मैनपाट के कंडराजा की नई पहचान: हाथियों के आतंक से मिला छुटकारा, बसा एलिफेंट-प्रूफ गांव

राजेन्द्र देवांगन
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मैनपाट के कंडराजा की नई पहचान: हाथियों से राहत, बसाया गया एलिफेंट-प्रूफ गांव

छत्तीसगढ़ के मैनपाट के कंडराजा गांव की कहानी कभी संघर्ष और पुनर्निर्माण की थी। यहां के ग्रामीण हर साल अपने मकान बनाते थे, और हाथी उन्हें उजाड़ देते थे। करीब एक दशक तक यह सिलसिला चलता रहा। हाथियों के उत्पात से तीन ग्रामीणों की जान गई, लेकिन अब गांव ने स्थायी समाधान खोज लिया है।

नया कंडराजा: एलिफेंट-प्रूफ गांव

ग्रामीणों ने मुआवजे की राशि का इस्तेमाल कर गांव को एलिफेंट-प्रूफ बनाकर बसाया है। 56 परिवारों को बस्ती से बाहर ऊंचे स्थान पर पक्के मकानों में स्थानांतरित किया गया है। गांव में सड़क, बिजली, पानी, आंगनबाड़ी केंद्र और किचन गार्डन की सुविधा दी गई है। साथ ही, गांव को फेंसिंग से सुरक्षित किया गया है, और जंगल के भीतर तालाब बनाया गया है, ताकि हाथी चारा और पानी की तलाश में गांव की ओर न आएं।

हाथियों के खौफ से मिली मुक्ति

नए स्थान पर बसाए गए गांव में पिछले सात वर्षों से हाथियों के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ है। अब न तो घर टूटते हैं और न ही मुआवजे की जरूरत पड़ती है। हाथी संकट प्रबंधन के तहत गांव में हाई बीम लाइट, हैलोजन, और वाद्य यंत्र लगाए गए हैं। हाथी के आने पर ग्रामीणों को तुरंत अलर्ट किया जाता है, और वे संकट प्रबंधन केंद्र में सुरक्षित रह सकते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों ने सराहा

वन्यजीव विशेषज्ञ एजेटी जॉनसिंह और प्रोजेक्ट एलिफेंट की सेंट्रल टीम ने कंडराजा की इस पहल को सराहा है। इसे अन्य राज्यों में भी अपनाने की अनुशंसा की गई है।

सरगुजा रेंज में हाथियों का आतंक

सरगुजा रेंज में करीब 120 हाथी भटकते हैं, और यह इलाका उनके कॉरिडोर में आता है। सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर और कोरिया जिलों के 500 से अधिक गांव हाथियों से प्रभावित हैं। बसाहट दूर-दूर होने और कच्चे मकानों के कारण हाथी इन्हें आसानी से तोड़ देते हैं।

मुआवजे का खर्च घटा

सरगुजा रेंज में हाथियों से हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में पिछले ढाई साल में 25 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कंडराजा जैसी पहल से यह खर्च बच सकता है और ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से स्थायी समाधान मिल सकता है।

हाथी संकट प्रबंधन केंद्र

नए गांव में आंगनबाड़ी केंद्र के ऊपर हाथी संकट प्रबंधन केंद्र बनाया गया है। यहां अनाज बैंक, संगीत व्यवस्था, और ग्रामीणों को सुरक्षित रखने के लिए सभी सुविधाएं हैं। हाथियों के आने पर गीत-संगीत के जरिए ग्रामीणों का डर कम किया जाता है।

कंडराजा की यह पहल हाथी-मानव संघर्ष को कम करने और स्थायी समाधान के रूप में एक मिसाल बन गई है।

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