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पाली उ.मा.वि.के प्रिंसिपल ने स्कूली बच्चों को ही बना दिया गया सफाई कर्मी,बाथरूम की भी कराई गई सफाई

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पाली उ.मा.वि.के प्रिंसिपल ने स्कूली बच्चों को ही बना दिया गया सफाई कर्मी,बाथरूम की भी कराई गई सफाई

सवितर्क न्यूज, राकेश खरे

कोरबा(पाली):-पाली स्थित उ.मा.वि.में पदस्थ प्रिंसिपल का कारनामा एक एक कर पर्दे से बाहर आने लगा है जिस प्रिंसिपल को अपने स्कूल की नीति रीति को लेकर सजग रहने की जरूरत थी वो ही अपने कर्तव्यों से विमुख होकर कार्य करता नजर आया

लिखित शिकायत किसी और ने नही बल्कि उसी स्कूल के बच्चों ने की है वही वाह रे

प्रबंधक जिस पर स्कूल व्यस्थाओ को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी है

ऐसे प्राचार्यो को उनकी करतूत के लिए कार्यवाही करने के बजाए खुला छूट देने का फरमान जारी कर रहे है जी हां हम बात कर रहे है

पाली स्थित उच्चतर माध्यमिक स्कूल की जंहा के छात्रों ने अपने ही प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत की है कि उनसे फीस लेने के बाद भी काम करवाया गया यंहा तक कि स्कूली बच्चों सही स्कूल के बाथरूम की सफाई कराई गई।

जानकारी मिली है कि पाली स्थित उच्च्तर माध्यमिक स्कूल का प्रिंसिपल बच्चों से साल भर का फीस लेने के बाद भी कई तरह का फीस की डिमांड करता रहा है

कभी माइग्रेशन के नाम पर तो कभी टीसी के नाम पर ?ऐसी बात नही है कि इसकी शिकायत बच्चो ने नही कि बल्कि बच्चों की शिकायत को कोरे कागज की तरह कूड़े दान में डाल दिया गया

जब किसी का दबाव बनता देखा गया तो जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच का जिम्मा उसी के समकक्ष अधिकारी को ही सौपा दिया जो नियम के विपरीत है भला एक प्रिंसिपल के कारनामो की जांच कोई दूसरा प्रिंसिपल कैसे कर सकता है

चलो ये बात भी हजम हो गई लेकिन जांच अधिकारी ने जो जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौपा उसमें बच्चो के लगाए गए आरोपी सही साबित हुए थे

जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली स्थित उच्च्तर माध्यमिक स्कूल के प्रिंसिपल को निर्दोष बताते हए उनको यथावत स्थन पर बनाये रखा है

सूत्रों के हवाले से ये जानकारी भी सामने आई है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली प्रिंसिपल को यथावत बनाये रखने के लिए ऊची चढ़ोत्तरी ली है

हम यू ही नही कह रहे है बल्कि हमारे पास उन बच्चों के लिखित शिकयत है जिसमे उन्होंने ये साफ लिखा है कि स्कूल के प्रिंसिपल ने उनसे माइग्रेशन व टीसी जैसे दस्तावेज के लिए 170 रुपये लिए है

साफ सफाई के लिए भी पैसे लिए है

उसके बाद भी स्कूली बच्चों को ही साफ सफाई का काम कराया जाता था यंहा तक कि स्कूल के बाथरूम की भी सफाई के लिए बच्चों को ही दबाव बनाया गया बाथरूम की सफाई नही किये जाने पर प्रेक्टिकल में फेल किये जाने की बात भी की गई थी

बच्चो ने बाथरूम की भी सफाई करने से परहेज नहि किया

जिला शिक्षा अधिकारी क्या वाकई में चंद रुपयों के लालच में बच्चो के लगाये इल्जाम को एक सिरे से खारिज कर दिया

क्या जांच अधिकारी के लिखित जांच रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी उसकी रिपोर्ट को झुठला दिया गया ?

अगर ये बाते सही है तो वाकई में जिले में शिक्षा का स्तर सरकार के बताए नियमो के साथ चल रहा है अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चल रहा

कोरबा जिला अपना अलग इतिहास बनाने की कगार पर चल पड़ा है

देखना है कि कोरबा जिले की बागडौर को भलीभांति चलाने का जिम्मा लिए जिला कलेक्टर इस मामले में कोई कार्यवाही करती है या फिर अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर ही जिले की बागडौर चलती रहेगी

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