धर्म-कला -संस्कृति

हिन्दी दिवस पर सुरडोंगर केशकाल में कार्यक्रम सम्पन्न

Advertisement

हिन्दी दिवस पर सुरडोंगर केशकाल में कार्यक्रम सम्पन्न


ब्यूरो रिपोर्ट प्रमिला नेताम
केशकाल/हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर अध्यापक एसोसिएशन केसकाल और तुलसी मानस प्रतिष्ठान केसकाल के सयुंक्त प्रयास से कवि सम्मेलन का आयोजन जगन्नाथ मन्दिर सुरडोंगर में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गिरजा शंकर मिश्र सेवा निवृत्त प्राचार्य, अध्यक्ष-बलराम गौर, विशेष अतिथि- घनश्याम सिह नाग अध्यक्ष अध्यापक एसोसिएशन, जे आर नाग प्राचार्य शिशु मन्दिर केशकाल रहे।
प्रारम्भ में जगन्नाथ भगवान की आरती हुई,इस अवसर पर सभी अतिथियो और कविगणों का मांगलिक ,तिलक कर स्वागत अभिनन्दन आयोजकों के द्वारा किया गया।
श्रीमती रश्मि अग्निहोत्री ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की, इस अवसर पर बलराम गौर ने इस मन्दिर में गुरु जनों की गरिमा मय उपस्थिति को गोरव पूर्ण कहा,और तुलसी मानस प्रतिष्ठान के पदाधिकारी गणों को इस कार्यक्रम के सुन्दर आयोजन के लिए बधाई दी।
प्राचार्य जे आर नाग ने हिन्दी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज केवल भारत के साथ विश्व में बोली जाने वाली हिन्दी सबसे सरल भाषा है आज इसी भाषा में हम हजारो किताबो का अध्ययन करते है।
अध्यक्ष घनश्याम सिह नाग ने हिन्दी दिवस पर इस आयोजन हेतु सचिव लोकेश गायकवाड़ के सफल प्रयास की प्रसंशा की।
अध्यापको में इस प्रकार के साहित्य सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमो के आयोजन से एक नई चेतना जाग्रत होती है।
अध्यापको में छुपी हुई प्रतिभा को ही मंच प्रदान करने के लिए य़ह संस्था विगत 20 वर्षो से प्रयासरत है।
शासन प्रशासन के सहयोग के बिना ही शिक्षक साथियो के सहयोग से य़ह कार्यक्रम आज पूरे बस्तर संभाग में आयोजित हो रहा है इसके लिए आप सभी साधुवाद के पात्र है।
मुख्य अतिथि की आसंदी से जी.एस. मिश्र ने कहा कि केशकाल घाटी जिस प्रकार बस्तर की प्राणदायिनि है, उसी प्रकार अध्यापक गणों का य़ह मंच पूरे प्रदेश में एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर रहा है।
हिन्दी के बिना जीवन की रचंना अधूरी है,आज देश में विदेश में हिन्दी के जानकार बहुत सारे है हमे अपने देश के महान लोगों की अमृतवानी को याद रखना होगा ,जिसे भी उनके द्वारा हिन्दी भाषा में कहा गया है,मैं उन सभी लोगों के प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने जीवन में हमेशा हिन्दी भाषा का ही उपयोग किया है।
सुरेश राजोरिया ने हिन्दी भाषा के विषय पर सुन्दर कविता प्रस्तुत की और चंद घण्टे में केवल फोन से इस सफल आयोजन की सराहना की और सचिव के प्रति आभार व्यक्त किया।
अन्य कवि गणों में जागेशवर राठौर , मजुल घोड़ेशवर, जे.आर.नाग, घनश्याम सिह नाग आदि ने अपनी रचना प्रस्तुत किए और इस क्रम में काव्य रश्मि तथा सूलगता बस्तर की लेखिका श्रीमती रश्मि अग्निहोत्री ने अपनी सर्व सुन्दर रचना प्रस्तुत कर दर्शक दीर्घा का मन मोह लिया।
राजेश गन्धर्व ने राज सत्ता पर प्रहार कर व्यंग कसा जिस रचना की सबने तारीफ की और छत्तीसगढ़ की बोली में बासगीत प्रस्तुत कर खूब ताली बजवाई।
संचालनकर्ता गुप्तेश्वर बघेल ने केशकाल घाटी की सुन्दरता और आज की स्थिति में रचना प्रस्तुत की।
गजेंद्र सुरोजिया ने हिन्दी दिवस और आज के परिवेश में अपना विचार रखा।
डी.पी.साहू ने भी अपने विचार रखे।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन गुप्तेश्वर बघेल और लोकेश गायकवाड़ ने सयुंक्त रूप से किया और सभी अतिथि, कविगणों को ह्रदय से आभार व्यक्त किया।
आयोजन में गिरधर पांडे, ईश्वर राठौर,दसरथ पांडे, शिव यादव, दानेशवर देवांगन, शिव सागर आदि भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मुख्य प्रस्तुति मजुंल घोड़ेशवर द्वारा थाली को संतुलन बनाकर उंगली के सहारें प्रदर्शित किया जिसकी खूब सराहना हुई।

Related Articles

Back to top button