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हसदेव नदी का उद्गम स्थल मेण्ड्रा कोरिया छत्तीसगढ़

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हसदेव नदी का उद्गम स्थल मेण्ड्रा कोरिया छत्तीसगढ़

हसदेव नदी छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदी है। यह नदी छत्तीसगढ़ के बहुत सारे जिलों में बहती है और उनकी भूमि को सिंचित करती है। हसदेव नदी छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से निकलती है। यह कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान से निकलती है। हसदेव नदी के उद्गम स्थल को आप दो भागों में देख सकते हैं। यहां पर धार्मिक उद्गम स्थल और भौगोलिक उद्गम स्थल दोनों ही अलग-अलग है। हसदेव नदी जांजगीर-चांपा जिले में सिलादेही नाम की जगह में महानदी से मिल जाती है, अर्थात हसदेव नदी का महानदी से संगम हो जाता है और हसदेव नदी की यात्रा यहां पर समाप्त हो जाती है।

हसदेव नदी के उद्गम स्थल को दो हिस्सों में देख सकते हैं। एक हिस्सा धार्मिक स्थल है और एक हिस्सा भौगोलिक स्थल है। धार्मिक स्थल में हसदेव नदी एक ठूठे निकली है। यहां पर सरई पेड़ का एक ठूठे है, जो पूरी तरह से नष्ट हो गया है और इसी पेड़ के अंदर से हसदेव नदी निकली है। हसदेव नदी इस पेड़ के अंदर से बुलबुलों के माध्यम से निकलती है और यहां से आगे बहती है। यह नदी पतली सी धार में बहते हुए आगे जाकर बहुत बड़ी नदी का रूप धारण कर लेती है। यहां पर आपको बहुत सारे छोटे छोटे कुंड देखने के लिए मिलते हैं, जहां से पानी बहता है। यहां पर आपको शंकर जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। शंकर जी के मंदिर के अंदर गर्म ग्रह में शिवलिंग विराजमान है।

हसदेव नदी के उद्गम स्थल का विकास हो रहा है। यह जगह कोरिया जिले में सोनहत तहसील में मंडला कला गांव में स्थित है। आप यहां पर आकर हसदेव नदी का उद्गम स्थल देख सकते हैं, कि वह कहां से निकलती है। इस जगह के चारों तरफ आपको सुंदर खेत और गुरु घासीदास नेशनल पार्क का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिल जाता है। इस जगह से गुरु घासीदास नेशनल पार्क करीब 5 किलोमीटर दूर है। हसदेव नदी का भौगोलिक स्थल घासीदास नेशनल पार्क के अंदर है।

हसदेव नदी का भौगोलिक उद्गम स्थल गुरु घासीदास नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। हसदेव नदी का भौगोलिक उद्गम स्थल में घूमने के लिए आपको थोड़ी सी ट्रेकिंग करनी पड़ती है, क्योंकि यह जगह गुरु घासीदास नेशनल पार्क के जंगल के अंदर स्थित है। मुख्य सड़क से कुछ दूरी पर आपको जाना पड़ता है। आप गुरु घासीदास नेशनल पार्क में प्रवेश करते हैं। कुछ ही दूरी पर आपको बोर्ड देखने के लिए मिलता है। यह पर आप को दिशा निर्देश दिए रहते हैं। आप उस बोर्ड को फॉलो करते हुए हसदेव नदी के भौगोलिक उद्गम स्थल की तरफ जा सकते हैं।

रास्ते में आपको वॉच टावर भी देखने के लिए मिलता है। इस वॉच टावर से आपको चारों तरफ का सुंदरता देखने के लिए मिलता है। यहां पर चारों तरफ पर्वतों, पहाड़ियों, जंगलों और पेड़ पौधों का सुंदर दृश्य रहता है। यहां पर आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा और बहुत शांति मिलेगी। यहां की जो प्राकृतिक सुंदरता है। वह आपको यहां से जाने नहीं देगी। आप वॉच टावर में व्यू देखने के बाद आगे बढ़ेंगे, आगे का जो रास्ता है। वह थोड़ा जटिल है, क्योंकि यह रास्ता पूरी तरह से पथरीला और जंगल से घिरा हुआ है।

यहां पर रास्ते में जंगली झड़ी उग जाती हैं, जिससे नए आने वाले व्यक्ति भटक सकते हैं। अगर आप यहां पर पहली बार आ रहे हैं, तो आप अपने साथ गाइड या कोई ग्रामीण वासी को जरूर लेकर आएं, जिन्हें इस जगह की जानकारी हो, जो आपको इस जगह आने में मदद कर सकें। अगर आप यहां पर आ चुके हैं, तो आप यहां पर आ सकते हैं। आप इस रास्ते में आगे बढ़ते हैं।

आप हसदेव नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचेंगे, तो आपको एक सुंदर झरना देखने के लिए मिलता है। यह झरना बरसात के समय ही बहता है। गर्मी के समय यह झरना सूख जाता है। मगर यहां पर कुंड में हमेशा पानी रहता है। यह पानी साफ और शुद्ध है। यहां का जो वातावरण है। वह बहुत अच्छा और शांत है। आप यहां पर आकर शांति का अनुभव करेंगे। यहां पर बरसात के समय झरना देखने के लिए मिलता है। यह झरना बहुत ऊंचा है और ऊंची चट्टानों से नीचे गिरता है। यह बहुत ऊंची पहाड़ी है और आपको झरने के ऊपर एक छोटी सी गुफा भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर आकर अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है।

हसदेव नदी की लंबाई कितनी है – लग भग 210 किलोमीटर है

हसदेव नदी में बनने वाले मुख्य झरने –

हसदेव नदी में कोरिया जिले में दो झरने बनते हैं – पहला झरना है गौरी घाट झरना, और दूसरा अमृतधारा झरना। यह दोनों झरने घने जंगल के बीच में स्थित है।

हसदेव नदी के मुख्य बांध एवं परियोजनाएं –

हसदेव नदी में कोरबा जिले में मिनीमाता बांगो बांध बना हुआ है। यह हसदेव नदी में बना हुआ प्रमुख बांध है और यह बांध छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख परियोजना है। कोरबा जिले में ही हसदेव नदी पर दारी बैराज भी बना हुआ है। जांजगीर चांपा जिले में कुदरी बैराज बना हुआ है।

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