अन्यछत्तीसगढ़

निजीकरण बंद करने वा आरक्षण लागु करने परिसंघ ने सौंपा राष्ट्रपति प्रधानमंत्री वा मुख्यमंत्री के नाम एस डी एम को ज्ञापन

Advertisement

निजीकरण बंद करने वा आरक्षण लागु करने परिसंघ ने सौंपा राष्ट्रपति प्रधानमंत्री वा मुख्यमंत्री के नाम एस डी एम को ज्ञापन

1- माननीय राष्ट्रपति महोदय
भारत सरकार नई दिल्ली
2- माननीय प्रधानमंत्री महोदय
भारत सरकार नई दिल्ली
3- माननीय केंद्रीय मंत्री महोदय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार
4- माननीय अध्यक्ष महोदय
अनुसूचित जाति आयोग ,भारत सरकार
5- माननीय अध्यक्ष महोदय , अनुसूचित जनजाति आयोग
भारत सरकार
6- माननीय राज्यपाल महोदय
राज्य -छत्तीसगढ़
7- माननीय मुख्यमंत्री महोदय छ्ग
द्वारा :- कलेक्टर बीजापुर
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)बीजापुर

बीजापुर:- भारत देश सहित सभी राज्यों के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करने तथा निजी उपक्रमों में आरक्षण प्रदान करने बाबत। परिसंघ अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का अखिल भारतीय संघ के बीजापुर जिलाघ्यक्ष कैलाश चन्द्र रामटेके के नेतृत्व मे उपरोक्त माननीयो को ज्ञापन सौंपा गया। केंद्र की भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा है । शासकीय संस्थाओं में भी संविदा भर्ती , प्लेसमेंट कर्मचारी व ठेका कर्मचारी आदि का भर्ती किया जा रहा है । जो कि देश के बहुसंख्यक पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के हक से वंचित करने के लिए सुनियोजित ढंग से सरकार द्वारा किया गया षड्यंत्र है। जिसका अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ कड़ा विरोध करता है। कोल इंडिया, सेल, भेल ,रेल, एयर इंडिया, डाक विभाग ,बैंक, बीएसएनएल, एमटीएनएल आदि सभी विभागों को सरकार निजी क्षेत्र में दे रही है।विनिवेश के नाम पर वर्षों की मेहनत से देश के द्वारा तैयार की गई संपत्तियों को आज पूंजीपतियों को कौड़ी के दाम पर बेचा जा रहा है ।जो कि देश विरोधी कार्य है। सरकार द्वारा सुनियोजित ढंग से पहले सार्वजनिक उपक्रमों को बीमारू बनाया जाता है साथ-साथ निजी उद्यमियों को बढ़ावा दिया जाता है । जैसा कि 4G स्पेक्ट्रम को निजी कंपनी को दिया गया तथा बीएसएनएल को बीमारू बना दिया गया । यह इसका बड़ा उदाहरण है। आगे चलकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सरकार बीमारू बताती है। तथा उसका निजीकरण कर देती है। देशभर में कोल ब्लॉकों का आवंटन निजी क्षेत्र को दिया जा रहा है जिसका परिसंघ कड़ा विरोध करता है।
ऑल इंडिया परिसंघ सरकार की निजीकरण करने की नीति का कड़ा विरोध करती है । निजीकरण का मुख्य उद्देश्य आरक्षण को समाप्त करना प्रतीत होता है । लेकिन निजीकरण के कारण न केवल आरक्षित वर्ग को नुकसान हो रहा है बल्कि सभी समुदाय को नुकसान हो रहा है । पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है महोदय , अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ का मांग है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजी कारण तत्काल बंद किया जाए और निजी उद्यम भी सरकारी ऋण से चल रहे हैं, सब्सिडी भी प्राप्त कर रहे हैं । इस कारण निजी उद्यमों की भर्तियों में भी ओबीसी, एससी, एसटी को आरक्षण दिया जाए। निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी पदोन्नति में भी आरक्षण दिया जाए। सभी प्रकार की सरकारी संस्थाओं में संविदा तथा प्लेसमेंट कर्मचारियों की भर्ती बंद की जाए। नियमित पदों पर भर्ती की जाए जिसमें आरक्षण प्रावधान का पूर्ण रूपेण पालन किया जाए । जो भी जिम्मेवार सक्षम अधिकारी आरक्षण नियम का पालन नहीं करता है , उसके विरुद्ध आपराधिक मुकदमे दर्ज किया जाए।पुरानी पेंशन व्यवस्था को एक षड्यंत्र के तहत बंद कर सेवानिवृत्त बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा को नष्ट किया गया था । बुजुर्गों के साथ में विश्वासघात किया गया था । अतः सभी राज्यों में 1 अप्रैल 2004 से बंद की गई पुरानी पेंशन की व्यवस्था को तत्काल लागू कर कर्मचारियों के प्रथम नियुक्ति तिथि से पुरानी पेंशन को लागू किया जाए। पदोन्नति में आरक्षण प्रदान किया जाना संविधान के अनुसार पूर्णतः राज्य का विषय है । राज्य की यह जवाबदेयता है कि वह अपने राज्य में प्रतिनिधित्व का परीक्षण करें तथा अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों को उनके आबादी के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करें। अतः सभी राज्य पदोन्नति में आरक्षण लागू करें।सभी राज्यों में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के हजारों पद रिक्त हैं । लेकिन उनको जानबूझकर आज तक भरा नहीं जा रहा है। तत्काल अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के बैकलॉग पदों पर भर्तियां की जाए। पांचवी अनुसूची से संबंधित क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की अनुमति के किसी भी प्रकार का खनिज उत्खनन ना किया जाए। जल ,जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक अधिकार दिया जाए । उनको भू अधिकार पत्र आवंटित किया जाए।आर्थिक आधार पर ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 08 लाख तय की गई है । पिछड़ा वर्ग क्री मीलेयर की सीमा भी 08 लाख तय की गई है। क्योंकि दोनों वर्ग की आय सीमा अधिक है इस कारण से अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति हेतु आय प्रमाण पत्र की बाध्यता को समाप्त किया जाए।छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोलने के नाम पर आरक्षण समाप्त किया जा रहा है । क्योंकि विद्यालय का संचालन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में सोसाइटी द्वारा किया जा रहा है। जिसमें सभी विद्यालय के पदों को एकल पद बताकर अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों से भर्ती किया जा रहा है। प्रदेश के आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के साथ यह बहुत बड़ा छलावा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक) भर्ती नियम 2019 का प्रकाशन किया गया है। जिसके नियम आधार पर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की पद पूर्ति राज्य शासन स्तर पर किया जाए। स्वामी आत्मानंद स्कूलों में संविदा भर्ती बंद किया जाए, तथा एक नए सिरे से राज्य शासन द्वारा नियमित पदों पर भर्ती किया जाए। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय के नाम पर जितने भी हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद किया गया है उन सभी हिंदी माध्यम स्कूलों को पुनः प्रचलित किया जाए तथा स्वामी आत्मानंद स्कूलों के लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर स्कूल की बिल्डिंग की व्यवस्था और अन्य कर्मचारियों की व्यवस्था स्वयं करें। उपरोक्त बिंदुओं के संबंध में अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए अनुसूचित जाति / जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ द्वारा दिनांक 2 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के जंतर मंतर सहित सभी राज्यों की राजधानी में जिला , ब्लॉक एवं तहसील मुख्यालयों में संवैधानिक तरीके से देशव्यापी प्रतिवाद प्रदर्शन किया जा रहा है। अतः निवेदन है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ की उपरोक्त मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए।प्रतिनिधि मंडल मे ब्लाक अध्यक्ष बीजापुर सुशील हेमला,तारकेश पैकरा,राकेश गिरि,बी एल पुजारी,के डी झाड़ी, अय्युब खान ,कल्याण सिंह कुर्रे,विनय उईके,मोगली गटैया ,प्रताप सल्ला आदि शामिल थे।

Related Articles

Back to top button