दंतेवाड़ा/गीदम। बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का पवित्र छत्र आगामी 3 मई को गीदम पहुंचेगा, जिसके साथ शुरू होगा तीन दिवसीय गीदम मेला। यह मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बस्तर की लोकपरंपरा, संस्कृति और आस्था का जीवंत उत्सव है, जो हर साल श्रद्धालुओं और ग्रामीणों को एक सूत्र में बांधता है।
गीदम नगर पंचायत द्वारा आयोजित इस मेले में छत्र की नगर परिक्रमा, भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मीना बाजार, और आस्था से जुड़ी अनेक गतिविधियाँ होंगी। नगर पंचायत अध्यक्ष रजनीश सुराना ने जानकारी दी कि इस ऐतिहासिक मेले की तैयारियाँ जोरों पर हैं और नगरवासी इसे लेकर उत्साहित हैं।
बस्तर की विरासत: मां दंतेश्वरी का छत्र
बस्तर अंचल की देवी मां दंतेश्वरी को शक्ति स्वरूपा माना जाता है। दंतेवाड़ा स्थित उनका प्राचीन मंदिर बस्तर की संस्कृति और भक्ति का केंद्र रहा है। मां का छत्र आमतौर पर बस्तर दशहरा और फागुन मेला में निकलता है। गीदम मेला दूसरा अवसर है, जब देवी स्वयं छत्र रूप में गीदम नगर आती हैं, जो इस आयोजन को विशेष और ऐतिहासिक बनाता है।
देवी का छत्र इस बार गीदम के सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति भवन में श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु रखा जाएगा।
तीन दिन तक होगा भक्तिमय माहौल
3, 4 और 5 मई को चलने वाले मेले में कला मंच पर तीन दिनों तक भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, लोकनृत्य, और सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। भजन-कीर्तन से नगर गूंज उठेगा। साथ ही, मीना बाजार, झूले, दुकानें, और खेल-खिलौनों की दुकानें भी बच्चों और परिवारों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी।
हालांकि मीना बाजार के लिए स्थान तय नहीं किया गया है, लेकिन नगर पंचायत द्वारा पुराना बस स्टैंड के सामने स्थित मैदान या हाई स्कूल ग्राउंड को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
पारंपरिक आस्था से जुड़ी सामाजिक एकता
मेले को लेकर नगरवासियों में खासा उत्साह है। यह आयोजन सांप्रदायिक सौहार्द, सामाजिक समरसता, और लोक परंपराओं को जीवित रखने का एक जरिया भी है। मेले में नगर पंचायत, स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग, और जनता मिलकर आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।
फिर जीवंत होगी वर्षों पुरानी परंपरा
मां दंतेश्वरी का यह छत्र बस्तर क्षेत्र के गहरे सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है। माना जाता है कि जब-जब छत्र नगर में आता है, तब नगर की शुद्धि, भक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे गीदम के लोग आज भी पूरे श्रद्धा और उल्लास से निभाते हैं।
गीदम मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह बस्तर की संस्कृति, आस्था और जनजीवन की पहचान है। मां दंतेश्वरी के छत्र के स्वागत के साथ गीदम एक बार फिर भक्ति, संस्कृति और उत्सव की रोशनी में नहाएगा।

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