बिलासपुर GGU में नमाज विवाद गहराया: रजिस्ट्रार ऑफिस में हनुमान चालीसा पाठ, 12 अधिकारी हटे, NSS यूनिट खत्म; 159 छात्रों से आज होगी पूछताछ

राजेन्द्र देवांगन
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बिलासपुर | 17 अप्रैल 2025

बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (GGU) में आयोजित एक NSS कैंप विवादों में आ गया है। आरोप है कि कैंप के दौरान कुछ छात्रों को जबरन नमाज में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले ने तूल पकड़ा और परिसर में तनाव का माहौल बन गया।

प्रदर्शन और हनुमान चालीसा पाठ

विवाद सामने आने के बाद ABVP और अन्य हिंदू संगठनों के छात्र बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय पहुंचे। छात्रों ने रजिस्ट्रार कार्यालय में घंटों धरना दिया और विरोध स्वरूप हनुमान चालीसा का पाठ किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि धर्म के मामलों में किसी पर दबाव डालना न केवल गलत है, बल्कि यह छात्र अधिकारों का भी उल्लंघन है।

कुलपति से की गई कार्रवाई की मांग

छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की कि मामले में शामिल सभी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और कुलपति इस घटना के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। प्रदर्शन के दौरान ‘सनातन धर्म का अपमान बंद करो’ जैसे नारे लगे और यूनिवर्सिटी में तनाव की स्थिति बन गई।

NSS इकाई भंग, 12 अधिकारी हटाए गए

लगातार बढ़ते दबाव के बाद कुलपति ने छात्रों से मुलाकात की और तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने NSS की मौजूदा इकाई को भंग करते हुए 12 कार्यक्रम समन्वयकों को उनके पद से हटा दिया। साथ ही मामले की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की गई है, जो 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपेगी।

छात्रों के बयान दर्ज होंगे

कमेटी द्वारा कैंप में भाग लेने वाले सभी 159 छात्रों से बयान लिए जा रहे हैं। जांच में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नए समन्वयक नियुक्त किए गए हैं। हालांकि छात्र संगठनों का आरोप है कि कुछ छात्रों पर बयान न देने का दबाव बनाया जा रहा है।

प्रशासन के खिलाफ नाराज़गी

प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने कुलपति को हटाने की मांग की और ‘GGU नहीं बनेगा JNU’ जैसे नारे लगाए। कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की झड़प की भी सूचना है। प्रशासन ने हालात को काबू में रखने के लिए परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया है।

अब आगे क्या?

जांच रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय आगे की कार्रवाई करेगा। यह मामला अब सिर्फ धार्मिक भावना से जुड़ा नहीं रहा, बल्कि संस्थागत जवाबदेही और छात्र अधिकारों के सवाल भी सामने खड़े कर रहा है।

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