मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में फहराया तिरंगा,माओवादी हिड़मा की मां से मिले सुकमा एसपी..!
छत्तीसगढ़ के खूंखार नक्सली हिड़मा जिसका नाम सुरक्षाबलों की कई फाइलों में है. वह देश का सबसे बड़ा मोस्ट वांटेड माओवादी है. उसके गांव पूवर्ती में रविवार को तिरंगा झंडा फहराया गया. इस मौके पर सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने हिड़मा की मां से मुलकात की है. करीब 40 साल बाद तिरंगा झंडा फहराया गया है. इसके साथ ही नक्सली हिड़मा के गंव पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. इस गांव को माओवादियों का हेड क्वार्टर कहा जाता है. सुकमा एसपी ने दावा किया है कि यहां कैंप खुलने से नकसलियों के खिलाफ लड़ाई में टैक्टिक्ल मदद मिलेगी.
बीजापुर: मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती तक सुरक्षाबलों की टीम पहुंच गई है. रविवार को देश के खूंखार और हार्डकोर नक्सली हिड़मा के गांव पूर्वती में सुरक्षाबलों ने तिरंगा झंडा फहराया. पूवर्ती गांव के कई ग्रामीण तिरंगा झंडा फहराने के कार्यक्रम में शामिल हुए. इस मौके पर सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने लाल आतंक से जुड़े युवाओं से समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की अपील की है.
हार्डकोर नक्सली हिड़मा की मां से मिले एसपी: हार्डकोर नक्सली हिड़मा की मां से सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने मुलाकात की है. एसपी ने भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की बात हिड़मा की मां से की है.
मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा का गांव पूवर्ती
कहां है नक्सली हिड़मा का गांव: बीजापुर सुकमा के बॉर्डर इलाके जगरगुंडा में खूंखार नक्सली हिड़मा का गांव पूवर्ती है. रविवार को सुकमा एसपी किरण चव्हाण और सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के कमांडेंट उपेंद्र यहां पहुंचे. यहां गांव छोड़कर जा चुके लोगों से एसपी ने दोबारा गांव में बसने की अपील की है. उसके बाद गांव के मुख्य इलाके में तिरंगा झंडा फहराया गया.
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नक्सलियों की अघोषित राजधानी कहे जाने वाली पूवर्ती गांव में सुरक्षा बलों ने युद्ध स्तर पर कैंप की स्थापना की है. इसके बाद यहां तिरंगा फहराया गया. राज्य में नई सरकार आने के बाद अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज हुआ है. इसी के तहत नक्सलियों के बटालियन हेड रहे कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव में कैंप खुला है. यहां टैक्टिकल हेडक्वार्टर बनाया जा रहा है. जहां से नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान लॉन्च किए जाएंगे और ऑपरेट किए जाएंगे. पिछले 48 से घंटे से सुरक्षाबल के जवान वहां डेरा जमाए हुए हैं और इन 48 घंटे में सात बार जवानों का सामना नक्सलियों से हुआ. जवाबी कार्यवाही में नक्सली वापस लौट गए”: किरण चव्हाण, एसपी, सुकमा
हिड़मा के गांव में 40 साल बाद फहराया तिरंगा: मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा के गांव में 40 साल बाद तिरंगा झंडा फहराया गया है. अफसरों ने हिड़मा के घर जाकर उसकी मां से मुलाकात की है. उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराए जाने का की बात कही है. नक्सलियों के मांद में घुसकर सुरक्षाबलों की टीम ने एक बार फिर अपने इरादे साबित कर दिए हैं. इस बार नक्सलियों से आर पार की लड़ाई होगी. इससे पहले छत्तीसगढ़ के पुलिस फोर्स ने पूवर्ती गांव में कैंप को स्थापित किया. जिसके बाद नक्सल एक्सपर्ट ने सुरक्षाबलों के इस कदम पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि”यह कदम वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यहां सिक्योरिटी कैंप स्थापित होने से नक्सलियों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध में मदद मिलेगी”
सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया. यह जगरगुंडा पुलिस थाने की सीमा के अंतर्गत आता है, सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर स्थित है.सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर घने जंगलों से घिरा पूवर्ती गांव नक्सली खतरे और अपनी स्थिति के कारण विकास कार्यों और बुनियादी सुविधाओं से वंचित था. लेकिन यहां सुरक्षाबलों का कैंप खुलने से नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी. बस्तर रेंज पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों के प्रयासों पर आने वाले दिनों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा.बस्तर क्षेत्र में कम से कम 14 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं और इनमें से छह बीजापुर में सात सुकमा में और एक कांकेर जिले में स्थापित है”: सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
“पूवर्ती का कैंप बस्तर की अन्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समान सुविधाओं की तरह है. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका आंदोलन पर बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह गांव हिड़मा का है. राज्य सरकार की नियाद नेल्लानार योजना, जिसके तहत सुरक्षा शिविर के 5 किमी के दायरे में आने वाले गांवों को शिविरों के माध्यम से विकसित किया जाएगा. जिससे इस तरह के विकास में मदद मिलेगी”: गिरीशकांत पांडे, रक्षा विशेषज्ञ
30 जनवरी 2024 को पूवर्ती से कुछ किलोमीटर दूर टेकलगुडेम में सुरक्षा बलों ने कैंप स्थापित किया था. तभी सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई. इस घटना में दो कोबरा कमांडो सहित तीन सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए. जबकि 14 जवान घायल हो गए थे. सुकमा जिला दक्षिण बस्तर में है. यह ओडिशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से घिरा हुआ है. साल 2010 में यहीं के ताड़मेटला इलाके में नक्सलियों ने हमला किया था. जिसमें 76 जवान शहीद हुए थे.
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