छत्तीसगढ़दुर्घटना

छुई खदान हादसे की प्रत्यक्षदर्शी बोलीं-चारों तरफ सिर्फ रोने की आवाज, अब भी सुनाई पड़ रही चीखें…!

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ब्यूरो रिपोर्ट सत्येंद्र सिंह

छुई खदान हादसे की प्रत्यक्षदर्शी बोलीं-चारों तरफ सिर्फ रोने की आवाज, अब भी सुनाई पड़ रही चीखें…!

बस्तर जिले के मालगांव में छुई खदान हादसे में 6 ग्रामीणों की मौत पर मातम पसरा हुआ है। 2 लोगों की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। इस दर्दनाक हादसे में किसी बच्चे ने अपने पिता को खोया तो किसी ने अपनी मां को। एक ही गांव से एक दिन में 6 अर्थियां उठी हैं। शवों का तो दाह संस्कार कर दिया गया, लेकिन अब हर किसी के जहन में सिर्फ एक ही सवाल कि आग भभक रही है, आखिर हादसा हुआ कैसे?

इन सवालों का जवाब ढूंढने, इसकी हकीकत और आंखों देखी जानने दैनिक भास्कर की टीम संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से करीब 18 किमी दूर मालगांव पहुंची। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था। हर तरफ सिर्फ रोने, चीखने की आवाज सुनाई दे रही थी। एक साथ 5 चिता जल रही थी। एक के शव को दफनाया जा रहा था। इस गांव के ग्रामीणों से सवाल पूछने पर कि घटना के दौरान आप कहां थे, तो यह सुनकर वह भाग जाते, या कहते हमें मालूम नहीं।


हमारे लिए उस एक शख्स को ढूंढना काफी मुश्किल हो गया था जो हमें इस हादसे के बारे में पूरी आंखों देखी जानकारी दे सके। दैनिक भास्कर की टीम करीब 20 से ज्यादा ग्रामीणों के घर पहुंची। गांव की गलियों में घूम-घूम कर सिर्फ उस एक शख्स की तलाश कर रहे थे जो उस घटना के वक्त वहां मौजूद था। फिर हमें एक घर के आंगन में कुछ महिलाएं बैठी हुई मिली। हमने उनसे जब बात की तो उनमें से एक ने दूसरी महिला की तरफ इशारा किया और कहा यह धनमनी सब देखी है।

हमें एक प्रत्यक्षदर्शी तो मिल गई। लेकिन, वे कुछ कहने को राजी नहीं थी। आंखों में आंसू, दिल में घबराहट और लड़खड़ाती जुबान से कहा साहब मैं कुछ नहीं कहूंगी। मुझे डर लग रहा है। मुझे पुलिस थाना बुलाया जाएगा। हालांकि, कुछ देर बाद उसने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।

दिन शुक्रवार का था। समय दोपहर के लगभग 12:30 से 1 बजे थे। गांव के 15-20 ग्रामीण रोज की तरह छुई मिट्टी लेने के लिए गए हुए थे। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। कई दिनों से मिट्टी खोद रहे थे। वहां एक सुरंग की तरह करीब 10 से 15 फीट का गड्ढा बना दिए थे। गड्ढा चौड़ा इतना था कि सिर्फ एक इंसान घुटने के बल उसमें बैठ सकता है। इस सुरंग में गांव के 8 लोग घुसे थे। सभी कतार से घुटने के बल बैठे थे।

सबसे आगे एक महिला थी जो फावड़ा से छुई मिट्टी निकालती और फिर उसे तगारी में डालकर अपने पीछे बैठी दूसरी महिला को देती थी। फिर वो तीसरी और चौथी को देकर बाहर तक तगारी ला रहे थे। बाहर में भी कुछ गांव वाले थे जो बोरियों में छुई मिट्टी को भर रहे थे। उनमें से एक मैं भी थी। सुरंग के ऊपर भी कुछ लोग खड़े थे। फिर अचानक से पूरी मिट्टी धंस गई।

अंदर मौजूद लोगों की जोर की चीख सुनाई दी। एक महिला के ऊपर चट्टान का बड़ा सा टुकड़ा गिर गया। तब तक उसने दम नहीं तोड़ा था। वो भी दर्द से कराह रही थी। थोड़ी देर पहले तक जो लोग सुरंग के अंदर से छुई मिट्टी निकाल रहे थे, कुछ देर बाद सभी अंदर ही दब गए। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें निकालने की कोशिश की। लेकिन, किसी को कुछ समझ नहीं आया।

सब यहां-वहां भागने लगे। मैं भी घबरा गई थी। गांव वालों को इस हादसे की जानकारी देने मैं दौड़ लगाई। खुद की आंखों के सामने 6 जिंदगियों को मरता देख आंखों से आंसू छलक पड़े। हादसा इतना भयावह था कि देखकर मुझे भी चक्कर आने लग गया। किसी तरह गांव में पहुंची। लोगों को इसकी जानकारी दी। घटना स्थल से गांव की दूरी करीब 1 किमी की है। फिर गांव के अन्य ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे। प्रशासन को जानकारी दी गई।
तब तक अंदर दबे लोगों की मौत हो चुकी थी। चारों तरफ सिर्फ रोने की आवाज आ रही थी। कोई पिता के लिए रो रहा था तो कोई अपनी मां के लिए। कोई भाई के लिए तो बहन के लिए। यह नजारा मेरी आंखों में बस गया है। अब तक इससे उभर नहीं पाई हूं। मन में घबराहट है। डरी हुई हूं, इसलिए दिन में भी पड़ोसी के घर में बैठी हूं। अकेले रहूं तो कांनों में अब भी वो चीख सुनाई दे रही है। आंखों के सामने बार-बार वो नजारा आ रहा है। पढ़िए पूरी खबर…



घटना स्थल जाने के बाद पता चला कि, यह कोई खदान नहीं थी। बल्कि एक बंजर खेत था। यहां से अवैध तरीके से मुरुम निकाला जाता था। मुरुम की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को पता चला कि यहां पर छुई मिट्टी है। जिसके बाद हर दिन इलाके के लोग यहां से मिट्टी निकालने के लिए पहुंचे थे। धीरे-धीरे इसका नाम छुई खदान पड़ गया। अब सवाल यह उठता है कि, यहां से आखिर मुरुम कौन लेकर जा रहा था? क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं थी? इस अवैध खदान के पीछे क्या सरपंच, सचिव की भी भूमिका रही है? फिलहाल यह जांच का विषय है। महिला को दफनाने पर बवाल..पढ़े पूरी खबर

कुछ ग्रामीणों ने कहा कि, छुई मिट्टी का उपयोग घर की पुताई के लिए करते थे। आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों के पास दुकानों से चुना खरीदने पैसा नहीं होता था। तो इसी मिट्टी से पुताई कर अपना काम चलाते थे। ऐसा करने वाले गांव के एक या दो लोग ही नहीं बल्कि दर्जनों परिवार थे। इस हादसे के बाद ग्रामीणों के कपड़े, चप्पल समेत कुछ सामान सब मौके पर ही पड़े हुए हैं। दूसरे गांव के लोग मौके पर पहुंच कर हादसे वाली जगह को देख रहे हैं।


मालगांव में शासकीय भूमि पर अवैध रूप से छुई मिट्टी निकालने उत्खनन जारी था। इलाके के लोग रोजाना यहां से मिट्टी निकालकर अपने घरेलू काम के लिए ले जाते थे। ऐसा बताया जा रहा है कि, इस जगह पर करीब सालभर से छुई मिट्टी निकालने का काम जारी था। इसकी जानकारी प्रशासन को भी नहीं थी। इस हादसे के बाद ग्रामीणों को खनन करने के लिए मना कर दिया गया है

दरअसल, मालगांव में जिस जगह पर हादसा हुआ है वहां पर ग्रामीणों ने मुरुम खोदकर करीब 10 फीट लंबी सुरंग बना दी थी। अंदर से रोज छुई मिट्टी निकालते थे। शुक्रवार की दोपहर भी गांव वाले मिट्टी निकाल रहे थे। इस दौरान अचानक मिट्टी धंस गई। जिससे अंदर मौजूद ग्रामीण फंस गए और उनकी मौत हो गई।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मालगांव छुई खदान में हुए हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने 6 ग्रामीणों की मौत पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। CM ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की है। इसके साथ ही सभी घायलों के बेहतर उपचार के लिए अफसरों को निर्देश दिए हैं।

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