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जानिए क्यों कहते हैं विष्णु मंदिर को नकटा मंदिर | vishnu mandir janjgir champa / Nakta Mandir janjgir..!

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जानिए क्यों कहते हैं विष्णु मंदिर को नकटा मंदिर | vishnu mandir janjgir champa / Nakta Mandir janjgir..!

Ancient Lord Vishnu Temple प्राचीन भगवान विष्णु मंदिर  
जांजगीर-चाम्पा का एक प्रमुख प्राचीन स्थल है भगवान विष्णु मंदिर। मंदिर जांजगीर नैला में स्थित है। यह जांजगीर नैला रेलवे स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर दूर है। मंदिर इसलिए अनोखा है क्योंकि यह अपने निर्माण काल से अधूरा है और कभी पूरा नहीं किया जा सका। यही अब इस मंदिर की पहचान है। यह मंदिर भीमतालाब के पास बना हुआ है। पूरा मंदिर पत्थरों से बना है और बहुत ही सुंदर है। इसे नागर शैली में बनाया गया है और पूरे मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार में भी सुंदर कारीगरी की गई है। मंदिर के चारों तरफ बगीचा है। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा विराजमान नहीं है। इस मंदिर को नकटा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 11 वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। यह पूर्वाभिमुखी है, और सप्तरथ योजना से बना हुआ है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर शिखरहीन विमान मात्र ही मौजूद है। गर्भगृह के दोनों ओर दो कलात्मक स्तंभ हैं, जिन्हें देखकर आभास होता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था, परन्तु अब उसके अवशेष ही रह गए हैं।मंदिर के चारों ओर अत्यन्त सुंदर एवं अलंकरणयुक्त प्रतिमाएं बनाई गई हैं। त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति भी यहां स्थापित है। ठीक इसके ऊपर गरुणासीन भगवान विष्णु की मूर्ति है। मंदिर के पृष्ठ भाग में सूर्य देव विराजमान हैं। मूर्ति का एक हाथ भग्न है लेकिन रथ और उसमें जुते सात घोड़े स्पष्ट हैं।

यहीं नीचे की ओर श्री कृष्ण कथा से सम्बंधित चित्रों में वासुदेव कृष्ण को दोनों हाथों से सिर के ऊपर उठाए गतिमान दिखाए गए हैं। इसी प्रकार की अनेक मूर्तियां नीचे की दीवारों में बनी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी समय बिजली गिरने से मंदिर ध्वस्त हो गया था जिससे मूर्तियां बिखर गईं।

बाद में उन मूर्तियों को मंदिर की मुरम्मत करते समय दीवारों पर जड़ दिया गया। मंदिर के चारों ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों में भगवान विष्णु के दशावतारों में से वामन, नरसिंह, श्री कृष्ण और श्री राम की प्रतिमाएं स्थित हैं। छत्तीसगढ़ के किसी भी मंदिर में रामायण से सम्बंधित इतने दृश्य नहीं मिलते, जितने इस विष्णु मंदिर में हैं। इतनी सजावट के बावजूद मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है। आज तक यह मंदिर सूना है और एक दीप के लिए तरस रहा है। मंदिर के अधूरेपन की कथा
इस मंदिर के निर्माण से संबंधित अनेक जनुश्रुतियां प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक दंतकथा के अनुसार एक निश्चित समयावधि, जिसे कुछ लोग छैमासी रात कहते हैं, में शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर के इस मंदिर के निर्माण में प्रतियोगिता हुई। कहते हैं कि भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि जो मंदिर पहले पूरा होगा, वे उसी में प्रविष्ट होंगे। शिवरीनारायण का मंदिर पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण उसमें प्रविष्ट हुए। इस तरह जांजगीर का यह मंदिर सदा के लिए अधूरा छूट गया।

एक अन्य दंतकथा महाबली भीम से जुड़ी भी प्रचलित है। कहा जाता है कि मंदिर से लगे भीमा तालाब को भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर खोदा था। किंवदंती के अनुसार भीम को इस मंदिर का शिल्पी बताया गया है। इसके अनुसार एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर बनाने की प्रतियोगिता हुई। तब भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ किया। मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी-हथौड़ी नीचे गिर जाती तब उनका हाथी उसे वापस लाकर देता था। इस प्रकार कई बार हुआ, लेकिन आखिरी बार भीम की छेनी पास के तालाब में चली गई, जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सवेरा हो गया। भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुख हुआ और गुस्से में आकर उन्होंने हाथी के दो टुकड़े कर दिए। इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की एक खंडित प्रतिमा है।
Bhim Talab भीम तालाब  
भीम तालाब एक सुंदर जलाशय है। यह तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है। तालाब के किनारे एक गार्डन देखने के लिए मिलता है। यह गार्डन हरियाली से भरा है और उसमें कसरत करने के लिए यंत्र भी लगाए गए हैं। इसी के किनारे पर विष्णु मंदिर है।
भीम तालाब में आपको सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर एक और तालाब है, जिसे रानी तालाब के नाम से जाना जाता है। इस तालाब का दृश्य भी बहुत ही आकर्षक रहता है।

कैसे पहुंचें : जांजगीर-चाम्पा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 175 किलोमीटर दूर है। आप यहां रेल और सड़क के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।

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