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वन मंडलाधिकारी के संरक्षण में बलौदा के जंगलों में माफियाओं की चांदी

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वन मंडलाधिकारी के संरक्षण में बलौदा के जंगलों में माफियाओं की चांदी

जांजगीर-चाम्पा। वन मण्डल चाम्पा अंतर्गत बलौद क्षेत्र में वनों की जहां अवैध तस्करी की जा रही हैं वहीं इन वनो में रहने वाले वन्य जीवों का जीवन संकट में नजर आने लगा हैं जिसे जंगल में पिकनिक मनाने वाले लोग शिकार कर अपना आहार बनाते हैं किन्तु विभागीय अमला इसे रोक पाने में नाकाम हैं जिनके गतिविधियों से आज जंगलों मे वन्य जीवों पर संकट के बादल छाने लगी है यहां सक्ती तथा बलौदा विकास खण्ड में ही जंगल हैं वर्तमान में जिले में जिस तरह से वनो का विनाश किया गया गया हैं इससे केवल ५ प्रतिशत ही जंगल जिले में बचे हुए हैं, जिस पर वन माफियाओं की नजर पड़ चुकी हैं और वे समय-समय पर इन जंगलो को अपना शिकार बनाते हैं विशेषकर बलौदा विकासखण्ड में जो जंगल बचे हुए हैं वह महत्वपूर्ण हैं जिसे पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी माना जाता हैं लेकिन पंतोरा एवं उसके आसपास जंगल लगातार उजडऩे लगे हैं यहां वन माफियाओं द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर लकडिय़ों की अवैध तस्करी की जाती है जिससे घने जंगल अब धीरे- धीरे उजडऩे लगे हैं।

वन विभाग द्वारा यहां प्रत्येक वर्ष वनों की सुरक्षा व संरक्षण तथा विस्तार के लिए कारोड़ो रूपये खर्च किया जाता इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद जंगलो के स्वरूप मे लगातार बढ़ोतरी होना चाहिए था, कहने का अर्थ यह हेै कि जंगलों में पेड़ों की संख्या बढऩी चाहिए थी और इसमें वन्य जीवों में भी इजाफा होना चाहिए था लेकिन यहां ठीक इसके विपरीत हो रहा है,इस दिशा में अच्छे परिणाम नजर नही आ रहें हैं । लगातार पुराने पेड़ काटे जा रहें हैं और घने जंगल अब झाडिय़ों में तब्दिल होने लगा हैं। इतना ही नहीं बल्कि इन जंगलो में विचरण करने वाले वन्य जीव हिरण, कोटरी, खरगोस, वन बरहा आदि सब जीव जन्तु विलुप्त होने लगे है जिसे लोग जब चाहे तब शिकार कर अपना आहार बना रहे हैं। बलौदा क्षेत्र में वैसे तो रेंजर एवं तमाम अधिकारी शासन ने पदस्थ की है,ताकि जल, जंगल, जमीन तथ वन्य जीवों की सुरक्षा हो सके,लेकिन यहां जो भी अधिकारी आते हैं वे केवल अपनी जेब भरने में ही मशगुल रहते है जिनके लालच भरे कार्य से वन अधिकारियों से सांठ गांठ कर वन संम्पदा को भारी मात्रा में माफिया नुक्सान पहुंचा कर इसे उजाडऩे में लगे हैं। इस बड़े जंगल में आपको ठूठों की तादात जगह-जगह नजर आ जायेगी जो पुराने बड़े पेड़ों की कटाई कर ले जा रहे है जिसके बदले मे रेंजर व डिप्टी रेंजर मालामाल हो रहे है। इस दिशा मे जांच कराया जाना अति आवश्यक है नहीं तो बचे खुचे जंगल भी साफ हो जायेंगे।
बताया जाता हैं कि यहां जो भी वन अधिकारी आते हैं वे विशेष पहुंच पर ही इस जगह की पोस्टिंग पाते हैं। क्योकि बलौदा क्षेत्र में ही जिले का सबसे अधिक वन क्षेत्र है जो पदस्थ होते ही यहंा से करोड़ो रूपये कमा लेते हैं। इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा हैं क्योकि विगत १० वर्षो के अंतराल में ही यहां के घने जंगल, झाडिय़ों में लगातार तब्दिल होते जा रहे हैं जो इस बात की पुष्टी करता हैं। सबसे दुखद बात यह हैं कि आजकल लोग छाता जंगल व पंतोरा के जंगल मेंं पिकनिक मनाने जाने लगे हैं यहां पिकनिक मनाने वाले लोग यहां के वन्य जीवों का शिकार करते हैं ऐसा क्षेत्र के लोगों का कहना हैं परन्तु ऐसे अवैध कृ त्य करने वाले लोगों पर वन विभाग के अधिकारी अंकुश लगा पाने में नाकाम हैं। जिनके इस उदासीनता भरे कार्य से जल ,जंगल,जमीन के साथ वन्य जीव जन्तु भी सीमटने लगी हैं,जो पर्यावरण बचाव के साथ-साथ इनकी सुरक्षा व संरक्षण की दिशा में नाकामयाबी नजर आती हैं। इसलिए वनविभाग के बड़े अधिकारी को बलौदा में पदस्थ अधिकारियों की कार्य शैली पर नजर रखने की जरूरत हैं। जो रूपयों की चाह में और भी नुक्सान इसे पहुंचा सकतें हैं।

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