ओडिशा के तट पर कछुओं का अद्भुत नजारा- 7 लाख से अधिक संख्या में पहुंचे कछुए,

राजेन्द्र देवांगन
3 Min Read

ओडिशा के समुद्री किनारे पर इस बार एक ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जिसने सबको हैरान कर दिया. यहाँ ओलिव रिडले कछुओं का मेला लगा, और उन्होंने लाखों अंडे देकर एक नया रिकॉर्ड बना दिया. गंजम जिले के रुशिकुल्या रॉकरी में, इस बार 6 लाख 41 हजार से भी ज्यादा कछुओं ने अंडे दिए, जो पिछले साल के रिकॉर्ड को भी तोड़ गया.

लाख की संख्या में पहुंचे कछुए, देखें प्रकृति का अद्भुत नजारा

यह खबर सुनकर वन विभाग के अधिकारी भी खुशी से झूम उठे. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रेम कुमार झा ने बताया कि अभी तो यह शुरुआत है, और मार्च के पहले हफ्ते तक कछुओं की संख्या 7 लाख तक पहुंच सकती है. उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छी खबर है, और हम उम्मीद कर रहे हैं कि कछुओं की संख्या और बढ़ेगी.”

देश के इस Beach पर लगा कछुओं का मेला

सबसे छोटी प्रजाति ओलिव रिडले कछुए:
ओलिव रिडले कछुए समुद्री कछुओं की सबसे छोटी प्रजाति है और ये ओडिशा के रुशिकुल्या और गहिरमाथा समुद्र तटों पर अंडे देने के लिए जाने जाते हैं. रुशिकुल्या समुद्र तट, मैक्सिको और कोस्टा रिका के बाद दुनिया के सबसे बड़े घोंसले के शिकार स्थलों में से एक है. ये कछुए अपने लगभग 100 अंडे डेढ़ फुट गहरे रेत के गड्ढों में देते हैं. मौसम के हिसाब से अंडे 45-55 दिनों में फूटते हैं. अंडे देने के बाद, मादा कछुए वापस समुद्र में चली जाती हैं, और बच्चे कछुए जब अंडे से निकलते हैं, तो वे समुद्र की ओर रेंगते हैं.

साल में 10 दिन दिखता है ऐसा नजारा

ऑलिव रिडले कछुए संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल हैं और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। मादा कछुए एक बार में 100 से ज्यादा अंडे देती हैं, जो 45-50 दिनों में फूटते हैं। इस बार समय पर अंडे देने से उम्मीद है कि अधिक कछुए जन्म ले सकेंगे और इनकी संख्या में वृद्धि होगी। इन कछुओं की रक्षा करना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद जरूरी है।

अंडे से बच्चे निकलेंगे ये बच्चे खुद से ही समुद्र में पहुंच जाते हैं।

ओडिशा के दो समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं दुनिया के  कछुए

वन विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि कछुओं ने 2015-16, 2018-19, 2020-21 और 2023-24 में रुशिकुल्या में सामूहिक घोंसला बनाने से परहेज किया था. लेकिन, इस बार उन्होंने बड़ी संख्या में वापसी की है, जो एक अच्छा संकेत है. यह जरूरी है कि हम इन कछुओं की सुरक्षा करें, क्योंकि ये मरीन इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. वन विभाग और स्थानीय लोग मिलकर इन कछुओं की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं. हमें भी इन कछुओं के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए, ताकि ये सुरक्षित रह सकें.

Share this Article