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भगवान विष्णु के इस मंदिर को नकटा मंदिर कहे जाने की कहानी,,,Vishnu Bhagwan Temple

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भगवान विष्णु के इस मंदिर को नकटा मंदिर कहे जाने की कहानी

(संवाददाता तरणी राठौर, भुपेंद्र देवांगन)

प्रदेश के जांजगीर में भगवान विष्णु का मंदिर है,जो हिन्दुओं की एक महान विरासत है। यह मंदिर जांजगीर चाम्पा जिले में प्रसिद्ध भीमा तालाब के पास स्थित है! भगवान विष्णु का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। जिसका निर्माण लगभग 12वीं शताब्दी में किया गया था। एक किवदन्ती के अनुसार प्राचीन समय में इस क्षेत्र में शासन करने वाला एक राजा था। उसकी एक रानी थी। उन दोनों के बीच में शिवरीनारायण और जांजगीर में भगवान विष्णु की मंदिर बनाने की प्रतिस्पर्धा हुई।शिवरीनारायण मंदिर का निर्माण रानी के द्वारा और जांजगीर के मंदिर का निर्माण राजा के द्वारा किया जाना निश्चित हुआ। इस प्रतिस्पर्धा में रानी की जीत होती है और बाद में भी राजा द्वारा जांजगीर क्षेत्र में मंदिर का निर्माण पूरा नहीं किया गया और मंदिर में कलश स्थापना का कार्य अधूरा रह गया। इस प्रकार मंदिर अधूरा होने के कारण मंदिर को नकटा मंदिर के नाम से भी जानते हैं। निर्माण कुन्ती पुत्र भीम ने किया है। यहां स्थित भीमा तालाब का निर्माण भी भीम के द्वारा किया गया है। एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर बनाने की प्रतियोगिता आयोजित हुआ। इस प्रतियोगिता में जांजगीर में भीम ने और शिवरीनारायण में विश्वकर्मा जी ने भगवान विष्णु के मंदिर को बनान प्रारंभ किया।मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी-हथौड़ी नीचे गिर जाती तब उसका हाथी उसे वापस लाकर तो दे देता है लेकिन जब दूसरी बार भीम की छेनी पास के तालाब में चली गयी, जिसे हाथी वापस नहीं ला पाता और सवेरा हो जाता है।भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुख होता है और गुस्से में आकर उसने हाथी के दो टुकड़े कर देता है। इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा देखी जा सकती है।चूंकि की यह वैष्णव मंदिर है, इस कारण यहां मुख्य रूप से भगवान विष्णु की प्रतिमा देखी जा सकती है। यहां स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति के चार हाथ है जिनमे फूल, शंख, चक्र और अभय धारण किये है। इनके अलावा यहां गन्धर्वो और देवी किन्नरों की दुर्लभ मूर्तियों को देखे जा सकते हैं।इस मंदिर के चारो ओर कई प्रतिमाएं बनी हुई है, ये प्रतिमाएं अत्यन्त सुन्दर और अलंकरण युक्त है। इन मूर्तियों को बनाने की विधि एवं कला को देखकर पता चलता हे कि उस समय मूर्तिकला कितनी उच्च कोटि की रही होगी।मंदिर के गर्भगृह के प्रवेशद्वार पर द्वार के दोनों तरफ मां गंगा और जमुना की प्रतिमा है और साथ में द्वारपाल जय और विजय की भी प्रतिमाएं एक एक तरफ है। इन मूर्तियों के अतिरिक्त भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमा भी विराजमान है। द्वार के दोनों पल्लों में भी चित्र अंकित की गई है।एक पल्ले में जहां श्री राम, सीता, लक्ष्मण, रावण तथा मृग को दर्शित किया गया है तो वहीं दूसरे पल्ले में सीताहरण के दृश्य को अंकित किया गया है। मंदिर में लंबोदर और तीन मुख वाले कुबेर जी का अंकन है। इसके साथ ही और बहुत सारे चित्रों का मंदिर मंदिर के दीवारों पर किया गया है। मंदिर के पास ही एक तालाब स्थित है, जिसे भीमा ताबाल कहा जाता है। किवदन्तियों के अनुसार इस तालाब का निर्माण पाण्डव पुत्र भीम ने किया हैं। कहा जाता है कि भीम ने अपने फावडे के केवल चार ही प्रहार से इस तालाब का निर्माण किया तथा यह भी कहा जाता है कि मंदिर बनाते समय इसी तालाब में भीम के औजार गिर गया था, जिसे खोजकर उनका हाथी नहीं ला पाया और मंदिर अधूरा रह गया और मंदिर का नाम नकटा मंदिर पड़ गया।

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