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दैवीय वृक्ष है गूलर, जानिए इसके हैरान कर देने वाले फायदे…!

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गूलर का फूल से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी एवं इसके फायदे एवं नुकसान…!

दुनिया में प्रचलित समस्त धर्मों में वृक्षों को पूजनीय दर्जा प्राप्त है। कोई भी धर्म पेड़ों का निरादर नहीं करता क्योंकि यह स्वच्छ पर्यावरण और पृथ्वी पर प्राणियों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है। हालांकि हाल के अनेक वर्षों में वृक्षों के अंधाधुंध दोहन और कटाई के कारण पृथ्वी से तेजी से वृक्षों की संख्या घटी है। इसका खामियाजा बिगड़ते पर्यावरण के रूप में झेलना पड़ रहा है। इसीलिए अब कई देशों में पेड़-पौधे लगाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं।

दैवीय वृक्ष है गूलर
अब बात करते हैं दैवीय वृक्षों की। नीम, पीपल और बरगद की त्रिवेणी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। इन तीनों वृक्षों को हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना गया है। इनके अलावा एक और दैवीय वृक्ष है गूलर का वृक्ष। वैसे तो इसकी पूजा करने के लिए कोई दिन निर्धारित नहीं है, लेकिन यह नवग्रहों के वृक्षों में एक प्रमुख वृक्ष है। इस वृक्ष पर शुक्र का आधिपत्य माना गया है और वृषभ व तुला राशि का यह प्रतिनिधि पेड़ है। इस वृक्ष के अनेक लाभ हैं जिनके बारे में जनसामान्य को जानकारी नहीं है। इस वृक्ष के फल, पत्ते, जड़ आदि से अनेक रोगों का इलाज तो होता ही है, इनसे ग्रह जनित अनेक दोषों को शांत किया जा सकता है।

गूलर और शुक्र का संबंध

गूलर वृक्ष शुक्र का प्रतिनिधि वृक्ष है। इसमें नियमित रूप से जल अर्पित करने से शुक्र की अनुकूलता प्राप्त होती है। शुक्र भौतिक सुख-सुविधाओं, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, लावण्य, यौन सुख, प्रेम विवाह आदि का प्रतिनिधि ग्रह है। इसलिए शुक्र को अनुकूल बनाने के लिए गूलर के वृक्ष में नियमित जल अर्पित करना महत्वपूर्ण है। जन्मकुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में हो तो गूलर के प्रयोग से शुक्र की पीड़ा को शांत किया जा सकता है।

ये हैं गूलर के लाभ एवं फायदे

पित्त के रोग
इसके पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर देने से पित्त के रोग दूर होते हैं.

अल्सर से राहत दिलाने में लाभकारी गूलर
गूलर में पाए जाने वाले शीत गुण के कारण यह अल्सर जैसी परेशानी में भी लाभ पहुंचाता है. शीत होने के कारण यह अल्सर के स्थान पर ठंडक प्रदान कर घाव को जल्दी ठीक होने में मदद करता है.

मूत्र कच्छ
गूलर का 70 ग्राम मद्द रोज पिलाने से मूत्रकच्छ मिट जाता है.

निमोनिया के इलाज में फायदेमंद गूलर

निमोनिया होने का एक कारण कफ दोष का अनियमित रूप से काम करना होता है. गूलर में कफ शामक गुण पाए जाने के कारण यह निमोनिया जैसी स्थिति में भी लाभदायक होता है.

वहीं कई तरह की बिमारियो में भी गूलक का प्रयोग किया जाता है.जिनमें-चेचक,दंत रोग,सूजन ,रक्त प्रदर ,बवासीर खून की उल्टी,गूलर की जड़े,रज स्त्राव ,नकसीर ,नासूर ,गर्भ का ना ठहरना,मूत्र रोग ,भिलावें की सूजन,गुलर का रस,पीत्त ज्वर,श्वेत प्रदर, बच्चों का भस्मक रोग ,चेचक,मधुमेह प्रमेह,श्वेत कुष्ठ ,रक्तपित्त,बच्चों के सूखा रोग, पशुओं की महामारी, गूलर और नेत्र रोग आदि.

गूलर का फूल से नुकसान

1.गूलर का अधिक मात्रा में सेवन करने से बुखार भी हो सकता है.
2.पके हुए फलों को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए, क्‍योंकि इससे आंतों में कीड़ों भी हो जाते हैं.


आर्थिक संपन्न्ता, धन प्राप्ति, भूमि-भवन खरीदने की इच्छा रखते हैं लेकिन काम बन नहीं पा रहा है तो गूलर की जड़ चांदी के ताबीज में भरकर धारण करें।

यौन दुर्बलता दूर करने के लिए गूलर के फलों का नियमित सेवन करने के साथ गूलर के वृक्ष में नियमित रूप से जल अर्पित करना चाहिए।

गूलर का ताबीज समस्त रोग निवारक माना गया है। इसे धारण करने से बुरी नजर दूर रहत

गूलर के फूल के बारे में कहा जाता है कि आजतक पृथ्वी पर इसके फूल को किसी ने नहीं देखा। इसके रहस्यमयी होने के कारण प्राचीनकाल से कई तरह की चर्चाएं, बातें कही जाती रही हैं। कहा जाता है गूलर के फूल रात में खिलते हैं और खिलते ही स्वर्गलोक में चले जाते हैं। इसके फूल कभी भी पृथ्वी पर नहीं गिरते। कहा जाता है कि इसके फूल कुबेर की संपदा है इसलिए यह पृथ्वीवासियों के लिए उपलब्ध नहीं है। कई लोग गूलर के फूल खिलने और देखने का दावा करते हैं, लेकिन वास्तव में वे गूलर के फूल नहीं होते हैं।

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