भीमा कोरेगांव मामला: सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर शोमा कांति सेन को शर्तों के साथ जमानत दी..!
नई दिल्ली:-सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में करीब छह साल बाद शोमा कांति सेन को जमानत दे दी है। सेन को दलित और महिला अधिकारों की आवाज उठाने के लिए जाना जाता है। अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और महिला अधिकारी की कार्यकर्ता सेन को 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले की आरोपी सेन की जमानत यातिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह देखते हुए आदेश पारित किया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया। इसलिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (UAPA) के तहत जमानत के लिए कठोर शर्तें लागू नहीं होती हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि धारा 43 (D) (5) प्रतिबंध याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होना चाहिए। हमने नोट किया है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (जो एनआईए के लिए पेश हुए) ने कहा कि सेन की हिरासत की अब जरूरत नहीं है। हमने देखा है कि वह अधिक उम्र की हैं और इस स्तर पर मुकदमे में देरी का प्रभाव है… उनकी चिकित्सीय स्थितियों के अलावा उसे जमानत पर रिहा होने के विशेषाधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।’
कोर्ट ने जमानत देते समय निम्नलिखित शर्तें तय कीं-
सेन महाराष्ट्र नहीं छोड़ेंगी और अपना पासपोर्ट सरेंडर कर देंगी।
वह एनआईए को अपने निवास के बारे में सूचित करेंगी और एनआईए अधिकारी को अपना मोबाइल नंबर बताएंगी और सुनिश्चित करेंगी कि नंबर एक्टिव है।
सेन के मोबाइल का जीपीएस सक्रिय होना चाहिए और उनका फोन एनआईए अधिकारी के फोन से जुड़ा होना चाहिए, ताकि उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सके।
कोर्ट ने कहा कि यदि शर्त का उल्लंघन किया जाता है, तो जमानत रद्द करने की मांग करना अभियोजन के लिए खुला होगा।
बता दें, सेन ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत के लिए एनआईए की स्पेशल कोर्ट से संपर्क करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने पहली बार दिसंबर 2018 में पुणे सत्र न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आवेदन किया था और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद एक और आवेदन किया था। दोनों आवेदनों को सत्र न्यायलय ने नंबवर 2019 में एक सामान्य आदेश के माध्यम से खारिज कर दिया था।
कौन हैं शोमा कांति सेन?
शोमा कांति सेन एक दलित महिला अधिकार कार्यकर्ता और अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर हैं। वह नागपुर यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी साहित्य विभाग विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं। शोमा का जन्म और पालन-पोषण मुंबई के बांद्रा में एक उच्च-मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ। उन्होंने स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट से पूरी की। सेन ने इसके बाद मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री पूरी करने के बाद नागपुर यूनिवर्सिटी से एमफील और पीएचडी की और वहीं प्राध्यापक बन गईं।
भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित संलिप्तता के आरोप में पुणे पुलिस ने उन्हें 8 जून, 2018 को सुधीर धावले, महेश राउत, सुरेंद्र गाडलिंग और रोना विल्सन के साथ गिरफ्तार किया था। इन सभी पर UAPA के तहत आरोप लगाए गए थे। उनकी गिरफ्तारी का मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है। पुणे पुलिस का दावा है कि भाषण के अगले दिन शहर के बाहर इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। सम्मेलन को माओवादियां का भी समर्थन था।
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