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छत्तीसगढ़ के सुपर स्टार और सुमधुर आवाज के धनी हैं सुनील सोनी

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छत्तीसगढ़ के सुपर स्टार और सुमधुर आवाज के धनी हैं सुनील सोनी

सवितर्क न्यूज, राजेश देवांगन

*मीठ-मीठ लागे मया के बानी …से मिली बड़ी सफलता*

राजिम। छत्तीसगढ़ के सुपरस्टार, गायकी की दुनिया के सरताज महान कलाकार सुनील सोनी किसी परिचय के मोहताज नहीं।

सुमधुर गीतों से करोड़ो युवाओं के दिलो में राज करने वाले सुनील सोनी नाइट्स का कार्यक्रम माघी पुन्नी मेला के सातवें दिन मुख्य मंच पर जैसे ही शुरू हुआ उनके गीतों के सुर और संगीत के मिलन से एक नया साज बनता गया और सांस्कृतिक संध्या यादगार हो गई

कार्यक्रम प्रस्तुति के बाद मीडिया सेंटर की टीम और पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि संगीत की शिक्षा बाल मंदिर से हुई।

कक्षा तीसरी से शास्त्रीय गायन सीखना शुरू किया और निरंतर अभ्यास से निखरता गया

भारत के हर कोने में अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति देते गया और दर्शकों का प्यार व सम्मान मिलते गया, जिससे आगे बढ़ने की ललक बढ़ती गई।

कहा कि अश्लील शब्दों और द्विअर्थी गीतों पर पाबंदी होनी चाहिये क्योंकि हमें हजारों लोग सुनते है, गाते समय मर्यादा का भी ध्यान रखना चाहिये। कलाकार वो हैं जो अपने हर अल्फाजो से एक नया धुन तैयार कर लोगो के अंतस में उतर जाये। अपने यादगार पल को बताते हुए बताया कि कार्यक्रम के शुरुआती दौर में बहुत ही संघर्ष करना पड़ा। संगीत में बचपन से रुचि थी, इसलिये बाथरूम में भी कुछ न कुछ गुनगुनाया करता था।

हमारे आदर्श महान संगीतकार किशोर जी, मो. रफी, लता जी मेरे प्रिय है उनके गीतों को सुनकर जेहन में रखा और जो भी था, उसे दर्शकों को आज दे रहा हूँ।

शिक्षा के बारे में जानकारी देते हुए सुनील सोनी जी ने बताया कि शिक्षा स्नातक तक पढ़ाई किये है। मुम्बई में संगीत की शिक्षा ली और खैरागढ़ विश्विद्यालय से सुगम गायन सीखा।

रिकॉर्डिंग-1990 में रिकार्डिंग की दुनिया में आया 2003 में झन भूलो माँ बाप ल… के गीत को प्रसिद्धि मिली। घर का माहौल संगीतमय रहा। पिता जी रायपुर दूरदर्शन में एक्टर थे। पापा मुझे अपने साथ दूर-दूर तक ले जाते थे।
कार्यक्रम के लिये प्रेरणा स्रोत मेरे प्रेरणास्रोत पिताजी है।

आज मैं जो भी हूँ उन्ही के आशीर्वाद से हूँ। वैसे तो शासन द्वारा समय समय पर कलाकारो को विभिन्न सम्मान दिया जाता हैं लेकिन अभी तक कोई सम्मान नही मिला। इसका कारण है मुझे आवेदन भरने की प्रक्रिया की जानकारी नही मिल पाता।

योजना अभी हमारा बहुत बड़ा प्लान है, फ्री सेमिनार आयोजित कर नये कलाकरों को जो कुछ सीखना चाहते हैं उसे प्रशिक्षण देंगे।

पार्श्व गायन बहुत कम लोग जानते है इसकी भी जानकारी हम देना चाहते हैं।

अनुभव साझा करते हुए बताया कि मुंबई में सोनू निगम, अनुराधा पोडवाल के गीतों को सुनकर बहुत कुछ जानने और सीखने का मौका मिला। चर्चा के दौरान बताया कि सुंदर आवाज को बरकरार करने के लिये सादा भोजन करते है।

ठंडा खाना और ठंडा पानी पीने से परहेज करना चाहिए। फ्रिज का पानी नही पीना चाहिये।

प्रिय गीत को बताया हुए बताया कि वैसे तो सभी गीत पसंद है। पर मीठ-मीठ लागे मया के बानी को मैं अक्सर गुनगुनाता रहता हूँ और सुनता भी हूँ।
शासन-प्रशासन का किया आभार

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष की व्यवस्था बहुत अच्छा हैै। मंच पर स्थानीय कलाकरों को अवसर दे रहे है और इनके लिए शासन, कलेक्टर, एसपी के साथ मीडिया सभी का बहुत-बहुत आभार जताया है।

*कोरोना के चलते हुआ आर्थिक क्षति*
कोरोना से बहुत आर्थिक क्षति हुई।

लेकिन इस कार्यक्रम के आयोजन में कोरोना की कोई शिकायत नही रही।

प्रतिदिन दर्शकों की भीड़ कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ा रही है। मंच से एनर्जी मिलता है। यहां के मंच में जाने से कार्य करने की ऊर्जा चार गुना बढ़ जाती है।

राजिम की हवा और नजारा अद्भुत है। यहाँ आकर अलग ही महसूस होता है।

बहुत ही आंनद आता है, शुकुन मिलता हैं। अंत में अपने संदेश देते हुए कहा कि अपनी संस्कृति, रीति रिवाजों और भाषा को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिये। नये कलाकारों को भी सुने उन्हें अवसर दें, जो मेहनत करेंगे वो अवश्य ही सफल होंगे।

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