बाघ और चीता एक साथ: भविष्य की दिशा

शुभरंजन सेन ने यह भी बताया कि भविष्य में बाघ और चीता को एक ही जंगल में रखने की योजना पर काम किया जा रहा है। ऐतिहासिक रूप से यह देखा गया है कि शेर, चीता और तेंदुआ एक ही पारिस्थितिकी तंत्र में सह-अस्तित्व में रहे हैं, और इसी मॉडल को फिर से जीवित करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।

वैश्विक विशेषज्ञों की भागीदारी

सम्मेलन में कीनिया से डॉ. आइजक, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से डॉ. क्रिल और डॉ. निकीटन जैसे दिग्गज विशेषज्ञ भी पहुंचे हैं। इन सभी का मत है कि भारत वन्यजीवों, पालतू जानवरों और मानव स्वास्थ्य के त्रिकोण को एक साथ जोड़ने की दिशा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग से खुले नए रास्ते

यह सम्मेलन न केवल ज्ञान और तकनीकी अनुभव साझा करने का मंच बना है, बल्कि इसके ज़रिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से वन्यजीव संरक्षण की दिशा में नए रास्ते भी खुल रहे हैं। जंगली जानवरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य अब वैश्विक एजेंडा का हिस्सा बन चुके हैं, और भारत इसमें एक अहम भूमिका निभा रहा है।


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ब्यूरो चीफ - मध्यप्रदेश