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छाता पहाड़ गिरौदपुरी

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छाता पहाड़ गिरौदपुरी

छाता पहाड़ गिरौदपूरी बलौदा बाजार जिले का एक बहुत ही खुबसुरत दर्शनीय स्‍थल और सतनाम पंथ के प्रर्वतक गुरू घासीदास जी की तपोस्‍थली हें, यह बलौदा बाजार जिले के उन कुछ चुने हुए पर्यटन स्‍थल में से एक हैं, ,

गिरौदपूरी में गुरू घासीदास ने अपना अधिकांश जीवन गिरौदपूरी के घने जंगलों में तपस्‍या कर लोगो को सत्‍यता और एकता के मार्ग पर चलने का एक बहुत ही अच्‍छा रास्‍ता बताया ।

इस छाता पहाड़ के बारे में कहा जाता हैं, की यहां गुरू घासीदास ने तपस्‍या की थी । छाता पहाड़ गिरौदपूरी के मुख्‍य मंदिर से लगभग 8 कि.मी. की दूरी पर सोनाखान रेंज या बारनवापारा अभ्‍यारण्‍य के घनघोर जंगल के पास स्थित हैं, यहां तक पहुंचने के लिए रोड बनी हुई हैं, जिसमे आप कार या बाईक के सहारे आ सकते हैं

छाता पहाड़ के बगल में महानदी से मिलने वाली जोंक नदी बहती हैं, इस नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रक़ति से घिरा हुई सुंदर सी जगह में आपको सतनाम पंथ का प्रतीक जैतखाम देखने को मिलेगा जो सत्‍यता और शांति का प्रतीक होता हैं,

जैतखाम एक लकड़ी का खुंटा होता हैं, जिसे सफेद रंग से पुताई किया जाता हैं, जिसके उपर एक सफेद झंडा फहरता हैं, जो खुंटा होता हैं, वह सत्‍यता का प्रतीक होता है और जो झंडा होता हैं,

शांति का प्रतीक होता हैं, यहां आपको एक बहुत बड़ा पत्‍थर भी देखने को मिलेगा जो आपको एक बड़े छतरी के समान दिखाई देगा जिसे छाता पहाड़ कहते हैं, माना जाता हैं, इसी पहाड़ के नीचे घासीदास जी ने तप किया था । यहां आपको उनकी गद्दी भी देखने को मिलेगी ।

जंगली जानवरो के पानी के लिए यहां हैं, गर्मी के दिनो में आपको यहां बार नवापारा अभ्‍यारण्‍य के कई जानवर यहां पानी पीते दिखाई देंगे । यहां लोग धार्मिक आस्‍था से तो आते ही हैं, साथ ही वे यहां पिकनिक मनाने के लिए भी आते हैं, गिरौदपूरी बलौदा बाजार जिले का ही नहीं बल्कि पुरे छत्‍तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थलों में से एक हैं,

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