CG Jharkhand Liquor Scam CBI Case; Hemant Soren | IAS | छत्तीसगढ़ सरकार ने CBI को सौंपी झारखंड-शराब घोटाले की जांच: सोरेन, कई IAS घेरे में, रायपुर में रची गई 450 करोड़ के घोटाले की साजिश – Chhattisgarh News

राजेन्द्र देवांगन
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झारखंड में 450 करोड़ के शराब घोटाला मामले में EOW ने सितंबर माह में छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज की थी।

सीजी पीएससी, महादेव सट्टा के बाद सीबीआई की झारखंड के शराब घोटाले में भी एंट्री होने जा रही है। राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू में दर्ज 450 करोड़ के झारखंड आबकारी घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर दी है। घोटाले की फाइल सीबीआई दफ्तर दिल्ली पहुंच गई है।

माना जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही शराब घोटाले की जांच शुरू करेगी, क्योंकि इस केस में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन जांच के घेरे में हैं। ईओडब्ल्यू को झारखंड सरकार से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। ईओडब्ल्यू नेआईएएस विनय कुमार चौबे, गजेंद्र सिंह समेत अन्य से पूछताछ के लिए समंस जारी कर सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी है।

ईओडब्ल्यू के एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया और न ही अनुमति दी गई। झारखंड सरकार के इस रवैये को देखते हुए ही माना जा रहा है सीबीआई केस दर्ज करने में देरी नहीं करेगी। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर समेत कई अन्य आरोपी हैं।

आगे आपको बताते हैं छत्तीसगढ़ में ACB-EOW ने कब FIR दर्ज की और इसमें क्या है और उसके मुताबिक कैसे छत्तीसगढ़ के तर्ज पर झारखंड में भी कथित शराब घोटाले को अंजाम दिया गया:-

ईओडब्ल्यू आईएएस विनय कुमार चौबे, गजेंद्र सिंह समेत अन्य से पूछताछ के लिए समंस जारी कर सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी है।

छत्तीसगढ़ ACB- EOW ने 7 सितंबर को FIR दर्ज की थी

छत्तीसगढ़ में जिस पैटर्न पर आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला हुआ उसी तर्ज पर झारखंड में शराब घोटाला हुआ। इस बात का खुलासा छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई FIR से हुआ ।

छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दोनों अफसरों पर रायपुर EOW ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया था। वहीं छत्तीसगढ़ के लिकर सिंडिकेट से जुड़े सभी लोगों के नाम भी सामने आए हैं।

पहले जानिए FIR में क्या है-

आर्थिक अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह FIR दर्ज की गई थी। इसमें बताया गया है कि तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट झारखंड के अधिकारियों के साथ मिले। सभी ने मिलकर साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। इसके बाद राज्य में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया।

झारखंड में बिना हिसाब की डूप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफ.एल.10 ए लाइसेंस के रूप में नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।

झारखंड के पावरफुल अफसर रहे हैं आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे। वे तत्कालीन आबकारी सचिव रहे।

छत्तीसगढ़ का सिस्टम झारखंड में लागू किया गया था

इस वजह से दोनों घोटालों की तार जुड़े हैं। झारखंड शराब घोटाले की जांच सीबीआई ने शुरू की तो उसका असर छत्तीसगढ़ में भी रहेगा। इसके जांच के घेरे में आबकारी के आला अधिकारियों के साथ तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा तक आएंगे। यह जांच आगे भी बढ़ेगी। क्योंकि छत्तीसगढ़ का ही सिस्टम झारखंड में लागू किया गया था।

आरोप– छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने मिलकर झारखंड में शराब घोटाला किया रांची के कारोबारी विकास सिंह की शिकायत पर सीजी एसीबी-ईओडब्ल्यू ने 450 करोड़ के शराब घोटाले का केस यहां दर्ज किया है। कारोबारी का आरोप था कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने मिलकर झारखंड में शराब घोटाला किया है। इससे वहां की सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है।

इनकी भूमिका की हो रही है जांच

  • विनय कुमार चौबे: झारखंड के आईएएस अधिकारी और तत्कालीन आबकारी सचिव।
  • गजेंद्र सिंह: झारखंड के संयुक्त आबकारी आयुक्त।
  • रोहित उरांव: झारखंड के पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र।
  • अरुण पति त्रिपाठी: छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी सचिव को झारखंड में नई शराब नीति के लिए सलाहकार बनाया गया था।

नई शराब नीति के लागू करने विधानसभा में लाया प्रस्ताव

प्रदेश में योजना को लागू कराने के लिए प्लानिंग के तहत अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी और झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह ने उनके सीनियर लोगों को विश्वास में लिया। इसके बाद झारखंड राज्य में नई आबकारी नीति लागू करने की तैयारी की।

इसके लिए झारखंड विधानसभा में RESOLUTION भी पारित कराया गया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड के एम.डी. अरूणपति त्रिपाठी को कंसल्टेंट के रूप में रखा गया। प्लानिंग के मुताबिक अरूण पति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू नीति का मॉडल तैयार कर झारखंड शासन को दिया।

इसके आधार पर झारखंड में नई आबकारी नियमावली, झारखंड उत्पाद (झारखंड राज्य बेवरेजेस कार्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से खुदरा उत्पाद दुकानों का संचालन) नियमावली 2022 को लागू किया गया। इसके लिए अरूणपति त्रिपाठी ने झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ फीस के तौर पर भी लिए।

होलोग्राम सप्लाई भी छत्तीसगढ़ की तरह

सिंडिकेट ने होलोग्राम सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ में होलोग्राम सप्लाई करने वाली कंपनी मेसर्स प्रीज्म होलोग्राफी एण्ड सिक्योरिटी फिल्म प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के विधु गुप्ता को दिलाया। विधु गुप्ता ने भी खुद होलोग्राम सप्लाई न कर ऑक्युलर होलोग्राफी फिल्मस प्राइवेट लिमिटेड को काम दे दिया।

1 मई 2022 से इनका अवैध शराब कारोबार पूरे झारखंडमें शुरू हो गया था। इस तरह छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने कारोबार को सरकारी नियम के अधीन लाकर करोड़ों रुपए अंदर किए। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड शासन के साथ भी धोखाधड़ी कर खुद को फायदा पहुंचाते रहे।

तस्वीर विधु गुप्ता की है जो होलोग्राम कंपनी का मालिक और फेक होलोग्राम केस में आरोपी है।

रायपुर में की गई मीटिंग

छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने झारखंड में भी अवैध शराब कारोबार करने के इरादे से जनवरी 2022 में झारखंड के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। यह मीटिंग रायपुर में की गई जिसमें पूरी प्लानिंग बनी।

सप्लाई चेन ठेकेदारी प्रथा की जगह सी.एस.एम.सी.एल. के जरिए बताया गया। इससे होने वाले फायदे और अवैध आय की जानकारी दी गई। झारखंड के अधिकारियों को मुनाफा दिखाकर छत्तीसगढ़ की व्यवस्था वहां भी लागू करने के लिए राजी किया गया।

नीति लागू होने के बाद झारखंड के राजस्व में आई कमी

FIR में शिकायतकर्ता विकास सिंह ने बताया कि झारखंड में नई शराब नीति लागू होने के बाद साल 2022-23 में झारखंड के आबकारी राजस्व लक्ष्य में करोड़ों रुपयों की कमी आई। शिकायतकर्ता ने इसकी जांच किए जाने की मांग की।

अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता और उनके सिंडिकेट के बाकी साथी पर कार्रवाई की मांग की गई। इसके अलावा झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह और उनके साथी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार कर राज्य को नुकसान पहुंचाने पर कार्रवाई की मांग की गई।

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