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छत्तीसगढ़ की भूमि तो वैसे काफी उर्वर और महापुरुषों की जननी रही है। यही वह धरा है जिसने मानवता और . गिरौदपुरी में १८दिसंबर को इनका जन्म हुआ

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जयंती पर विशेष (सुरेश सिंह बैस)
छत्तीसगढ़ की धरा पर जन्मा महान संत: गुरु घासीदास बाबा
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की भूमि तो वैसे काफी उर्वर और महापुरुषों की जननी रही है। यही वह धरा है जिसने मानवता और . गिरौदपुरी में १८दिसंबर को इनका जन्म हुआ

। आज़ वहां पूरी दुनिया में ख्यात अद्वितीय जैतखाम का निर्माण किया गया है जिसे लोग दूर-दूर से दर्शनार्थ आते हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश में प्रथमतया दूसरा स्थापित विश्व विद्यालय जो सन् १९८३मे तात्कालिक राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के करकमलों से प्रदेश की संस्कार धानी बिलासपुर में प्रारंभ किया गया था। इसका नामकरण बाबा गुरु घासीदास के नाम पर किया गया है।आज यह विश्व विद्यालय प्रदेश का‌ इकलौता केन्द्रीय विश्वविद्यालय बन चुका है। आज इनके जयंती अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश भर में बाबा जी के अनुयायी जयंती पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस अवसर पर गिरौधपुरी में विशाल जनसमूह उमड़ पड़ता है जो देखते ही बनता है। वहीं हमारे शहर बिलासपुर में भी जगह जगह जयंती समारोह आयोजित किए जाते हैं। तालापारा जरहाभाठा कर्बला पारा तिफरा सहित महंत बाड़ा में बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर रैली एवं झांकियां भी निकाली जाती हैं। कोटा रोड भरनी गांव में तो गत कई वर्षों से बाबा गुरु घासीदास की जयंती अवसर पर महोत्सव और विशाल मेले का आयोजन किया जाता रहा है। यह मेला आज १८ दिसंबर से लेकर २०दिसंबर तक आयोजित किया गया है। इस मेले में दूर दूर से आकर सैकड़ों पंथी कलाकार अपनी पंथी नृत्य कला का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर इनके अनुयायी यहां स्थित ज़ैतखांब और अम्रृत कुंड का दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं।
और हां। आखिर में यह भी अपने प्रबुद्ध पाठकों को बताना जरूरी है कि जब भारत सरकार ने बाबा गुरु घासीदास पर सबसे पहले डाक टिकट जारी किया था।वह हमारे बिलासपुर शहर के होनहार चित्र कार एवं पेंटर स्वर्गीय अर्जुन सिंह ठाकुर द्वारा उकेरी गई पेंटिंग पर आधारित थी।पर अफसोस ऐसे कुशल चितेरे पेंटर को यथोचित सम्मान प्राप्त नहीं हो सका।
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