अपराधछत्तीसगढ़

साधुओं और व्यापारियों को पीटते लोग….
देश की धर्म भीरू जनता का नया चेहरा….

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ब्यूरो रिपोर्ट सीता टंडन

साधुओं और व्यापारियों को पीटते लोग….
देश की धर्म भीरू जनता का नया चेहरा….

अमन और शांति से गुजर गया परंतु इस अमन और शांति में थोड़ी बाधा तो आनी थी परंतु वह काजल की थोड़ी सी लीक के बराबर थी जो एस पी जांजगीर और थाना प्रभारी अकलतरा के लिए राहत की बात थी । काजल की लीक से याद आया । कहा जाता है कि राजनीति काजल की वह कोठरी है जिसमें जानें वाले को काजल की एक लीक लग ही जाती है । दूसरा मामला जो अभी पूरे प्रदेश गुंज रहा है निस्संदेह यह पूरे देश में भी गूंजेगा दूर्ग जिले के भिलाई चरोदा में चार राजस्थानी साधुओं को कुछ शराबियों ने पैसे न देने के कारण पीटा और लोगों को उन्हें बच्चा चुराने वाला कहकर पिटवाया । उन चार साधुओं को यह धमकी भी दी गई थी कि अगर उन्होंने रुपए नहीं दिए तो लोगों के सामने बच्चा चोर बताया जायेगा परन्तु सच्चे साधुओं को शायद पता नहीं था कि आम जनता जिसे धर्म भीरु माना जाता है वह धर्म-भीरू से ज्यादा कर्ण-भीरु है इसलिए उस धर्म भीरु जनता ने उन शराबियों की बातों में आकर उन सच्चे साधुओं को पीटा बिना ये सोचे कि ये साधु हमारी संस्कृति और परंपरा में अति आदरणीय है साथ ही ये साधु हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है जिसे बिना नागा किये निभा रहे हैं । कई सदियो से इन राजस्थानी साधुओं जिन्हें हम स्थानीय भाषा में गोदरिया जिसका अर्थ होता है जो कपड़े और भोजन मांगता है , उन्हें निर्दयता से पीटा । ये धर्म भीरु जनता काश उस दिन सचमुच धर्म भीरु बन जाती तो छत्तीसगढ़ के माथे पर साधुओं को पीटने का कलंक नहीं लगता । इस घटनाक्रम के बाद दूर्ग में ही बाहर से आये कपड़ा व्यापारियों को भी बच्चा चोर समझकर या शायद समझाकर पीटा गया इस विषय में पुलिस विभाग द्वारा लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति पर संदेह होने पर पुलिस को सूचना दे और ये बातें अफवाह है लेकिन आम जनता की आड़ में और उनकी कान के कच्चे होने का फायदा उठाकर बाहरी और हो सकता है स्थानीय , लोगों को पीट रहे हैं और पीटवा रहे हैं । साधुओं को पीटने वाले मामले में अच्छा तो यह हुआ कि ये हूड़दंगी मुसलमान नहीं थे । आज जो शासन को कानून व्यवस्था के लिए पानी पी- पी कर कोसा जा रहा है वह क्या रंग लेता भगवान ही जाने । साधुओं को पीटने वाले शराबियों को न धर्म का ज्ञान था है और न ही धर्म का डर उसी तरह धर्म के नाम पर हूड़दंगी करने वाले और उस को बढ़ावा देने वाले साथ ही इन मामलों में हाथ सेंकने वाले न तो धर्म को धारण करते हैं और न ही धर्म का आदर करते हैं दरअसल ये वे लोग हैं जिनकी अपनी कोई क्षमता नहीं है न खुद के जीवन को चलाने की और न ही परिवार को चलाने की इसलिए ऐसे लोग धर्म के नाम पर , बाहरी होने के नाम पर हिंसा फैलाते हैं और हमारे देश की धर्मभीरू कहीं जाने वाली जनता ऐसे समय में ऐसा उग्र रूप धारण कर लेती हैं कि ऐसा लगता है ये भी अपने जीवन में मिली असफलता /तकलीफ और सबसे बड़ी बात भ्रष्ट तंत्र में पिस रही जिंदगी का आक्रोश निरीह लोगों को पीट कर निकाल रही है । ये लोग न आम जनता है न इंसान ही इंसान इसलिए ऐसे हूड़दंगियो को इंसानियत और मानवता के धर्म से बहिष्कृत कर देना चाहिए ।

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