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प्रभु यीशु ने मृत्यु के बाद पुनः जी उठा इस महान आत्मा के जन्म के समय पूर्व देश के ज्योतिष शास्त्रीयों ने एक अद्भुत दीप्तियुक्त चलायमान तारा देखा था। कहा जाता है कि कई ज्योतिषी उस महान बालक के दर्शन करने हेतु भारी संख्या में वहां लोग पहुंचे थे

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बिलासपुर सवितर्क न्यूज सुरेश सिंह बैस

क्रिसमस ईसाई धर्म के प्रणेता यीशु के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाने वाला उत्सव है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यीशु का जन्म यहूदा प्रदेश के वेतन हम ग्राम में हुआ था यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि जो व्यक्ति आज से 2020 साल पहले 25

दिसंबर को पैदा हुआ माना जाता है वह मृत्यु के बाद पुनः जी उठाता इस महान आत्मा के जन्म के समय पूर्व देश के ज्योतिष शास्त्रीयों ने एक अद्भुत दीप्तियुक्त चलायमान तारा देखा था। कहा जाता है कि कई ज्योतिषी उस महान बालक के दर्शन करने हेतु भारी संख्या में वहां पहुंचने की कोशिश की ।जहां वे पैदा हुए लेकिन यह भी आश्चर्यजनक है कि इतने सारे लोगों की पहुंचने की इच्छा निरर्थक हो गई ।वे बीच के रास्ते को पार ही नहीं कर सके और भटक कर कहीं और पहुंच गए ।मात्र तीन ज्योतिषियों ने ही यीशु यीशु का प्रणाम कर उनके दर्शन प्राप्त किए ।उक्त तीन ज्योतिषियों ने उन्हें भेंट में सोना लोभान और गंध रस क्रमश:भेंट की। यह तीनों वस्तुएं पवित्र भेंट की प्रतीक मानी जाती है।
यीशु के जन्म के साथ ही कई आश्चर्यजनक घटनाएं भी घटित हुंई जैसे स्वर्ग दूतों का गढरियों को यह संदेश देना कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धार कर्ता का जन्म हुआ है यही उद्धार कर्ता मसीह प्रभु है। और स्वर्ग दूतों का गीत गाना के “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है ।शांति व्याप्त हो ।”फिर ज्योतिषियों का पूर्व से बेतलहम जाकर बालक को प्रणाम करना। यीशु के पैदाइश के कितने वर्षों पहले नबियों का मसीह के आने की नब्बतें की गई थी कि यीशु ख्रिस्ट इसराइल में से आएगा वह दाऊद के घराने और यहूदा के गोत्र में पैदा होगा। वह एक कुंवारी से पैदा होगा ।और जो बैतलहम में पैदा होगा। ये भविष्यवाणी भी यीशु ख्रीस्त में पूरी हुई ।
बाइबल के अनुसार यीशु के अनुयायियों व सदस्यों की संख्या लाखों में थी ।लेकिन उन्होंने अपने साथ केवल बारह शिष्य रखें जो उनके सलीब पर चढ़ाए जाने के पूर्व तक उनके साथ थे। इन बारहों शिष्यों को उन्होंने योग की शिक्षा दी थी।और इसके अभ्यास के लिए नगर से बाहर निर्जन मैदान या किसी पर्वत शिखर को चुनते थे ।जहां जनसाधारण सरलता से पहुंच सके ।उनके प्रार्थना का तरीका विशुद्ध रूप से ध्यान योग का था। वह स्वयं वज्रासन द्वारा घुटने टेक कर कुंडलियों को जागृत कर ईश्वर से संबंध स्थापित करते थे। इसी योग बल से प्राप्त सिद्धि द्वारा वे रोगों का निवारण भी करते थे ‌।

‌ यीशु का एक भक्त जो अति प्रतिष्ठित एवं धनी व्यक्ति था ।वह युसूफ था तथा यहूदियों के धर्म गुरु निको दिमुस से उसकी परम घनिष्ठता भी थी। जो बातें यीशु शिष्यों को भी नहीं बताते थे वे बातें उनके यह दोनों परम घनिष्ठ जानते थे।य उनको सलीब पर चढ़ाए जाने के बाद जब उन्होंने योग पद्धति द्वारा प्राण छोड़ा था तो उनकी आज्ञा अनुसार इन्हीं दोनों ने उन्हें एक नई कब्रगाह में रखा था ।सूक्ष्म रूप धारी यीशु पुनः उसी शरीर में प्रवेश कर जीवित हो उठे थे ।उनके पुनर्जीवित होने में सहायता उनके अपने शिष्यों ने नहीं की क्योंकि वह तो कानून के डर से छिपे हुए थे । सलीबपर चढ़ाए जाने के पूर्व यीशु ने अपने तीन शिष्यों पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना को एक ऊंचे पहाड़ पर एकांत में ले जाकर अपना दिव्य तेजस्वी रूप दिखाया ।यह दिव्य मानव का अति महामानवीय रूप था। शिष्यों के सामने वे सूर्य के समान दैदिप्यमान हो उठे और उनके वस्त्र अकाश के सदृश्य उज्जवल हो गए और शिष्यों ने महान योगी मूसा और एतिपाह को यीशु के साथ बात करते देखा। जब पतरस ने यीशु को उसी स्थान पर तीन मंडप मूसा एलियाह और यीशु के लिए बनाने कही तो तुरंत एक ज्योतिर्मय मेघ ने उनको ढंक लिया। और मेघ में वाणी हुई “यह मेरा पुत्र मेरा प्रिय है ।इससे मैं प्रसन्न हूं । इसकी बात सुनो। उपस्थित शिष्य

यह सुनकर मुंह के बल गिर पड़े और बहुत डर गए। तब यीशु ने उन्हें स्पर्श कर उठाया तो उन्होंने यीशु के दैवीय रूप एवं दिव्य दर्शन की बात उनके पुनर्जीवित होने तक छुपा कर रखी । यीशु के अंत के 6 महीने शिक्षा देते प्रचार करने एवं यात्रा करने में व्यतीत हुए ।अंतिम सप्ताह में यीशु ने खजूर का इतवार मनाया। अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोज में सहभागी हुए ।फिर उन्हें पकड़ लिया गया ।उन पर झूठे मुकदमे चलाए गए ।और उन्होने कूस की मृत्यु सही ।भविष्यवाणी के अनुसार यीशु मृत्यु केतीसरे दिन जी उठे और उन्होंने पुनरुत्थान के 40 दिन बाद वह सबके देखते-देखते शरीर सहित स्वयं उठा लिए गए। और उस समय आकाशवाणी हुई जिस रीति से तुमने उसे स्वर्ग जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।
विश्व के करोड़ों मशीहियों द्वारा युगों युगों से यीशु के जन्म दिवस का पर्व बड़े आनंद के साथ मनाया जाता है ।यदि हम अपने पड़ोसी से प्रेम नहीं रखते भाईचारा नहीं रखते मेल मिलाप नहीं रखते हैं। और फिर भी यह दावा करते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं तो यह हमारा दावा पूरी तरीके से झूठा है। और हम अपने आप को धोखा दे रहे हैं। बड़े दिन का यह पर्व शांति और मेल मिलाप एवं सहृदयता का पर्व है ।इस पर्व को इसी तरह मनाने में ही ईश्वर की सच्ची आराधना है।

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