बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बस्तर के आदिवासियों की तकलीफ को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर बीजापुर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रसारित खबर को संज्ञान में लेते हुए हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के रुप में स्वीकार किया है।
इलेक्ट्रानिक मीडिया में बस्तर के बीजापुर जिले के गांव की तस्वीर पेश की थी। इसमें बताया था कि, बारिश में बीजापुर जिले के 30 गांव टापू बन गए हैं। बरसात के दिनों में यहां की स्थिति और भी भयावह हो जाती है। उफनती नदी को पार कर ग्रामीणों को राशन लेने पीडीएस की दुकान जाना पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक बीते 77 सालों से इन गांवों के हालात ऐसे ही हैं। बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम ब्लाक में चिंतावागु नदी पर पुल ना बनने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीजापुर जिले में भारी बारिश के कारण सभी नदियां और पुल उफान पर हैं, जिसके कारण तीन से अधिक गांव टापू में बदल गए हैं और जिले के अन्य हिस्सों से संपर्क टूट गया है। इन गांवों में रहने वाले लोगों को अपने दैनिक जीवन में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले मुफ्त राशन को इकट्ठा करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे सुदूर इलाकों के लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदियों और पुल-पुलियों को पार करने को विवश हैं। चिंतावागु नदी पर कोई पुल नहीं होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। करीब 8 किलोमीटर तक पैदल चलकर मिनूर गांव के लोगों ने अपने गांव में पीडीएस दुकान खोलने का अनुरोध किया है, लेकिन सरकारी अधिकारियों द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पिछले 77 वर्षों से ऐसी स्थिति बनी हुई है। ग्रामीण बीते 15 वर्षों से चिंतावागु नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। विकल्प के रूप में जिला प्रशासन से कम से कम एक मोटरबोट उपलब्ध कराने की मांग भी की थी। बारिश के दिनों में ग्रामीण सुरक्षित आना-जाना कर सकें।
महाधिवक्ता भारत ने कुछ इस तरह दिया जवाब
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कहा कि, गांव की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि बस्तर क्षेत्र में बरसात के मौसम के दौरान कुछ हिस्सों में बीजापुर जिले के जो दूरस्थ क्षेत्र हैं, वहां इस तरह की समस्या आती हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पीडीएस दुकानों में चार माह का राशन एक साथ प्रदाय किया जाता है, ताकि राशन वितरण में कोई बाधा न आए। शासन के नियमों की जानकारी देते हुए महाधिवक्ता ने बताया कि जहां न्यूनतम 500 लोग निवास करते हैं वहां पीडीएस की दुकानें खोली जाती है। वर्तमान में जिस गांव की बात हो रही है और वहां के ग्रामीण प्रभावित हैं, वहां लाभार्थियों की संख्या इतनी नहीं है। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अब नदी का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। पहले की तुलना में स्थिति अब जल्द बेहतर हो जाएगी। लिहाजा पीडीएस दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण में कोई परेशानी नहीं होगी। राज्य शासन इस दिशा में ठोस व गंभीर प्रयास कर रही है।