पेंड्रा: प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में जमकर भ्रष्टाचार,
पेंड्रा: प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में जमकर भ्रष्टाचार,
सुरेश भट्ट:जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही- कोरोना संक्रमण काल के समय एक तरफ जहाँ लॉकडाउन लगा हुआ है। लॉकडाउन में जहाँ लोग अपने घरों में कैद है जिसका फायदा उठाते हुवे ठेकदार और अधिकारियो की मिलीभगत से सड़को में गुणवत्ताहीन कार्य जोरो पर चल रहा है और जिम्मेदार अधिकारी जिनकी देखरेख में सड़कों का निर्माण होना है वह भी चैन की नींद सोकर ठेकदार को गुणवत्ताहीन निर्माण कराने की खुली छूट देकर रखे हुए है|बसंतपुर अमाडाड़ रोड से जमड़ी खुर्द बकुलीपारा मुरमुर सड़क निर्माण कार्य की जिसकी कुल लागत 4 करोड़ 78 लाख की है जिसकी कार्य एजेंसी प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना को बनाया गया है आपको बता दे कि करोडो की लागत से हो रहे सड़क निर्माण कार्य मे जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है जहाँ नियमो को ताक में रखते हुए ठेकेदार मनमाने तरीके से बिना मापदंड के कार्य करा रहे है . सडक शायद ही पहली बरसात झेल पाए जिसकी गुणवत्ता देखकर लगता है कि यह सडक पहली ही बरसात में निश्तेनाबूत हो जाएगी| उल्लेखनीय है जीपीएम जिले में बरसो से मांग की जाती रही है सड़को की जिला बनने के बाद आम जन की बरसो पुरानी मांग पूरी हुई और ले दे कर ग्रामीणों को सड़क मिलने जा रही है मगर ग्रामीण और जिले वासियों के ख्वाबो में ठेकेदार और अधिकारी मिलकर पलीता लगा रहे है और खुद की जेबे गर्म करने में लगे हुए है . इन ठेकदार और अधिकारियों को क्यो चिंता होगी कि सड़क गुनवत्तापूर्ण बने सडक जब गुणवत्तापूर्ण बनने लग जाएगा तो इन ठेकदार और अधिकारियों को मेंटनेंस के नाम पर बजट कैसे प्राप्त होगा .इन खस्ताहाल सड़को में चलना तो ग्रामीणों को है . और खराब सड़को की वजह से असमय काल जाने कितनी जाने ग्रामीणों के गंवाई है मगर ग्रामीणों की जान की परवाह किसे है ठेकदार और अधिकारियो को मोटी रकम मिल जाये बस यही काफी होता है वही ठेकेदारो की दादागिरी इस कदर भी हावी है कि यह ठेकदार गुणवत्ताहीन कार्य तो करते ही है इसके बाद इन गुणवत्ताहीन सड़को की शिकायत करने या सड़को की हालत सही करने की मांग ठेकेदारो के हौसले किस कदर बुलंद है कि यह ठेकदार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है मगर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियो को छोड़ चैन की नींद सोए हुए है चूंकि उन्हें यह पता है कि ठेकदार द्वारा अधिकारियों को मोटे पैकेज में पेकेट मिल ही जानी है फिर क्यो अधिकारी इन ठेकेदारो पर लगाम लगाएंगे, उक्त मामले में अगर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होती है तो इसकी समस्त जवाबदेही ठेकदार एवं जिम्मेदार अधिकारियों की होगी| लगातार शिकायतो के बाद भी अधिकारियों का नींद से न जागना यह बताता है PMGSY की तानाशाही किस कदर चरम पर है ,वही जिले में हो रहे सभी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं के तहत हो रहे कार्यो की सूक्ष्मता से जांच कराया जाना चाहिए जिसके लिए लोकल अधिकारियों को न बुलाकर रायपुर एवं बिलासपुर से जांच टीम गठित कर जांच कराया जाना चाहिए . ताकि इस तरह से हो रहे गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यो पर रोक लग सके और जिले वासियों को अच्छी सडक मिल सके|