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बसपा की सोशल इंजीनियरिंग से गड़बड़ाएगा विपक्षियों का गणित! टिकट वितरण को लेकर है चौंकाने वाला प्लान..!

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बसपा की सोशल इंजीनियरिंग से गड़बड़ाएगा विपक्षियों का गणित! टिकट वितरण को लेकर है चौंकाने वाला प्लान..!
बसपा की सोशल इंजीनियरिंग से विपक्षियों का गणित गड़बड़ा सकता है। टिकट वितरण में सभी जाति और धर्म को प्राथमिकता मिलने की चर्चा है। सपा का मुस्लिम और भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंध का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा और रालोद के बीच गठबंधन से बदले राजनीतिक समीकरण के दृष्टिगत बहुजन समाज पार्टी ने भी रणनीति तैयार कर ली है। इन दोनों दलों के जातीय समीकरण की काट के लिए बसपा सोशल इंजीनियरिंग के बूते चुनावी मैदान में ताल ठोकने के मूड में है। 
पार्टी के अलंबरदार भी हामी भर रहे हैं कि टिकट वितरण में सभी जाति और धर्म को साधने का प्रयास किया जाएगा। गौरतलब है कि बसपा ने साल 2007 के विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के जरिए अप्रत्याशित रूप से सत्ता हासिल कर ली थी। 
सियासी गलियारे में चर्चा है कि बसपा के सोशल इंजीनियरिंग के सूत्र से अन्य सियासी पार्टियों का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले बसपा प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची आने की उम्मीद है।

उधर, बसपा की इंडिया गठबंधन से करीबी बढ़ने की भी चर्चाएं आम हैं। सियासी दुनियादारों का अनुमान है कि चुनाव आचार संहिता लागू होते ही राजनीतिक हलके से चौंकाने वाली खबर आ सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत लगातार गिर रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा, रालोद समेत कई दलों के गठबंधन में शामिल रहकर बसपा ने उप्र की मात्र 10 सीटों पर ही सफलता हासिल की थी। 
इसके उपरांत 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को यूपी में लगभग एक करोड 18 लाख वोट ही मिले थे। गिरते वोट बैंक के लिए बसपा सुप्रीमो की जनता से दूरी को जिम्मेदार ठहराया गया। चर्चा यह भी है कि बसपा के कुछ सांसद असमंजस के चलते दूसरे दलों के संपर्क में हैं। 
इसके मद्देनजर बसपा हाईकमान नए सिरे से रणनीति बना रहा है। इन जुदा हालात में बसपा सुप्रीमो मायावती भी काफी गंभीर हैं। बसपा अपने पुराने एजेंडे पर लौटकर फिर से सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से लोकसभा चुनाव 2024 में आने की तैयारी कर रही है। 
 पार्टी एक सप्ताह के भीतर लोकसभा के कुछ प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करेंगी। अगर पश्चिम उप्र के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, बिजनौर, कैराना आदि लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की बात करें तो सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने डॉ. संजीव बालियान और सपा ने जाट समाज से ही हरेंद्र मालिक को लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा यहां से सैनी या ठाकुर को मौका देने के मूड में है। सैनी और ठाकुर भाजपा का कोर वोटर माना जाता है। एनडीए गठबंधन में बागपत लोकसभा सीट सीट रालोद ने डॉ. राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी बनाया है। बसपा इस सीट से गुर्जर या मुस्लिम को प्रत्याशी बनाने की तैयारी कर रही है। 
 कैराना सीट से भाजपा ने प्रदीप कुमार को और इंडिया गठबंधन से सपा ने इकरा हसन को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। कैराना सीट पर कश्यप समाज की आबादी अच्छी खासी है इसलिए बसपा कश्यप समाज और जाट समाज में लोकसभा प्रत्याशी तलाश रही है। बसपा ने अभी तक सहारनपुर लोकसभा सीट से माजिद अली को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। चूंकि बिजनौर लोकसभा सीट बसपा के खाते में रही है। इसलिए बसपा यहां से प्राथमिकता पर गुर्जर को लोकसभा प्रत्याशी बनाने का मन बनाए हुए है। ठाकुर समाज से नाम आने की चर्चा है।
मेरठ में दलित मुस्लिम की साढ़े आठ लाख वोट पर दांव बताया जा रहा है कि मेरठ- हापुड़ लोकसभा सीट से बसपा मुस्लिम, गुर्जर, प्रजापति में से किसी एक पर दांव लगाने की तैयारी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मेरठ- हापुड़ सीट से हाजी याकूब ने 581455 वोट हासिल किए थे। हार भी मात्र 4709 मतों से ही हुई थी।- मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर 19 लाख से अधिक मतदाता बताए जाते हैं। 
इनमें मुस्लिम साढ़े पांच लाख और दलित वोटर तीन लाख से अधिक हैं। कुल मिलाकर दलित और मुस्लिम मतों की संख्या साढ़े आठ लाख से अधिक हैं। बसपा इसी समीकरण के साथ मेरठ- हापुड़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को ही प्राथमिकता पर ले रही है। उधर, बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने पुरकाजी विधायक दलित समाज के अनिल कुमार को मंत्री बनाया है।
इनका कहना है
सोशल इंजीनियरिंग बसपा की प्राथमिकता में है। बसपा सभी जाति धर्म की पार्टी है। उप्र की अधिकतर लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों का चयन हो चुका है। पार्टी सुप्रीमो शीघ्र ही प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी करेंगी। – मुनकाद अली, राष्ट्रीय महासचिव, बसपा।

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