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पार्किंग में दुकान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्मार्ट सिटी से मांगा जवाब…!

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पार्किंग में दुकान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्मार्ट सिटी से मांगा जवाब…!
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खण्डपीठ ने राज्य शासन और बिलासपुर स्मार्ट सिटी कंपनी को उस जनहित याचिका का जवाब देने के लिए निर्देश दिए हैं। इसमें बिलासपुर सिटी कोतवाली परिसर में मल्टी लेवल कार पार्किंग के भूतल पर दुकान निर्माण और बिना आरक्षण नियमों के दुकानों के आवंटन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने फायर आडिट की मांग की।
हाईकोर्ट महाधिवक्ता प्रफुल भारत की उस दलील से संतुष्ट नहीं हुआ कि स्मार्ट सिटी एक एसपीवी कंपनी है इस लिए आरक्षण नियम उस लागू नहीं होते। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव का तर्क था कि स्मार्ट सिटी का स्वामित्व राज्य सरकार और नगर निगम का है। इसलिए वह सरकारी कंपनी है और उस पर निगम के आरक्षण नियम पूरी तरह लागू होते हैं। दुकानों का निर्माण बिना नक्शा पास किये और भूखंड का स्वामित्व न होने का भी चुनौती का आधार बनाया गया है। गौरतलब है कि बीते सुनवाई के दौरान स्वयं शासन ने स्वीकार किया कि पहले दुकानों की निर्माण की कोई योजना नहीं थी और केवल कार पार्किंग बनाई जा रही थी।
चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता से कहा- आम आदमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की हैचीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता से कहा- आम आदमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है
बाद में पुलिस विभाग के लिए मकानों के निर्माण के लिए धन राशि की व्यवस्था करने के लिए दुकानें निर्मित की गई हैं। नंदकिशोर राज कार्यकर्ता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और महेश दुबे टाटा ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के फोटोग्राफ भी लगाए हैं, जिससे कि दुकानों का कोई नक्शा पास नहीं है और कार पार्किंग में सभी वेंटीलेशन को बंद कर भूतल को अवैध रूप से दुकानों में परिवर्तित किया गया है। इसके कारण अग्नि दुर्घटना की स्थिति में भारी जनधन हानि की आशंका है।

नगर निगम स्थाई संपत्ति अंतरण नियम 1994 के अनुसार दुकानों के आवंटन में नगर निगम क्षेत्र की एससी, एसटी, ओबीसी जनसंख्या के हिसाब से और महिला, दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जैसी श्रेणियों के लिए भी दुकानें आरक्षित करने का प्रविधान है। शासन ने स्वयं यह हाई कोर्ट को बताया कि जून 2024 में स्मार्ट सिटी कंपनी समाप्त हो जाएगी और उक्त परिसर नगर निगम बिलासपुर के कब्जे में रहेगा। इस स्तर पर खंण्डपीठ ने सवाल उठाया कि फिर आप आज दुकान आवंटन करने का अधिकार कैसे रखते हैं।

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