दुर्ग,छत्तीसगढ़ के दुर्ग में चर्चित धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार की गईं नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को आखिरकार NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कोर्ट से जमानत मिल गई है। दोनों आरोपी 25 जुलाई से दुर्ग जिला जेल में बंद थीं। उन पर जबरन धर्मांतरण कराने और धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप लगे थे।
जानिए क्या मामला
मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल से जुड़े धर्मांतरण के इस केस में पुलिस ने प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि वे स्कूल के माध्यम से धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल थीं और कमजोर वर्ग के बच्चों और उनके परिवारों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रही थीं।
गिरफ्तारी के बाद से यह मामला लगातार सुर्खियों में बना रहा। देशभर में ईसाई संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस गिरफ्तारी का विरोध किया और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।
राजनीतिक दबाव और समर्थन
गिरफ्तारी के बाद केरल से सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री सहित कई बड़े नेता दुर्ग पहुंचे और जेल में नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस से मुलाकात की। इन नेताओं ने इसे ईसाई समुदाय के खिलाफ साजिश बताया और दोनों को शीघ्र रिहा करने की मांग उठाई।
केरल के पूर्व मंत्री ने कहा कि “धर्मांतरण के नाम पर निर्दोष ननों को फंसाकर छत्तीसगढ़ में धार्मिक तनाव फैलाने की साजिश रची जा रही है।”
कोर्ट से मिली राहत
मामले की सुनवाई NIA कोर्ट में हुई, जहाँ दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने यह मानते हुए जमानत मंजूर की कि आरोपी महिलाओं के खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य कमजोर हैं और जांच एजेंसियां अभी तथ्यों को जुटाने की प्रक्रिया में हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है क्योंकि वे जांच में सहयोग करने को तैयार हैं।
आगे की कार्रवाई
हालांकि, दोनों आरोपियों पर लगी धाराएं गंभीर हैं, इसलिए पुलिस और जांच एजेंसियाँ उनसे पूछताछ जारी रखेंगी। NIA कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस विदेश यात्रा या राज्य से बाहर जाने से पहले कोर्ट की अनुमति लेंगी।
इस मामले ने एक बार फिर राज्य में धर्मांतरण और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर सियासी हलचल तेज कर दी है।