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डॉ. महंत की बेटी सरस्वती बनेंगी दुल्हन

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पाली,शशि मोहन कोशला-डॉ. महंत की बेटी सरस्वती बनेंगी दुल्हन

👉🏿10 फ़र को होगा विवाह
👉🏿कन्यादान करने आयेंगे महंत दम्पत्ति लगभग 25 वर्ष पूर्व चुनाव प्रचार के दौरान विस अध्यक्ष डॉ महंत की गोदी मे समर्पित नन्ही बच्ची (उनकी दत्तक पुत्री) सरस्वती के अब हाथ पीले होने वाले हैं ,वह 10 फरवरी को लाफा में श्री नंद दास के साथ सात फेरे लेंगी।

अविभाजित राज्य में चार दशक से भी अधिक समय से राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देख चुके डॉ. महंत परिवार किसी परिचय के मोहताज नहीं है। प्रदेश की राजनीति की धुरी या कहें कांग्रेस पार्टी के संकटमोचक डॉ महंत
की छवि शांत, सौम्य, संतोष प्रिय,मिलनसारिता की रही है।इससे दिगर उनका एक और मानवीय रूप बहुत कम लोगों को ही पता है।वर्ष 1996 में लोकसभा चुनाव के दौरान जनसंपर्क पर पाली ब्लाक के ग्राम लाफा पहुंचे डॉ महंत जब लोगों से वोट मांग रहे थे और गांव की चौपाल पर बैठकर ग्रामीणों से चर्चा कर रहे थे, इसी दौरान एक ग्रामीण महज कुछ महीने की अबोध मासूम सुंदर सी दुधमुंही बच्ची को डॉ महंत की गोद में लाकर सौंपा और कहा कि आज से इसकी सम्पूर्ण जवाबदारी आपकी है, क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल जुटा पाता हूं। अचानक हुए इस पूरे घटनाक्रम से हतप्रभ महंत ने पूरी तन्मयता से बात सुनते हुए बच्चे के माथे पर स्नेह भरा हाथ फेरा और उसे गोदी में भरते हुए कहा कि आज से यह मेरी बेटी हुई और इसके लालन-पालन सहित शिक्षा दीक्षा, शादी ब्याह की पूरी जवाबदारी मेरी हुई।
वह दिन और आज का दिन डॉ महंत दंपति ने सरस्वती के पालन पोषण में कोई कमी नहीं की। उनके प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा के माध्यम से होली, दिवाली, दशहरा आदि जैसे पर्व पर उपहार हो या पढ़ाई लिखाई, कपड़े आदि अन्य स्वास्थ्य- शिक्षा की जरूरत की सभी आवश्यकता या सुविधा को समय समय पर पूरा किया। सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा चाचा की भूमिका में रहे और उनके द्वारा हमेशा सरस्वती का हालचाल जाना गया,सुख सुविधा का ख्याल रखते हुए
किस चीज की कमी नहीं होने दी। कोई जरूरत या समस्या होने पर सरस्वती सीधे डॉ महंत को फोन पर बात कर लेती थी या पाली में उनके प्रतिनिधि श्री मिश्रा से सीधे संपर्क कर अपनी जरूरत ,आवश्यकता, समस्या बताती थी। जिसे श्री मिश्रा यथासंभव उसकी हर जरूरत को तत्काल पूरा करने सदैव प्रयासरत रहे। वही डॉ महंत दंपति जब भी क्षेत्र के दौरे पर होते हैं अपनी इस बेटी की जानकारी लेना नहीं भूलते हैं। उन्होंने कई बार सरस्वती को अपने साथ रायपुर अथवा भोपाल में पढ़ाई के लिए अपने साथ ले जाने का प्रयास भी किया लेकिन सरस्वती को शहरी माहौल के बजाय अपना ग्रामीण परिवेश और गांव इतना प्यारा लगा कि वह इसका मोह छोड़ नहीं पाई। इसके पिता चमरा दास,वर्ष 2005 में इस दुनिया को रुखसत कर चले गए। पूरी जवाबदारी इनकी माता बेद कुंवर पंथ पर थी। किसी प्रकार की कोई जमीन जायदाद नहीं, खेती किसानी नहीं होने के कारण यह इस मां के लिए बहुत ही कठिन समय होता यदि डॉ महंत ने जवाबदारी नहीं उठाई होती। आज डॉ महंत की दत्तक पुत्री सरस्वती ने बीए स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है। और उसके स्थानीय कुछ रिश्तेदारों ने सरस्वती के लिए जीवनसाथी भी ढूंढ लिया है, घर में शहनाई बजने की तैयारी है और 10 फरवरी को वह नन्ही सरस्वती , पुडु (रतनपुर) के नंद दास के साथ नए जीवन की शुरुआत करेगी। सूत्रों के अनुसार डॉ महंत दंपति स्वयं कन्यादान और आशीर्वाद के लिए उपस्थित हो सकते हैं। यह देखना एक सुखद एहसास होगा।

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