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हर गांव में शराब भट्टी – क्यो न हर गांव में खोली जाये नशामुक्ति केंद्र…!

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ब्यूरो रिपोर्ट सीता टंडन

हर गांव में शराब भट्टी – क्यो न हर गांव में खोली जाये नशामुक्ति केंद्र…!

अकलतरा विधायक सौरभ सिंह के द्वारा जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर चेतावनी दी गई है कि सात दिन के भीतर अर्जुनी में शराब भट्टी बंद नहीं की जाती है तो वे चक्का जाम और उग्र आंदोलन करेंगे । यह सच भी है कि आज शराब के कारण अनेक घर बर्बाद हो रहे हैं लेकिन फिर भी शराबी शराब से तौबा नहीं कर रहे हैं और ना ही सरकार शराब दुकान खोलने से तौबा कर रही है । बातें करतें-करते थोड़ी चर्चा बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतो पर भी लाजिमी है । इन मौतों से शराबबंदी और शराब की अवैध बिक्री पर बहस छेड़ दी है । खासकर नीतीश कुमार उर्फ सुशासन कुमार ने सीधे कह दिया है कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर सुशासन बाबू की सुशासित सरकार कोई मुआवजा नहीं देगी । बिल्कुल सही परंतु नीतीश कुमार की सुशासित सरकार को यह भी गंभीरता से सोचना चाहिए कि शराबबंदी के बाद इतनी मात्रा में शराब बिहार में आयी कैसे ? खैर यह हम चर्चा कर रहे थे कि भाजपा सरकार के शासन काल में खोली शराब दुकानो को बंद करने की शपथ लेकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार गांव गांव में शराब भट्टी खोल रही है उसके परिणाम पर हमारे द्वारा कुछ लोगों से बात की गयी है । इसमें सबसे आहत महिलाएं हैं क्योंकि शराब पीने के दुष्परिणाम को सबसे ज्यादा महिलाएं ही झेलती है लेकिन क्या सरकार अचानक ही शराब बंदी कर सकती है अचानक बंद होने से इसका परिणाम बड़ा ही भयंकर हो सकता है जैसा कि हमने अभी बिहार में देखा है और साथ ही जैसा कि जिला कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने अर्जुनी की आंदोलनरत महिलाओं से अनौपचारिक चर्चा में कहा था । गुजरात में ड्राई स्टेट होने के बावजूद हर वर्ष सैकड़ों लोगों की मौत शराब से होती है । बिहार का उदाहरण भी हमारे सामने है जहां रोज मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं । कारण यह है कि शराब बंद होने के कारण अवैध शराब की बिक्री बढ़ गई है इसके साथ साथ शराब महंगी हो गई है और शासन पर इसका नियंत्रण नहीं रहा है और अपराध भी बढ़ गये । छत्तीसगढ़ में भी यही सब होगा अगर शराबबंदी होती है लेकिन अगर शराबी स्वयं शराब छोड़ दें तो शराब भट्टी खुद-ब-खुद बंद हो जायेगी परंतु यह होगा कैसे ? विभिन्न संगठनों और संस्थाओं द्वारा नशामुक्ति हेतु जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है । इसके अलावा शासन यदि हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नशा मुक्ति केंद्र खोल दे तो इससे शराब की आदत छुड़ाई जा सकती है । नशा मुक्ति केंद्र या तो निजी संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हैं या फिर केवल बड़े जिलों में है जिससे शराबियों के गरीब परिजनों को शराबी को शराब छुड़ाने जिला ले जाना टेढ़ी खीर लगती है लेकिन इसकी बनिस्बत अगर हर विकास खंड में एक नशा मुक्ति केंद्र हो तो ग्रामीण महिलाएं भी आसानी से नशा मुक्ति केंद्र पहुंचकर अपने शराबी पति और युवा बच्चों को इस गंदी लत से दूर कर सकती है आज शासन द्वारा ग्रामीणों के लिए हर गांव में गोठान योजना चला रही है जिससे शासन का करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया गया है और इस योजना में सरपंच सचिव और अधिकारी ही फायदा उठा रहे हैं लेकिन हर विकासखंड में नशामुक्ति केंद्र खुल जाने से कुछ लोगों को रोजगार के साथ प्रदेश में नशा की समस्या से भी काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है । महिलाएं पति और युवा बेटों की शराब छुड़ाने विकासखंड तक तो जा ही सकती है और यदि नशामुक्ति केंद्र अपना काम ईमानदारी से करें तो बहुत सारे शराबियो से शराब छुड़वाई जा सकती है । अगर छत्तीसगढ़ सरकार हर गांव के लिए गोठान योजना को अस्तित्व में ला सकती है तो हर विकासखंड में नशामुक्ति केंद्र क्यो नही खोल सकती है । छत्तीसगढ़ शासन को इस योजना को अस्तित्व में लाने विचार करना चाहिए । खासकर बिहार में घटी घटना और गुजरात में शराबबंदी के बाद भी जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों को देखते हुए शासन हर विकास खंड में नशामुक्ति केंद्र अवश्य खोला जाना चाहिए ।

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