 छत्तीसगढ़ की रहस्यमय शैलचित्र ,,, Chhattisgarh ki rahashymay shailchitra
छत्तीसगढ़ की रहस्यमय शैलचित्र ,,, Chhattisgarh ki rahashymay shailchitra
(संवाददाता महेंद्र- मिश्रा भुपेंद्र देवांगन-
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला पुरातत्व की दृष्टि से काफी समृद्ध है। यहां विश्व का प्राचीनतम शैलाश्रय बोतल्दा है। पुरातत्ववेताओं की दृष्टि से जो 30 हजार वर्ष ईसा- पूर्व के हो सकते हैं।रायगढ़, उत्तर बस्तर (कांकेर), कोरिया, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर (जगदलपुर) जिले की अनेक पहाड़ी गुफाओं और पहाड़ियों की दीवारों पर आदि मानवों द्वारा उकेरे गए शिकार आदि के दृश्य स्पष्ट रूप से यह संकेत दे रहे हैं कि उस प्रागैतिहासिक दौर में छत्तीसगढ़ की धरती पर कभी आदि मानवों का भी बसेरा हुआ करता था। ये रहस्यमय शैल चित्र आज उन्हें देखने वालों के मन-मस्तिष्क में भारी कौतुहल और जिज्ञासा पैदा करते हैं कि आखिर वह कौन सा प्राकृतिक रंग था, जो धूप, धूल और हवा के थपेड़े सहते हुए आज भी अपनी जगह पर कायम हैं ।शैलचित्र आदिमानवों के अभिव्यक्ति का प्रमाण है। आदिमानवों के पास भाषा नहीं थी इसलिए वे कंदराओं को ब्लैकबोर्ड की तरह अपने विचारों की अभिव्यक्ति के रूप में उपयोग करते थे।पृथ्वी पर मानव सभ्यता के जन्म और उसकी विकास यात्रा के प्रारंभिक दौर का एक महत्वपूर्ण गवाह छत्तीसगढ़ भी है ।
ये रहस्यमय शैल चित्र आज उन्हें देखने वालों के मन-मस्तिष्क में भारी कौतुहल और जिज्ञासा पैदा करते हैं कि आखिर वह कौन सा प्राकृतिक रंग था, जो धूप, धूल और हवा के थपेड़े सहते हुए आज भी अपनी जगह पर कायम हैं ।शैलचित्र आदिमानवों के अभिव्यक्ति का प्रमाण है। आदिमानवों के पास भाषा नहीं थी इसलिए वे कंदराओं को ब्लैकबोर्ड की तरह अपने विचारों की अभिव्यक्ति के रूप में उपयोग करते थे।पृथ्वी पर मानव सभ्यता के जन्म और उसकी विकास यात्रा के प्रारंभिक दौर का एक महत्वपूर्ण गवाह छत्तीसगढ़ भी है । ये रहस्यमय शैल चित्र आज उन्हें देखने वालों के मन-मस्तिष्क में भारी कौतुहल और जिज्ञासा पैदा करते हैं कि आखिर वह कौन सा प्राकृतिक रंग था, जो धूप, धूल और हवा के थपेड़े सहते हुए आज भी अपनी जगह पर कायम हैं ।हालांकि समय के प्रवाह में रहस्यमय शैल चित्रों के इस खजाने से कई चित्र विभिन्न प्राकृतिक कारणों से धुंधले भी होते जा रहे हैं, लेकिन राज्य के पुरातत्व संचालनालय द्वारा इन सभी शैल चित्रों के संरक्षण के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।इनमें उस जमाने के पर्यावरण और शिकार आधारित सामूहिक जीवन शैली का पता चलता है।
ये रहस्यमय शैल चित्र आज उन्हें देखने वालों के मन-मस्तिष्क में भारी कौतुहल और जिज्ञासा पैदा करते हैं कि आखिर वह कौन सा प्राकृतिक रंग था, जो धूप, धूल और हवा के थपेड़े सहते हुए आज भी अपनी जगह पर कायम हैं ।हालांकि समय के प्रवाह में रहस्यमय शैल चित्रों के इस खजाने से कई चित्र विभिन्न प्राकृतिक कारणों से धुंधले भी होते जा रहे हैं, लेकिन राज्य के पुरातत्व संचालनालय द्वारा इन सभी शैल चित्रों के संरक्षण के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।इनमें उस जमाने के पर्यावरण और शिकार आधारित सामूहिक जीवन शैली का पता चलता है। यहां के शैलचित्रों में जंगली पशुओं और आखेट के दृश्य प्रमुखता से चित्रित किए गए हैं। इस जिले में हाथी का चित्र केवल इसी शैलाश्रय में अंकित है। गहरे गैरिक रंग (रेड आर्च कलर) में है। नृत्य, शिकार, जंगली भैसा, हिरण गोह, अश्व के चित्र बड़ी संख्या में नजर आते हैं।बोतल्दा का गार्डन पिकनिक स्पॉट के लिए काफी बेस्ट है जो हर वर्ष यहां लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यहां बने चित्र एवं मूर्तियां तथा गुफाएं उपलब्ध है तथा झरने भी बहती हुई जलधारा मन को मोह लेती है खरसिया से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो पहाड़ों से गिरा हुआ एक गार्डन और पिकनिक स्पॉट के रूप में उपलब्ध है।
यहां के शैलचित्रों में जंगली पशुओं और आखेट के दृश्य प्रमुखता से चित्रित किए गए हैं। इस जिले में हाथी का चित्र केवल इसी शैलाश्रय में अंकित है। गहरे गैरिक रंग (रेड आर्च कलर) में है। नृत्य, शिकार, जंगली भैसा, हिरण गोह, अश्व के चित्र बड़ी संख्या में नजर आते हैं।बोतल्दा का गार्डन पिकनिक स्पॉट के लिए काफी बेस्ट है जो हर वर्ष यहां लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यहां बने चित्र एवं मूर्तियां तथा गुफाएं उपलब्ध है तथा झरने भी बहती हुई जलधारा मन को मोह लेती है खरसिया से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो पहाड़ों से गिरा हुआ एक गार्डन और पिकनिक स्पॉट के रूप में उपलब्ध है। त्योहार के अवसर पर यहां लोगों का तांता लगा रहता है खासकर नववर्ष के उपलक्ष्य में पिकनिक के लिए या बेस्ट जगह है बोतल्दा में शैलाश्रय अर्थात चट्टानों का चित्र मौजूद है जो लेखापोडा के नाम से जाना जाता है,
त्योहार के अवसर पर यहां लोगों का तांता लगा रहता है खासकर नववर्ष के उपलक्ष्य में पिकनिक के लिए या बेस्ट जगह है बोतल्दा में शैलाश्रय अर्थात चट्टानों का चित्र मौजूद है जो लेखापोडा के नाम से जाना जाता है, पहुँच मार्ग :- अटल रॉक गार्डन – रायगढ़ जिला मुख्यालय से खरसिया के अंतर्गत आने वाला एक खूबसूरत एवं प्राकृतिक में बसा तथा पहाड़ो से घिरा मन मोहक गार्डन बोतल्दा नामक गाँव पर स्थित है ,जो खरसिया से लगभग 8 -9 कि दुरी पर है यहाँ पहुँचने के लिए रायगढ़ जिला मुख्यालय से खरसिया मार्ग पर जाना पड़ेगा
पहुँच मार्ग :- अटल रॉक गार्डन – रायगढ़ जिला मुख्यालय से खरसिया के अंतर्गत आने वाला एक खूबसूरत एवं प्राकृतिक में बसा तथा पहाड़ो से घिरा मन मोहक गार्डन बोतल्दा नामक गाँव पर स्थित है ,जो खरसिया से लगभग 8 -9 कि दुरी पर है यहाँ पहुँचने के लिए रायगढ़ जिला मुख्यालय से खरसिया मार्ग पर जाना पड़ेगा





























 
			 
                                