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ब्रह्मलीन बाबा भगतराम साहेब जी का 57 वा “अवतरण दिवस बाबा आनंद राम दरबार चकरभाटा में श्रदा भक्ति के साथ मनाया गया

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बिलासपुर सवितर्क न्यूज,कमल दूसेजा

ब्रह्मलीन बाबा भगतराम साहेब जी का 57 वा “अवतरण दिवस
बाबा आनंद राम दरबार चकरभाटा में श्रदा भक्ति के साथ मनाया गया

ब्रह्मलीन बाबा भगतराम जी का अवतरण “दिवस
बाबा आनंद राम दरबार में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
कार्यक्रम की शुरुआत रात 7:00 बजे बाबा आनंद राम बाबा भगतराम साहेब जी की मूर्ति पर माला पहना कर पूजा अर्चना करके की गई
इस अवसर पर एकादशी वाले बलराम भैया जी के द्वारा बाबा भगतराम जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया उनका जीवन परिचय बताया गया

6 जनवरी 1964 षटतिला एकादशी के दिन हांडी पारा रायपुर में एक बालक का जनम हुआ, जिसमे सबसे बड़ी बात है कि जनम लेते ही उसे संतो की गोद नसीब हुई और उसी भक्ति मार्ग में उनका जीवन आगे बढ़ा। ऐसी श्रीकृष्ण, सरस्वती माता और सतगुरु की अलौकिक कृपा की केवल 7 वर्ष की उम्र में
चकरभाटा बाबा आनंदराम दरबार में वो हारमोनियम बजा कर गुरुबाणी गाने और आसादीवार करने लगे । उनके छठी का नाम श्री आत्मप्रकाश रखा गया और श्री इंद्रकुमार के नाम से वे जाने जाने लगे, और भक्ति , संगीत , कीर्तन में आगे बढ़ते बढ़ते जब वे गाते तो लोग हैरान हो जाते और कहॉ कहाँ से लोग उनकी आवाज सुन कर आने लगते।

जब वे कीर्तन करते गुरुबाणी गाते तो उनके नेत्र बंद हो जाते, ध्यान लग जाता और कभी कभी आँसू बहने लगते और उनके इस प्रेममय कीर्तन को जो भी केवल एक बार ही सुनते वो व्यक्ति आकर्षित हो जाते। जीवन में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसने एक बार केवल उनकी वाणी को सुना हो और उसे आनंद न मिला हो । समय बीतता गया, उन्हें माता पिता सतगुरु बाबा आनंदराम जी का अपार आशीर्वाद और प्रेम प्राप्त हुआ और एक दिन 8 जून 1995 को बाबा आनंदराम साहब जी के ब्रह्मलीन होने पर श्री इंद्रकुमार जी को गुरु गादी पे सभी संत महात्माओं ने मिलकर गादीनशीन किया और फिर गुरु ग्रंथ साहिब जी से उनका परिवर्तित नाम पड़ा

श्री बाबा भगतराम जी उदासी* और उनकी यात्रा आरम्भ हुई गुरुगादी के द्वारा, उन्होंने कई परिवारों को भगवान की भक्ति से जोड़ा, कई परिवारों को नरक जाने से बचाया, कई लोगो को बुरी आदतों से बचाया और ऐसी ऐसी भक्ति, प्रेम, श्रद्धा, विश्वास की राह दिखाई । कई परिवारों को टूटने से बचाया। नरक की राहों पे जाने वालों को भक्ति के राह से जोड़ा।
।। गोपाल दामोदर दीनदयाल ।। दुखभंजन।। पूरन किरपाल।। इन पाँच अनमोल रत्नों के द्वारा देश विदेश के कई लोगों के दुख दूर किए और हरि नाम का चमत्कार आखों से दिखाया ।
इस तरह यदि संक्षेप में कहें तो उनका जीवन केवल दूसरों के भलाई के लिए था।
आखरी कुछ वर्षों में वैराग्य अवस्था में रहते थे।
उन्होने जो बातें कही वो केवल पूर्ण महात्मा या सिद्ध सन्त ही कह सकते हैं। जिनकी रिकार्डिग भी उपलब्ध है।

उन्होने कहा , मैं अगर अपनें वस्त्र अर्थात शरीर बदलूं तो आप शोक मत करना।
।।बहुत जनम बिछुरे थे माधव ।।
इह जनम तुमारे लेखे ।।
और
एक दो नहीं कई लोगों से कहा कि अब हम ये शरीर रुपी मकान खाली करेगे।
अन्तिम समय से दो दिन पहले उन्होंने वाट्सअप पर ये वचन अपनें आवाज में भेजे,
।। हउ रह ना सका बिन देखे प्रीतमा ।
अर्थात

अब मुझे अपने प्रीतम प्रभु के बिना रहा नहीं जाता ।
अन्तिम दिन भी शरीर में बड़ी तकलीफ के बाद भी श्री कृष्णधाम रायपुर में कीर्तन भजन श्रवण करने के बाद ही 19 फरवरी 2015 दिन गुरुवार को अपने प्रभु श्री कृष्ण भगवान के गोद में चले गए।
आज भी कई संगत को उनका अनुभव होता है।
सैकड़ों लोगों को सपनों में भी व भक्ति और आनंद की राह दिखाते हैं । दुख दूर करते हैं।सत्संग के लिए जगाते तक हैं। सच कहा है सतगुरू नें कि
।। गुरु मेरे संग सदा है नाले।।
उनकी जगह आज भी श्री कृष्णदास भक्ति व प्रेम का आनंद बरसा रहें हैं।
।।बाबा भगतराम साहब की जै।।
इस अवसर पर कृष्णा धाम कालीबाड़ी रायपुर से पधारे सुदामा भैया जी के द्वारा भक्ति भरे भजन गाय गए
बाबा आपकी याद आती है
बाबा हमारे दिल में रहते हैं
ऐसे कई मधुर भजन गाए गए
किशोर वाधवानी कुंदन डोडवानी के द्वारा भी भक्ति भरे भजन गाए गए
वसंशाह दरबार नागपुर से पधारे स्वामी केशव दास जी ने भी संगत को शुभ आशीष वचन दिए
एक भजन गाया
सब कुछ दिया है रोहाणी वारे ने साई वसंशाह ने
साई श्री कृष्ण दास जी के द्वारा ज्ञानवर्धक एक कथा सुनाई गई
कथा का शीर्षक था
श्री दरबार संत श्री कृष्ण दास जी ने अपने मुखार बिंद से एक पिता पुत्र का उदाहरण देते हुए कहा की पिता ने पुत्र से कहा कि गुरु का दर्शन जरुर कर के आना।पुत्र ने कहा अगर गुरु न मिले तो पिता ने कहा गुरु माता का दर्शन करके आना पुत्र ने कहा अगर वो भी न मिले तो पिता ने कहा तो वहाँ के किसी सेवक के दर्शन करके आना पुत्र ने कहा अगर वो भी न मिले तो पिता ने कहा तो बेटा आखिर में वहाँ जो कुत्ता रहता हो न उसका दर्शन करके आना!गुरु के स्थान की इतनी महिमा का वर्णन किया कार्यक्रम के आखिर में साईं कृष्ण दास जी के द्वारा भक्ति भरे भजन गाए गए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
स्वामी केशव दास जी का छाल पहनाकर फूल का गुलदस्ता देकर स्वागत एवं सम्मान किया गया पूज्य सिंधी पंचायत चकरभाठा के अध्यक्ष प्रकाश जेसवानी अपने सदस्यों के साथ संत साईं श्री कृष्ण दास जी का बलराम भैया जी का शाल पहनाकर फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मान किया
अंत में साईं कृष्ण दास बलराम भैया सुदामा भैया
जी के द्वारा केक काटा गया एवं बाबा जी का भोग लगाकर
भक्तों में वितरण किया गया
अरदास की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया
व भक्तजनों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भक्तजन बिलासपुर बिल्हा भाटापारा रायपुर दुर्ग कोरबा से पहुंचे थे
कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा आनंद राम दरबार सेवा समिति चकरभाटा बिलासपुर रायपुर कोरबा के सभी सदस्यों का एवं महिला समिति विशेष सहयोग रहा

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