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ग्राम भड़ेसर के एक परिवार में अजगरों को दुश्मन नहीं परिवार का सदस्य मानते हैं। घर के आंगन में मौजूद पेड़ पर करीब सैकड़ों अजगरों का बसेरा

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ग्राम भड़ेसर के एक परिवार में अजगरों को दुश्मन नहीं परिवार का सदस्य मानते हैं। घर के आंगन में मौजूद पेड़ पर करीब सैकड़ों अजगरों का बसेरा

रिपोर्टर- तारणी राठौर

जांजगीर शहर से कोई 12 किलोमीटर दूर है ग्राम भड़ेसर। यहां महात्माराम पाण्डेय अपने घर के आंगन के पीपल पेड़ में विशालकाय अजगरों को पाल रहे हैं। अजगर भी कोई एक-दो नहीं, सौ-डेढ़ सौ। दरअसल, कोई दो सौ साल पुराना पीपल का पेड़ तीन हिस्सों से टूट गया है, जबकि एक हिस्सा पूरी तरह से खोखला है। इसी खोखले हिस्से में आप अजगरों को सरसराते हुए देख सकते हैं।फिलहाल बरसात के दिनों में रात को पेड़ से बहुत सारे अजगर बाहर निकल रहे हैं। इस दौरान अजगर के छोटे बच्चे बड़े अजगरों के ऊपर चढ़कर मजे से खेलते हैं। इन अजगरों ने किसी को अब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। यहां तक कि इन्होंने पेड़ में बैठे पक्षियों को भी कभी परेशान नहीं किया।
अजगरों से स्नेह रखने वाले महात्माराम पाण्डेय बताते हैं कि शादी के बाद उनकी बच्चियां ससुराल में हैं और बच्चे नौकरी के चलते दूसरी जगहों पर रहते हैं। इन्होंने अपने घर के आंगन में बहुत सारे अजगर कैसे पाल लिए? 60 साल के पाण्डेय बताते हैं कि इस जगह पर पहले खेत था। कोई दो सौ साल पहले उनके दादा बेदप्रसाद पाण्डेय ने कुछ अजगरों को यहां लाकर पाला था, तब से पीपल पेड़ को अजगर अपना आशियाना बनाए हुए हैं।पाण्डेय ने इन अजगरों को आसपास के कुछ गांव जैसे सेमरा, खोखरा, मुनुंद और धनेली से पकड़कर लाएं हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाहर के गांवों से लाए और वर्षों से पेड़ में रहने वाले अजगर कुछ दिनों बाद आपस में घुलमिल जाते हैं। इन अजगरों का रंग पेड़ की टहनियों जैसा हैं, इसलिए ये अजगर दूर से पहचान में नहीं आते। अजगरों को देखने दूर-दूर से लोग भड़ेसर गांव आ रहे हैं। पाण्डेय का यह अजगर प्रेम अपने आप में देश दुनिया के लोगों के लिए मिसाल है।अजगरों को मानते हैं ‘धनबोड़ा’
भड़ेसर गांव के लोग अजगरों को ‘धनबोड़ा’ यानी धन देने वाले मानते हैं। इसी के चलते अजगर ग्रामीणों के लिए पूजनीय हैं और यहां कोई आदमी अजगरों पर हमला नहीं करता। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अजगर शुभ होते हैं और उनके रहने से जिंदगी में धन प्राप्त होता है। यही वजह है कि यहां ग्रामीण हर विशेष अवसर और त्यौहार पर इन अजगरों से आर्शीवाद लेते हैं। दूसरे गांवों के लोग इन अजगरों को देखने यहां आते हैं, इसलिए भड़ेसर के लोग इन अजगरों को अब गांव की शान समझते हैं। जो भी आदमी बाहर से इन्हें देखने आता है उसे ग्रामीण पीपल के पेड़ के पास तक ले आते हैं।

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