रायपुर, |बिरगांव नगर निगम द्वारा रावाभाठा बंजारी नगर (वार्ड क्रमांक 10) में करीब 120 परिवारों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किए जाने के बाद क्षेत्र में तेज आक्रोश फैल गया है। शुक्रवार को क्रांति सेना के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने बिरगांव नगर निगम का घेराव कर प्रशासनिक कार्रवाई के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया।
अचानक नोटिस से मचा हड़कंप
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि बिना किसी पूर्व चर्चा या सूचना के, निगम ने सीधे मकान तोड़ने का नोटिस थमा दिया। कुछ लोगों ने यह भी दावा किया कि उनसे फर्जी हस्ताक्षर करवा कर जबरन सहमति दर्शाई जा रही है, जबकि उन्होंने कोई सहमति नहीं दी थी। स्थानीय लोगों को मकान खाली करने के लिए डराया धमकाया जा रहा है ।
‘मानसून के बाद कार्रवाई’ का वादा, फिर अब क्यों?
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि नगर निगम के अधिकारियों ने पूर्व में बरसात के मौसम में कोई कार्रवाई नहीं करने का वादा किया था। बावजूद इसके, मानसून के दौरान ही नोटिस जारी कर गरीबों को बेघर करने की कोशिश की जा रही है, जिसे लोगों ने ‘अमानवीय और धोखाधड़ी भरा कदम’ बताया।
उरला में फ्लैट? प्रस्ताव को लोगों ने किया खारिज
निगम की ओर से कहा गया कि प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उरला में फ्लैट दिए जाएंगे। लेकिन स्थानीय लोगों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उरला क्षेत्र में अपराध, नशा, छेड़छाड़ और असुरक्षा का माहौल है, जहां रहना उनके लिए असंभव है।
“सुरक्षित घर छीनकर हमें एक नरक जैसे माहौल में भेजा जा रहा है,” एक स्थानीय महिला का रोते हुए बयान
क्रांति सेना की चेतावनी: “एक भी मकान गिरा तो उग्र आंदोलन होगा”
क्रांति सेना ने इस कार्रवाई को गरीब विरोधी नीति बताते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की, तो वे सड़क से सदन तक उग्र आंदोलन करेंगे। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि:
“चुनाव के समय झूठे वादे कर वोट लेने वाले नेता आज इस संकट में गायब हैं।”
नगर निगम का पक्ष
बिरगांव नगर निगम आयुक्त ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि:
> “यह अतिक्रमण हटाने की नियमित प्रक्रिया है। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। सभी प्रभावितों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।”
भाजपा विधायक की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में स्थानीय भाजपा विधायक की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं। जनता का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद नेता जनता के संकट से मुंह मोड़ लेते हैं, और अब जबकि सैकड़ों परिवारों की छत खतरे में है, उनके नेता नदारद हैं।
स्थिति अब गंभीर होती जा रही है। अगर जल्द ही संवाद और समाधान नहीं हुआ, तो यह मामला स्थानीय राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।