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महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब महिलाओं का मन, वचन ,कर्म से होगा वास्तविक सम्मान,आरती वैष्णव

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महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब महिलाओं का मन, वचन ,कर्म से होगा वास्तविक सम्मान आरती वैष्णव

मुस्कुराकर, दर्द भुलाकर,रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी हर पग को रोशन करने वाली,वो शक्ति है एक नारी।

महिला दिवस 2021 की शुभकामनाएं प्रति वर्ष की भांति इस बार भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा।

प्रत्येक वर्ष 08 मार्च के दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सामाजिक संगठनों और महिला संगठनों सरकारी – गैरसरकारी संगठनों की ओर से कई कार्यक्रम, बड़े समारोह, सम्मान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

पर क्या बास्तव में हम दिल से महिलाओ का सम्मान अपने दैनिक रोजमर्रा में कर पाते हैं यह प्रश्न आज भी विचारणीय है।चिंतनीय है,मनन योग्य है।

लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के दौर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिलाओं के नेतृत्व को एक पहचान और सम्मान देने का वक्त है।

बीते साल वैश्विक महामारी कोविड-19 के कहर से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। इस महामारी के दौर में कोरोना योद्धाओं ने अग्रिम पंक्ति में खड़े रहकर मानवीय सेवा की मिसाल भी पेश की।

इन कोरोना योद्धाओं में कई महिलाओं ने आगे बढ़कर अग्रिम मोर्चे पर सेवाएं दीं और अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया।

संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस में महिलाओं के नेतृत्व को समर्पित किया है

महिलाओं के अदृश्य संघर्ष को सलाम करने के लिए उनके सम्मान में, उन्हें समान अधिकार और सम्मान दिलाने के उद्देश्य के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए कई जायज कारण हैं।

महिला/स्त्री/नारी/औरत शब्द कुछ भी हो, मां/बहन/बेटी/पत्नी रिश्ता कोई सा भी हो वे हर जगह सम्मान की हकदार है।

चाहे वह शिक्षक/वकील/डॉक्टर/पत्रकार/सैनिक/सरकारी कर्मी/इंजीनियर जैसे किसी पेशे में हों या फिर गृहिणी ही क्यों न हों, समानता का अधिकार उन्हें भी उतना ही है, जितना की पुरुषों का है।

आधी आबादी के तौर पर महिलाएं हमारे समाज -जीवन का एक मजबूत आधार है।

महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना ही असंभव है। कई बार महिलाओं के साथ पेशेवर जिंदगी में भेदभाव होता है। घर-परिवार में भी कई दफा उन्हें समान हक और सम्मान नहीं मिल पाता है।

फिर वे जूझती हैं। संघर्ष कर करती हैं और इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में उनका ही सर्वाधिक योगदान है।

जी हां बहुत खुशी होती है जब इस एक दिन महिलाओँ का सम्मान होता है उनके कार्यों की सराहना होती है उन्हें सेल्यूट किया जाता है

उनके कर्तव्यों के निर्वहन करने पर गर्वित होकर उन्हें सम्मानित किया जाता है परन्त यह विचारणीय है कि समाज मे इस एक दिन की तरह हमेशा ही महिलाओं को इस तरह का सम्मान प्रदत्त किया जाता है

यह बहुत बड़ा प्रश्न है, क्योंकि जब वही महिलाएं समाज मे अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करने जाती है तो समाज का वही बड़ा सा टुकड़ा जो कभी उन्हें सम्म्मनित करते थे उसे ज़लील भी करते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि उसमें समाज मे छुपी कुछ बुराइयों को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन किया उस महिला ने सच लिखा तब ठीक द्रौपदी के तरह समूचे समाज के सामने ही उस महिला का चीरहरण भी किया जाता है

आप माने या न माने हमारा समाज आज भी चुप सी सहमी डरी हुई और मुंह बंद रखने वाली महिलाओं को ही पसंद करती

न कि सच को कहने लिखने वाली महिलाओं को जिस दिन समाज के बड़े वर्ग का स्वार्थ सिद्धि महिला के किसी एक गलती या ईमानदारी कह लें उससे टूट जाता है वही समाज को उस महिला को कटघरे में खड़े करने में देर नही करता है।

लेकिन हम महिलाएं उतने में भी एक दिन के सम्मान के अपनी जिंदगी की बहुत सारे पलों को आज भी जी ही लेतीं हैं।

अगर महिलाएं फूल बनकर सब कुछ सुशोभित कर सकती हैं तो वो चिंगारी बन गलत का खात्मा भी कर सकती है।

महिलाओं के सम्मान के साथ खेलने की हिमाकत आज का यह समाज भी करेगा तो वही दिन देखने तैयार रहें जैसे द्रौपदी के अपमान के बाद महाभारत हुआ था।

याद रखें हमारे शास्त्रों में लिखा गया है वह झूठ नही है….यत्र नार्यस्तु पूज्यंतेरमन्ते तत्र देवता

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