जड़ें बढ़ाती हैं उर्वरा शक्ति…
पत्तियों और छाल से बनती है सौंदर्य प्रसाधन सामग्री
बिलासपुर- जड़ें भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है। पत्तियां और शाखाएं, वर्षा जल की बूंदों को भूमि तक पहुंचाती हैं। शीशम की यह विशेषता इसे अपने समकक्ष अन्य प्रजातियों से इसलिए अलग करती हैं क्योंकि यह गुण किसी में नहीं मिलते।इसलिए पौध रोपण में हमेशा से वरीयता मिलती है।
समय करीब आ चुका है शीशम की नर्सरियों की तैयारी का। मार्च में बोनी और रोपण की तैयारियां संबंधित क्षेत्रों में चालू हो चुकी है। वन संपदा योजना में स्थान प्राप्त शीशम पौध रोपण में प्रमुख जगह बना चुका है l इसकी अभी से ही नर्सरियों में पूछ-परख शुरू हो चुकी है, तो वन विभाग की नर्सरी में भी मांग क्षेत्र विस्तार की खबर लेकर पहुंच रहा है।
तैयार इस तापमान पर भी
भूमि की हर किस्म में तैयार हो जाने वाला शीशम न्यूनतम 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी तैयार हो जाता है,तो उच्च तापमान 45 डिग्री सेल्सियस जैसी ताप सहन करने की क्षमता रखता है। याने जलवायु परिवर्तन के ताजा दौर में बन रहा तापमान में भी यह तैयार हो सकता है।
होगी अंतरवर्तीय फसल भी
खेतों को बोनी या रोपण करने पर दो पौधे और कतार के बीच अन्य फसलें भी इसकी छाया में तैयार हो सकतीं हैं। इनमें गेहूं, जौ,उड़द, और मूंग की फसलों को सही माना गया है। तेज वायु को रोकने में भी यह मददगार है। यही वजह है कि चाय और कॉफी के खेतों में इसके पेड़ बहुतायत में मिलते हैं। याने शीशम वायुरोधक का भी काम करता है।
पत्तियां, बीज,छाल और जड़
मेडिशनल प्रापर्टीज की बहुतायत मात्रा होने की वजह से शीशम की पत्तियां, बीज,छाल और जड़ों की खरीदी देश की प्रसिद्ध सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री उत्पादन ईकाइयां कर रहीं है।बताते चलें कि शीशम के पेड़ की उम्र 20 से 30 वर्ष मानी गई है। इसके पूर्व विरलीकरण का काम 5 से 6 और 15 से 20 वर्ष के बीच किया जा सकता है।
बहुउपयोगी वृक्ष
शीशम बहुपयोगी वृक्ष है। लकड़ियां, पत्तियां, बीज और जड़ें, सभी काम में आती है। लकड़ियों से फर्नीचर और पत्तियां हरा चारा के रूप में उपयोग की जाती हैं। सबसे बड़ा गुण यह है कि इसकी जड़ से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। वर्षा जल बूंदों का संग्रहण करने में पत्तियों का जवाब नही है।
–अजीत विलियम्स, सांइटिस्ट, फारेस्ट्री, बी टी सी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर
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