छत्तीसगढ़

विधानसभा के चुनावी महासमर को अब मुश्किल से सालभर भी नहीं… पदासीन विधायकों की सक्रियता बढ़ गई…!

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ब्यूरो रिपोर्ट सीता टंडन

विधानसभा के चुनावी महासमर को अब मुश्किल से सालभर भी नहीं… पदासीन विधायकों की सक्रियता बढ़ गई…!

विधानसभा के चुनावी महासमर को अब मुश्किल से सालभर भी नहीं है । पदासीन विधायकों की सक्रियता बढ़ गई है वहीं गैर पदासीन हारे उम्मीदवारों और साथ ही नये उम्मीदवार भी अपने अपने क्षेत्रों में सतत नजर आ रहे हैं और जनता जनार्दन का मन टटोलने के साथ मन जीतने की कोशिश कर रहे हैं । चार साल तक निरीह बनकर जी रहीं जनता अब जनता जनार्दन बनकर चार साल में एक बार आने वाले फरवरी के 29 तारीख की तरह दूर्लभ हो रही हैं । सत्ता- सुंदरी के रूप-गुण-सौंदर्य को सभी भोगना चाहते हैं पर इसे साधना सबके बस की बात नहीं है सबसे पहले बात करते हैं वर्तमान विधायक सौरभ सिंह की , तेज तर्रार और प्रखर मेधा के धनी विधायक सौरभ सिंह दो विधानसभा चुनाव लड़ें और दोनों बार विजयी रहे और अपने विधानसभा क्षेत्र में लगातार सक्रिय भागीदारी निभाते रहे हैं । जब वे पहली बार चुनाव जीते तब इस जीत को विरासत में मिला राजनीतिक परिवार का प्रभाव माना गया और यह कुछ हद तक सही भी हो सकता है लेकिन जब वे दूसरी बार चुनाव जीते तो लोगों ने माना कि राजनीति भले ही उन्हें विरासत में मिली हो पर उन्होंने अकलतरा की राजनीति में अपना कद्दावर कद अपनी मेहनत , सूझ-बूझ और अपनी अपूर्व मेधा शक्ति से बनाया है और अकलतरा भाजपा में उनकी मर्जी बगैर उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है ।

एक पोर्टल पत्रकार ने कयास लगाया था कि भाजपा की पूर्वगामी रणनीतियों को देखते हुए इस बार भाजपा विधायक सौरभ सिंह को चुनाव में नहीं उतारेगी । अकलतरा में इस लेख पर अच्छी बुरी व्यापक प्रतिक्रिया हुई थी । अकलतरा के कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि जांजगीर लोकसभा में दो बार की जीती प्रत्याशी पूर्व जांजगीर लोकसभा सांसद कमला देवी पाटले का उदाहरण सामने है साथ ही वर्तमान लोकसभा सांसद गुहाराम अजगल्ले को भी दो बार लोकसभा सांसद रहते हुए कमला देवी पाटले को मौका दिया गया था इसलिए संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह की रणनीति भी किसे कहां फिट करेंगी , समझा नहीं जा सकता है और परंतु जो लोग विधायक अकलतरा सौरभ सिंह के दम-खम और विराट राजनैतिक व्यक्तित्व से परिचित हैं उन्हें भरोसा है कि इस चुनावी- स्वयंवर में सत्ता-सुंदरी फिर उनके ही गले में वरमाला डालेगी फिलहाल अकलतरा भाजपा में ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है जिसे भाजपा अपना चेहरा बनाकर मैदान में उतर सके । विधायक अकलतरा ने अपने कार्यकाल में कुछ विशेष कार्यो को महत्ता देकर उसे करवाया है जो लोगों के ह्रदय तक दस्तक दे सके । उनकी सबसे महत्वाकांक्षी योजना है युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाना जिसके लिए उन्होंने अकलतरा के अलावा अनेक गांवो में युवाओं के मानसिक , शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिए पुस्तकालय और जिम खुलवाये और किसानों की खेती का आधार सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करवाया । समस्याओं पर आक्रामक हो जाने वाले अकलतरा विधायक पोड़ी भाटा कांड पर भावुक भी दिखे । जहरीली शराब से 15 वर्षीय किशोर कोल बालक के घर जाना ये चीजें उनके सामाजिक सरोकार को बताती है और निसंदेह ये सामाजिक सरोकार उन्हें जनता से सीधे जोड़ती है परन्तु अकलतरा की सड़क का मुद्दा उनकी तकलीफ बढा़येगा । आज अकलतरा वासी सबसे ज्यादा किसी समस्या से परेशान हैं तो वो है सड़क । एक-दूसरे से पूछते है कि सभी क्षेत्रों में सक्रिय रहने वाले विधायक अकलतरा की सड़कों के लिए इतने निष्क्रिय क्यो है ? क्यो अधिकारी और ठेकेदार इतनी मनमानी पर उतारू है । अकलतरा में सड़क एक ऐसा मुद्दा है जिस पर लोग अंदर से खौल रहे हैं और यह भी हो सकता है कि अकलतरा की सड़क का मुद्दा उनके चुनावी समर में कोई अचूक ब्रह्मास्त्र की भूमिका निभा दे और वो किस तरह चलाया जायेगा ये विधायक अकलतरा ही जानते हैं । दूसरा बड़ा मुद्दा है रेल का परिचालन में अकलतरा की जो उपेक्षा हुई है उससे अकलतरा वासी आहत हैं हालांकि यह केन्द्र सरकार का विषय है परंतु इस मामले पर विधायक अकलतरा का मौन लोगों को चुभ रहा है । फिलहाल देखना है , इस चुनावी महासमर में क्या-क्या होता है।

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