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“झुग्गी-झोपड़ियों के स्कूलों में पढ़ने वाला व्यक्ति भी सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकता है’, जानिए जस्टिस गवई ने क्यों कही यह बात..!

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“झुग्गी-झोपड़ियों के स्कूलों में पढ़ने वाला व्यक्ति भी सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकता है’, जानिए जस्टिस गवई ने क्यों कही यह बात..!
नई दिल्ली:-सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई पिछले कुछ दिनों से अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने हुए हैं। सोमवार को एक बार फिर से उन्होंने समाज में हासिए पर रहने वाले समुदाय को लेकर अपनी बात रखी।जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लोगों को अपनी आवाज खोजने और समाज में अपनी पहचान बनाने में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान है। इस दौरान उन्होंने भीमराव अंबेडकर की प्रशंसा भी की।
जस्टिस गवई ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि देश के लिए डॉ. अंबेडकर के योगदान का मतलब था कि झुग्गी-झोपड़ियों के स्कूलों में पढ़ने वाला व्यक्ति भी सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकता है।
उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान की उत्पत्ति का श्रेय डॉ. बीआर अंबेडकर को जाता है… यह केवल डॉ. बीआर अंबेडकर के कारण ही है कि मेरे जैसा व्यक्ति, जो झुग्गी-झोपड़ी इलाके में एक नगरपालिका स्कूल में पढ़ता था, इस पद तक पहुंच सका।” .जस्टिस गवई, जस्टिस एएस ओका के साथ अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में ‘अनुच्छेद 32: इतिहास और भविष्य’ विषय पर बोल रहे थे।
दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे बीआर गवई
जस्टिस गवई भारत के 52वें चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त हुए थे। वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनने की कतार में भी हैं और जस्टिस केजी बालाकृष्णन के बाद दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे। जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 से 2010 के बीच चीफ जस्टिस रहे थे।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 32 का उपयोग परिवर्तनकारी न्याय के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा, “डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि संविधान वकीलों के लिए एक किताब नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।”
कौन थे जस्टिस बीआर गवई के पिता?
जस्टिस बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई 30 अक्टूबर 1929 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्में थे और अपने समर्थकों के बीच ”दादासाहेब” के नाम से मशहूर थे। वह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के संस्थापक थे। आरएस गवई साल 2006 से 2011 के बीच, जब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी तब बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे।

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