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संसद में पिछले पांच वर्षों में नौ सांसदों ने एक भी शब्द नहीं बोला. इनमें सनी देओल और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे चर्चित नेताओं के नाम शामिल

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संसद में पिछले पांच वर्षों में नौ सांसदों ने एक भी शब्द नहीं बोला. इनमें सनी देओल और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे चर्चित नेताओं के नाम शामिल
 देश की संसद देशवासियों की आवाज कही जाती है. भारत के हर हिस्से से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की जरूरतें, उनकी आवाज को देश की इस सबसे बड़ी पंचायत में बुलंद करते हैं. हालांकि, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संसद में नौ ऐसे भी सांसद हैं, जिन्होंने 5 वर्षों में एक बार भी नहीं बोला है. इनमें अभिनेता सनी देओल का नाम भी शामिल है जो अपने दमदार डायलॉग्स के लिए मशहूर हैं.

संसद का बजट सत्र संपन्न होने के साथ ही 17वीं लोकसभा का आखिरी सत्र संपन्न हो गया. लोकसभा के 543 सांसदों में से सनी देओल के अलावा दूसरे सांसद जिन्होंने संसद की कार्यवाही में न ‌के बराबर भाग लिया, उनमें प्रमुख नाम पूर्व मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा का है. वह सदन में ‘खामोश’ बने रहे.

इन सांसदों ने भी साधी चुप्पी

संसदीय कार्यवाही के दौरान एक भी शब्द नहीं बोलने वाले नेताओं में बंगाल से टीएमसी सांसद दिब्येंदु अधिकारी, कर्नाटक से बीजेपी सांसद और पूर्व राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े, बीजेपी सांसद वी श्रीनिवास प्रसाद और बीजेपी सांसद बी एन बचे गौड़ा शामिल हैं.

सनी देओल भी पंजाब से बीजेपी सांसद हैं. असम से बीजेपी सांसद प्रदान बरुआ भी उन सांसदों में से हैं, जिन्होंने लोकसभा के अपने पांच साल के कार्यकाल में सदन में एक शब्द भी नहीं बोला.

इन लोगों ने किसी भी संबोधन और चर्चा में भाग नहीं लिया. हालांकि, उपरोक्त सांसदों ने भले मौखिक रूप से कोई भागीदारी न दिखाई हो, लेकिन लिखित रूप से भागीदारी जरूर दिखाई. इन लोगों ने लिखित सवाल दिए थे.

शत्रुघ्न सिन्हा लिखित रूप से भी सदन की कार्यवाही में नहीं हुए शामिल

उपरोक्त सांसदों के अलावा संसद में तीन सांसद ऐसे भी थे, जिन्होंने सदन में लिखित या मौखिक किसी भी रूप में अपनी भागीदारी दर्ज नहीं कराई. इनमें बीजेपी छोड़कर तृणमूल में शामिल होने के बाद आसनसोल से सांसद बने शत्रुघ्न सिन्हा, यूपी से बीएसपी सांसद अतुल राय और कर्नाटक से बीजेपी सांसद और पूर्व राज्य मंत्री रमेश सी जिगजिगानी शामिल हैं.

बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के संसद सदस्यता से इस्तीफा दे देने के बाद आसनसोल के उपचुनाव में 2022 में चुने गए थे. वहीं राय लोकसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद आपराधिक मामले में जेल चले गए, जहां से उनकी चार साल बाद पिछले साल 2023 के अगस्त में ही रिहाई हुई है. जबकि जिगजिगानी खराब सेहत की वजह से सदन में सक्रिय नहीं रह पाए हैं.

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