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गोंचा पर्व के लिए रथ निर्माण का काम शुरू:20 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा बन रहा, 1 जुलाई को होगी नगर परिक्रमा
गोंचा महापर्व के लिए अब रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
बस्तर में 27 दिनों तक चलने वाले गोंचा महापर्व के लिए अब रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों के साथ रथ की नगर परिक्रमा करवाई जाएगी। जगदलपुर के सिरहासार भवन के सामने यह रथ 20 फीट लंबा और करीब 14 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, साल की लकड़ी से रथ का निर्माण का काम हो रहा है। बस्तर में गोंचा पर्व में रथ परिक्रमा करवाने की परंपरा महज 613 साल पुरानी है।
वहीं सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार गोंचा पर्व के लिए रथ बनाने की जिम्मेदारी बेड़ा उमरगांव के ग्रामीणों की होती है। हर साल इस गांव के ग्रामीण महज 7 से 8 दिनों में ही रथ निर्माण का काम पूरा कर लेते हैं। ऐसी लोक मान्यता है की जब देवी सुभद्रा श्री कृष्ण से द्वारिका भ्रमण की इच्छा जाहिर करतीं हैं, तब श्री कृष्ण और बलराम अलग-अलग रथ में बैठकर उन्हें द्वारिका का भ्रमण करवाते हैं। इन्हीं की स्मृति में हर साल ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
साल की लकड़ी से रथ बनाया जा रहा है।
इसी के तर्ज पर बस्तर में भी रथ यात्रा का आयोजन होता है, जिसे गोंचा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। बस्तर में गोंचा पर्व समिति के सदस्य ईश्वर खंबारी ने बताया कि, पर्व की सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं। 30 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान और 1 जुलाई को गोंचा रथ यात्रा पूजा विधान होगा। गोंचा पर्व विधान में नए रथ सहित तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र स्वामी के विग्रहों को रथारूढ़ कर परिक्रमा करवाई जाएगी।
इस दिन होंगे यह आयोजन
30 जून को नेतृत्व पूजा विधान होगा।
1 जुलाई को श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान।
4 जुलाई को अखंड रामायण का पाठ होगा।
5 जुलाई को हेरापंचमी पूजा विधान सम्पन्न किया जाएगा।
6 जुलाई को निःशुल्क सामूहिक उपनयन संस्कार और छप्पन भोग का आयोजन किया जाएगा।
9 जुलाई को बाहुड़ा गोंचा पूजा विधान का आयोजन होगा।
10 जुलाई को देवशयनी पूजा विधान होगा।
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