रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में लागू नई कलेक्टर गाइडलाइंस ने जमीन के दामों में जोरदार उछाल ला दिया है। रजिस्ट्री के लिए तय की गई नई सरकारी दरों (कलेक्टर गाइडलाइन वैल्यू) में बदलाव के बाद कई इलाकों में जमीन की कीमतें 5 से 9 गुना तक बढ़ गई हैं। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, अंबिकापुर समेत कई जिलों में रियल एस्टेट कारोबारियों और जमीन मालिकों में भारी नाराजगी है।
व्यापारियों का कहना है कि जो जमीन पहले 10 लाख रुपए में रजिस्ट्री हो रही थी, उसकी गाइडलाइन अब 70 लाख रुपए तक पहुंच गई है। ऐसे में रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी का खर्च आम लोगों की पहुंच से बाहर चला जाएगा।
30% छूट खत्म, लेकिन शुल्क वही — यहीं से शुरू हुआ विरोध
पुरानी व्यवस्था में जमीन के बाजार मूल्य पर 30% तक छूट देकर रजिस्ट्री की जाती थी।
जैसे –
- बाजार भाव: 10 लाख
- रजिस्ट्री के लिए माना जाता था: 7 लाख (70%)
इसी कम मूल्य पर 4% पंजीयन शुल्क (और 75 लाख तक के मकानों पर 2%) लिया जाता था।
नई गाइडलाइन में –
- अब जमीन/मकान का पूरा 100% मूल्य माना जा रहा है
- लेकिन पंजीयन शुल्क 4% और 2% ही रखा गया है, घटाया नहीं गया
इसी को व्यापारी बड़ा टैक्स बोझ बता रहे हैं। उनकी मांग है कि:
“जब मूल्य 100% कर दिया है तो रजिस्ट्रेशन ड्यूटी 4% से घटाकर करीब 0.8% की जाए, ताकि कुल बोझ पहले जैसा ही रहे।”
एक ही जमीन, दो रेट – कीमत 7–9 गुना तक बढ़ी
रियल एस्टेट कारोबारी बताते हैं कि पहले शहर की जमीन का मूल्य एक तय दर से निकलता था, लेकिन अब—
- बड़े प्लॉट को दो हिस्सों में बांटकर
- सड़क से सटी जमीन का रेट अलग और अंदर की जमीन का रेट अलग रखकर
कुल गाइडलाइन वैल्यू बहुत ज्यादा बढ़ गई है। उदाहरण के तौर पर—
- पहले 10 लाख में आंकी जाने वाली जमीन
- नई गाइडलाइन के हिसाब से 60–70 लाख तक पहुंच रही है
यानी रजिस्ट्रेशन शुल्क भी 70 हजार से बढ़कर 7 लाख तक जा रहा है।
मल्टीस्टोरी बिल्डिंग पर तीन गुना तक ज्यादा भार
नई व्यवस्था में फ्लैट–दुकान की रजिस्ट्री के समय—
- सुपर बिल्ट–अप एरिया (दीवारें + लॉबी + सीढ़ी + कॉमन एरिया + पार्किंग + क्लब हाउस आदि)
को आधार मानकर जमीन का मूल्य निकाला जा रहा है।
इससे –
- असल जमीन भले कम हो
- लेकिन कागज़ों में जमीन का मूल्य 2–3 गुना तक बढ़ जा रहा है
- उसी ऊंचे मूल्य पर स्टांप और रजिस्ट्री शुल्क देना पड़ रहा है
नवा रायपुर और गांवों की जमीन पर भी सीधा असर
सरकार ने नवा रायपुर के आसपास के कई गांवों को नगरीय क्षेत्र (Urban Area) में रखकर उनकी जमीन को भी शहर वाली श्रेणी में ले लिया है।
इसका असर –
- गांवों की जमीन का रेट भी अचानक 5–9 गुना तक बढ़ गया
- रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क बहुत महंगा हो गया
व्यापारियों और किसानों का आरोप है कि जिन गांवों में आज भी शहर जैसी सुविधाएं नहीं हैं –
- ठीक सड़क नहीं
- बाजार, अस्पताल, स्कूल सीमित
फिर भी उन्हें शहर की जमीन जैसा महंगा रेट दे दिया गया है।
किसानों की चिंता – “जमीन बिकेगी कैसे?”
कई किसानों का कहना है कि—
- जमीन का सरकारी रेट जितना बढ़ा है
- वैसा बाजार में खरीदार देने को तैयार नहीं
- ज्यादा गाइडलाइन होने से रजिस्ट्री महंगी होगी
- नतीजतन जमीन बेचना मुश्किल होगा
किसान कहते हैं कि ऋण चुकाने, बच्चों की पढ़ाई, शादी–विवाह या अन्य ज़रूरतों के लिए जमीन बेचनी होती है, लेकिन इतने ऊंचे रेट और भारी टैक्स के कारण खरीदार पीछे हट जाएंगे।
भारतमाला परियोजना और ग्रामीण सड़कों के नाम पर भी बढ़ा बोझ
नई गाइडलाइन में—
- राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग, मुख्य जिला मार्ग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क, PWD सड़कों को मुख्य मार्ग माना जा रहा है
- गांव की अनेक पक्की सड़कें अब “मुख्य सड़क” की श्रेणी में आ गईं
- इससे गांव की लगभग हर सड़क के किनारे की जमीन का रेट हाईवे के नजदीक जमीन जैसा हो गया
व्यापारियों का तर्क है:
“सड़क बन जाना अच्छी बात है, लेकिन हर सड़क को शहर के हाईवे जैसा मानकर रेट बढ़ा देना व्यावहारिक नहीं है।”
भारत माला परियोजना के आसपास की जमीनों का रेट भी कई जगह 300–500% तक बढ़ा दिया गया है। व्यापारियों का कहना है कि कई गांव तो इस एक्सप्रेस-वे का सीधा उपयोग ही नहीं कर सकते, फिर भी सिर्फ नक्शे में नजदीक होने के नाम पर जमीन महंगी कर दी गई है।
व्यापारी – गाइडलाइन पर फिर से विचार करो, नहीं तो रजिस्ट्री का बायकॉट
रियल एस्टेट कारोबारी संगठनों ने नई गाइडलाइन को
- “बेतुका”,
- “गैर–वैज्ञानिक”
बताते हुए सरकार से तत्काल संशोधन की मांग की है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि—
“अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम रजिस्ट्री का बायकॉट करेंगे।”
सरकार का पक्ष – “मनी लॉन्ड्रिंग रुकेगी, किसानों को ज्यादा मुआवजा मिलेगा”
सरकार की ओर से आवास एवं पर्यावरण विभाग और पंजीयन विभाग का कहना है कि—
- 8 साल से गाइडलाइन रेट नहीं बढ़ाए गए थे
- बाजार मूल्य और सरकारी रेट में बहुत बड़ा अंतर था
- कम गाइडलाइन की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग और कम इनकम टैक्स जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं
- अधिग्रहण के समय किसानों को भी कम मुआवजा मिल रहा था
अधिकारियों के अनुसार—
- नई गाइडलाइन से बैंक वास्तविक मूल्य के अनुपात में ज्यादा होम लोन दे सकेंगे
- किसानों को अधिग्रहण पर बेहतर मुआवजा मिलेगा
- गाइडलाइन को वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से तैयार किया गया है
- अनावश्यक नियम घटाकर कंडिकाएं घटाई गई हैं ताकि लोगों को समझने में आसानी हो
सरकार का दावा है कि—
“आम लोगों को लंबी अवधि में राहत मिलेगी, सिस्टम पारदर्शी और सरल होगा।”
नई कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर एक तरफ सरकार राजस्व बढ़ोतरी, पारदर्शिता और किसानों के हित की बात कर रही है, तो दूसरी तरफ रियल एस्टेट कारोबारी और जमीन मालिक अचानक बढ़े बोझ से परेशान हैं। आने वाले दिनों में सरकार व्यापारी–किसान प्रतिनिधियों से बातचीत कर कोई रिव्यू करती है या नहीं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

