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मुआवजे के लिए कागज पर मौत,,,,, खुद को जिंदा साबित करने भटक रही वृद्धा,,,, SP से बोली चक्कर काटकर थक गई हूं, अब न्याय चाहिए

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मुआवजे के लिए कागज पर मौत: खुद को जिंदा साबित करने भटक रही वृद्धा; SP से बोली- चक्कर काटकर थक गई हूं, अब न्याय चाहिए

छत्तीसगढ़ के जांजगीर में खुद को जिंदा साबित करने के लिए 72 साल की एक वृद्धा एक साल से अफसरों और दफ्तरों के चक्कर काट रही है। जिले के राजस्व दफ्तरों में उसे मृत घोषित कर मुआवजे की राशि हड़प ली गई है। महिला का आरोप है कि गांव के लोगों ने ही यह साजिश की है। उसका कहना है कि उसकी जमीन के अधिग्रहण के बाद प्लांट से 11 लाख रुपए से ज्यादा का मुआवजा मिला था। वृद्धा अपने जीवित होने का प्रमाण देने SP ऑफिस पहुंची थी।

दरअसल, बिर्रा थाना क्षेत्र के सिलादेही गांव निवासी खीख बाई लभुवा (72) SP दफ्तार ज्ञापन देने पहुंची। वहां उसने बताया कि गांव में खसरा नंबर 168/3, 254/3, 569/1 में रकबा क्रमश: 0.081, 0.243 और 0.150 हेक्टेयर उसके पिता की जमीन है। इकलौती संतान होने के कारण मायके की अकेली वारिस है। जमीन मोजर वेयर पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित की गई है। इसकी एवज में 6 जुलाई 2011 को 11 लाख 81 हजार 744 रुपए मुआवजा स्वीकृत हुआ था।

पूर्व सरपंच, जनपद सदस्य, आरोप पटवारी पर मिलीभगत का

वृद्धा खीखा बाई का आरोप है कि शासकीय दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर गांव के हुसराम यादव, दौलतराम यादव और गंगाराम ने अप्रैल 2016 को मृत होने का आदेश कराकर अपना नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज करा ली। इसके बाद मई 2016 में मुआवजे की राशि हड़प ली। आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन पटवारी रेशमलाल चंद्रा, पूर्व सरपंच रामखिलावन तिवारी, होरीलाल कलार, जनपद सदस्य घनश्याम पटेल और कोटवार आगरदास की भी मिलीभगत है।

एक साल पहले महिला को मुआवजा वितरण का पता चला

महिला ने SP को बताया कि गांव के लोगों के माध्यम से करीब साल भर पहले जब उसे मुआवजा वितरण की जानकारी मिली। तब से वह भूअर्जन शाखा और अन्य विभागों के चक्कर काट रही है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। इसके बाद वह अब पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची और SP से बोली- साहब चक्कर काटकर थक गई हूं, अब न्याय चाहिए। वही SP डॉ. अभिषेक पल्लव ने भी उसे पूरे मामले की जांच और कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

जिस जमीन का मुआवजा मिला उस पर खेती कर रही खीखबाई ने बताया कि वह अपने मायके से मिली जमीन पर अभी भी खेती किसानी कर रही है। उसके बेटे रोजी मजदूरी के लिए हर साल दूसरे राज्य चले जाते हैं और कुछ दिनों के लिए वापस आते हैं। इसके चलते कानूनी दांव-पेंच और उसके साथ हुई ठगी की जानकारी उन्हें नही मिली। साल 2012-13 में बिर्रा क्षेत्र में 1320 मेगावॉट के बिजली प्लांट के लिए कई गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। प्लांट अभी तक स्थापित नहीं हो सका है। इसके चलते किसानों ने अपनी जमीन पर फिर से खेती शुरू कर दी।

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