देवांगन समाज के पदाधिकारियों ने पद्मश्री अनुज शर्मा से की सौजन्य मुलाकात, माता परमेश्वरी महोत्सव हेतु दिया आमंत्रण

Jagdish Dewangan
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मुंगेली— छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के प्रथम दिन 02 नवंबर को मुंगेली पहुंचे छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोकगायक एवं पद्मश्री सम्मानित कलाकार अनुज शर्मा से देवांगन समाज मुंगेली के पदाधिकारियों ने सौजन्य भेंट की। इस दौरान समाज के अध्यक्ष आनंद देवांगन (अधिवक्ता) के नेतृत्व में समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित रहे। समाजजनों ने पद्मश्री अनुज शर्मा का आत्मीय स्वागत करते हुए उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया और उनके छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के कार्यों की सराहना की। इस मुलाकात के दौरान समाज के सदस्यों ने आगामी सात दिवसीय माता परमेश्वरी महोत्सव के संबंध में विस्तार से जानकारी दी और उन्हें महोत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। अध्यक्ष आनंद देवांगन ने बताया कि देवांगन समाज मुंगेली द्वारा आयोजित यह माता परमेश्वरी महोत्सव समाज का वार्षिक आस्था एवं सांस्कृतिक उत्सव है, जो इस वर्ष अपने 27वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह आयोजन 05 जनवरी से 11 जनवरी 2026 तक बड़ी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। इस सात दिवसीय कार्यक्रम में कथा, भजन-संध्या, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, सामाजिक बैठकें एवं धार्मिक आयोजन संपन्न होंगे। इस अवसर पर उपस्थित पदाधिकारियों ने पद्मश्री अनुज शर्मा को बताया कि समाज लगातार संस्कृति, शिक्षा और सामाजिक एकता की दिशा में कार्य कर रहा है। वहीं अनुज शर्मा ने समाजजनों की इस पहल की सराहना करते हुए माता परमेश्वरी महोत्सव के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दीं और कहा कि छत्तीसगढ़ की परंपरा और सामाजिक समरसता को बनाए रखना सभी का दायित्व है। मुलाकात के दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष विष्णु देवांगन, दुर्गेश देवांगन, जगदीश देवांगन, अजय देवांगन, ददुआ देवांगन, शत्रुहन देवांगन, भूपेंद्र देवांगन, बलराम देवांगन ,सुदामा देवांगन,जलेश देवांगन,अंशू देवांगन, गोलू देवांगन ,अमन देवांगन सहित समाज के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने पद्मश्री अनुज शर्मा के साथ आत्मीय चर्चा की और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को लेकर अपने विचार साझा किए। इस तरह यह सौजन्य मुलाकात न केवल देवांगन समाज और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बीच एक मजबूत जुड़ाव का प्रतीक बनी, बल्कि आने वाले माता परमेश्वरी महोत्सव के प्रति उत्साह और श्रद्धा को भी और अधिक प्रगाढ़ कर गई।

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