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तमत्कारी बाबा की कहानी: देवरहा बाबा के चरणों में सिर झुका चुके हैं इंदिरा से अटल तक ये हैं उनके जीवन की पूरी कहानी….!

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तमत्कारी बाबा की कहानी: देवरहा बाबा के चरणों में सिर झुका चुके हैं इंदिरा से अटल तक ये हैं उनके जीवन की पूरी कहानी….!

ब्यूरो रिपोर्ट सत्येंद्र सिंह

तमत्कारी बाबा की कहानी, इनके दरबार में बड़े-बड़े नेता होते थे नतमस्तक….!भारत और भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनियों की अपनी ही एक अलग पहचान है। भारत में सन्यास और ऋषि मुनियों की गाथा के कई किस्से आज भी लोगों की जुबां पर है, जिसकी कहानियां दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ऐसे ही एक बाबा की कहानी आज हम आपको सुनाएंगे साथ ही बतायेंगे कि आखिक क्यों बाबा से आशीर्वाद लेने देश ही नहीं ब्लकि विदेश से भी लोग आते थे। यह बाबा देवरिया के देवरहा बाबा है। बाबा ने अपनी उम्र, तप और सिद्धि को लेकर कभी कोई दावा नहीं किया। बाबा हमेशा बेहद सरल, सादा और सहज जीवन जीते थे।



देवरहा बाबा सरल, सहज और शांत प्रवृत्ति के ज्ञानी थे। बाबा से मिलने आने वालों में देश दुनिया के बड़े-बड़े लोगों के नाम शुमार हैं। बाबा उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले हैं। जन्म के समय ही बाबा का नाम देवरहा रख दिया गया था। मान्यताओं के अनुसार वह देवी शक्तियों से संपन्न थे इसलिए उनके भक्त भी भक्तों ने इसी नाम से पुकारते थे।

बाबा के बारे में उनके जानकारों और अनुयायियों का कहना है कि वह 250 से 500 वर्ष तक जीवित रहे थे। साल 1990 में 19 जून के दिन उन्होंने अपना शरीर छोड़ दिया और मोह जगत से विदा ले ली थी। देवराहा बाबा की चमत्कार शक्ति को लेकर देश के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग कहानियां बयां की जाती हैं




बाबा की सिद्धि बयां करने वाले लोग बताते हैं कि बाबा पानी पर भी चल सकते थे। यह बात बेहद हैरान करने वाली है कि बाबा ने कभी भी एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करने के लिए किसी सवारी का प्रयोग नहीं किया। बाबा हमेशा अपनी हर यात्रा पैदल ही पूरी करते थे। बाबा हर साल माघ मेले के समय प्रयागराज जाते थे। यमुना किनारे वृंदावन में आधा घंटे तक पानी में बिना सांस लिए रहते थे।

देवराहा बाबा ने अपनी उम्र, तप और सिद्धि के बारे में कभी कोई दावा नहीं किया, लेकिन उनके इर्द-गिर्द रहने वाले लोग हमेशा उनकी चमत्कारी कृतियों की कहानियां सुनाते हैं। आपातकाल के समय इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थी। इसके बाद वह भी देवराहा बाबा से आशीर्वाद लेने गई थी। उस दौरान बाबा ने उन्हें हाथ उठाकर पंजे से आशीर्वाद दिया था।



वहां से लौटने के बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ही पंजे को बना दिया था। इसके बाद साल 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और प्रधानमंत्री बनी।

बाबा हमेशा मचान पर बैठकर अपनी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया करते थे। देखने वाले लोग आज भी बताते हैं कि भक्तों के अपना दर्द बयां करने से पहले ही बाबा उनकी पूरी कहानी बता दिया करते थे। बता दे बाबा हमेशा ही निर्वस्त्र रहा करते थे। उनके शरीर पर सिर्फ मृग छाला ही होती थी।







बाबा के दर्शन के लिए मईल आश्रम पर 1911 में जॉर्ज पंचम दर्शन करने के लिए भारत आए थे। देश के महान विभूति डॉ राजेंद्र प्रसाद, मदन मोहन मालवीय, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, मुलायम सिंह यादव, वीर बहादुर सिंह, बिंदेश्वरी दुबे, जगन्नाथ मिश्र जैसे कई नेता बाबा से आशीर्वाद लेने उनके आश्रम जाया करते थे।

     


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