
पुलिस कैंप खुला..ग्रामीण तीर-धनुष लेकर कर रहे विरोध:बोले-हमारी मुश्किलें और बढ़ेंगी, 2 ग्रामीणों को नक्सली बताकर जेल भेज दिया…!
छत्तीसगढ़ में नारायणपुर जिले के एक नक्सलगढ़ गांव में खुले नवीन पुलिस कैंप का विरोध शुरू हो गया है। सैकड़ों ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध में कैंप के बाहर विरोध में जुट गए हैं। ग्रामीण अपने साथ पारंपरिक हथियार तीर-धनुष भी लेकर आए हैं। कैंप को हटाने जमकर नारेबाजी भी की गई। पुलिस ने ग्रामीणों की बढ़ती भीड़ को देखते बैरिकेड्स लगाकर रखा हुआ है। बताया जा रहा है कि, दोनों तरफ से तनाव पूर्ण स्थिति बनी हुई है।

दरअसल, जिले के कोहकामेटा ब्लॉक के ग्राम पंचायत मेटानार के आश्रित ग्राम ब्रेहबेड़ा में पुलिस कैंप खोला गया है। इस पुलिस कैंप के विरोध में 1 नवंबर से सैकड़ों ग्रामीण लामबंद हुए हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, 28 नवंबर को पुलिस ने उन्हें आंदोलन स्थल से भगा दिया था। जिसके बाद फिर से सैकड़ों ग्रामीण एकजुट होकर 11 दिसंबर से ब्रेहबेड़ा गांव के जंगल में सड़क किनारे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पर बैठ गए। फिलहाल पुलिस और ग्रामीणों के बीच तनावपूर्ण स्थित बनी हुई है।

ग्रामीणों का कहना है कि, उन्हें इलाके में पुलिस कैंप नहीं चाहिए। उनका मानना है कि कैंप खुलने से उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। फोर्स ग्रामीणों को परेशान करेगी। फर्जी नक्सल मामले गिरफ्तार कर जेल में डालेगी। ग्रामीणों का कहना है कि, कुछ गांव वाले जो पहले नक्सल संगठन में सक्रिय थे उन्होंने सरेंडर कर दिया और अब पुलिस में भर्ती हो गए हैं। वे लोग गांव वालों के घरों में घुसेंगे। उन्हें प्रताड़ित करेंगे।

एक आदिवासी युवती दिव्या पोटाई ने बताया कि, 11 सदस्यीय दल 5 दिसंबर को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने गया था तो लौटते समय DRG ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इनमें से कुछ महिलाओं और पुरुष से पूछताछ करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन, 2 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर जेल भेज दिया गया। इनमें कुतुल के मालू और आयतु उसेंडी शामिल हैं। दोनों पर गंभीर घराओं पर केस दर्ज किया गया है।