पर्यटकों के लिए बनाया गया बिलासा ताल मेंटेनेंस के अभाव में हुआ बदहाल – बिलासपुर के पिकनिक स्पॉट

राजेन्द्र देवांगन
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बिलासपुर – शहर के समीप बना बिलासा ताल, जो एक समय पर पर्यटकों का पसंदीदा स्थल हुआ करता था, आज बदइंतजामी और लापरवाही का शिकार है। वन विभाग की अनदेखी ने इसे बदहाल बना दिया है। बिलासा ताल, जो 2009 में जिला प्रशासन की पहल पर अस्तित्व में आया, वन विभाग को इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शुरुआत में कम पर्यटक यहां पहुंचते थे, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई।

मेंटेनेंस के अभाव में बिलासा ताल बदहाल

हालांकि, अब स्थिति बिल्कुल उलट है। वन विभाग पर्यटकों से प्रवेश शुल्क तो वसूल रहा है, लेकिन सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है।यहां की अव्यवस्था को देखकर हर पर्यटक निराश हो जाता है। पार्क में झूले जर्जर हो चुके हैं, बैठने के लिए टूटी कुर्सियां हैं, और सफाई के नाम पर जगह-जगह गंदगी बिखरी पड़ी है। डस्टबिन भी खराब हालत में हैं, जो सफाई व्यवस्था की पोल खोलते हैं। तालाब के भीतर लकड़ी का ब्रिज टूटा पड़ा है, जिससे पर्यटकों की आवाजाही बाधित है। वहीं, तालाब में वोटिंग जैसी सुविधाएं भी बंद कर दी गई हैं। फर्श के पत्थर उखड़े हुए हैं, मूर्तियों के हिस्से गायब हैं, और कई जगह लाइट्स काम नहीं कर रहीं। रात के समय यहां अंधेरा पसरा रहता है।

आमदनी से दोगुना भुगतान पर हो रहा खर्च

छोटे-बड़े 14 पैगोड़े बनाए गए, जिससे लोगों को बैठने की सुविधा मिल सके। कुछ-कुछ दूरी पर सीमेंट के चेयर लगाए गए। चारों ओर खूबसूरत पौधे लगाए गए। झरने और फाउंटेन लगाए गए। सभी तरफ खूबसूरत लाइट लगाकर रोशनी की गई। कैफेटेरिया और चार छोटे स्टॉल भी बनाए गए थे  कैफेटेरिया में लगा ताला बिलासा ताल आने वालों के खान-पान के लिए कैफेटेरिया बनाया गया है। कैफेटेरिया संचालन के लिए एक ने किराए पर लिया था पर बाद में उसने बंद कर दिया। वर्तमान में पांच स्टालों में से एक ही चालू हैं। वे भी जैसे-तैसे संचालित हो रहे हैं।

तालाब के बीच में लकड़ी का पुल बनाया गया था।

चूंकि पानी के अंदर भी लकड़ी की बल्लियों के सहारे ही यह पुल टिका हुआ है इसलिए इसका मेंटेनेंस जरूरी होता है। पुल की लकड़ियों को दीमक चट कर रहे हैं। दो-तीन खंभे तो टूटकर पानी में समा चुके हैं। उन स्थानों पर पुल उखाड़ गया है।

कैफेटेरिया में लगा ताला

ताल के 14 पैगोड़ों में से सिर्फ तीन ही सही सलामत हैं। यहां बैठने लायक स्थिति है। चूंकि ये कांक्रीट के हैं इसलिए इनकी छत सही सलामत है, लेकिन नीचे का बेस हिल गया है। उसमें भी दरारें पड़ गई हैं। जिन पैगोड़ों में फाइवर की सीट लगी हुई थी वह तो टूट चुकी है। उसे सुधारने जैसी भी स्थिति नहीं बची है। दो-तीन पैगोड़े तो पूरी तरह टूट गए हैं।

टूट-फूट गए डायनासोर के मॉडल

बिलासा ताल में वन विभाग ने डायनासोर के 6 मॉडल बनवाए थे। इसमें एक गर्दन के पास से टूटकर गिर गया है। बाकी भी जर्जर हालत में हैं, किसी की गर्दन में तो किसी के हाथ-पैर में दरार है। इसको तैयार करने में जो मटेरियल इस्तेमाल किया गया है वह अत्यंत घटिया दिखाई दे रहा है। कुछ मॉडल पहले ही टूट चुके हैं। तालाब के साथ-साथ पाथवे पर फाउंटेन और झरने बनाए गए थे। वे भी टूट फूट गए हैं। पाथवे में लगाए गए पत्थर भी टूट गए हैं। फाउंटेन और झरने बंद पड़े हैं। झरने पर कल-कल बहता पानी लोगों को काफी आकर्षित करता था। यह भी बंद पड़ा है।

 मरम्मत के अभाव में बदहाली के आंसू रो रहा बिलासा ताल गार्डन

बिलासा ताल मे शौचालय का बुरा हाल

आमदनी से दोगुना भुगतान पर हो रहा खर्च बिलासा ताल की हालात खराब है। हर महीने बिजली, लेबर पेमेंट इत्यादि पर डेढ़ से दो लाख रुपए का खर्च होता है। जबकि गेट मनी और साइकिल स्टैंड से हर माह मात्र 60 से 65 हजार रुपए ही आमदनी होती है। इस राशि से लेबरों का पेमेंट भी नहीं हो पाता है, इस कारण मेंटेनेंस भी नहीं हो पाता। वन विभाग द्वारा प्रवेश शुल्क बढ़ाने के बावजूद सुविधाओं का अभाव लोगों की नाराजगी बढ़ा रहा है। वन विभाग की यह लापरवाही न केवल पर्यटकों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है, बल्कि इस खूबसूरत स्थल की साख को भी नुकसान पहुंचा रही है।

मेंटेनेंस के अभाव में हुआ बदहाल – बिलासपुर के पिकनिक स्पॉट


बिलासा ताल की यह स्थिति केवल प्रशासन की उदासीनता का परिणाम है। यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हो सकता था, लेकिन रखरखाव की कमी ने इसे बदहाली में धकेल दिया है।

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