छत्तीसगढ़

कोयला कंपनी अबकि बार आक्रामक मूड मेंं है। उसने हड़ताल को अपनी तरफ से अवैध बता दिया है। जिस तरह से संकेत मिले है, उससे कर्मचारी तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर क्या करें।

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कोरबा। बड़ा सवाल यह है कि क्या कोल सेक्टर में 26 नवंबर को काम बंद हड़ताल होगी भी या नहीं। कामर्शियल माइनिंग और अन्य मुद्दों को लेकर चार ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का ऐलान किया है। कर्मियों को इस बात के लिए तैयार किया जा रहा है कि वे हड़ताल में शामिल हों। दूसरी ओर कोयला कंपनी अबकि बार आक्रामक मूड मेंं है। उसने हड़ताल को अपनी तरफ से अवैध बता दिया है। जिस तरह से संकेत मिले है, उससे कर्मचारी तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर क्या करें।

माना जा रहा है कि हड़ताल होने पर ना केवल कोयला कंपनी बल्कि कर्मियों को भी नुकसान होगा।
इससे पहले लाकडाउन के दौरान तीन दिन की हड़ताल कोल सेक्टर में हो चुकी है। हालांकि पहले दिन ही इसका ज्यादा असर रहा। अगले दो दिनों में कोयला खदानों में उत्पादन काफी कुछ हुआ और इससे एसईसीएल सहित अन्य कंपनियों को राहत मिली। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में एसईसीएल की खदाने 13 क्षेत्रों में संचालित हो रही है। इनके माध्यम से एसईसीएल 155 मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर रहा है। उत्पादन की 50 फीसदी मात्रा अकेले कोरबा जिले की खदानों से प्राप्त हो रही है। इसके माध्यम से हजारों करोड़ का खनिज राजस्व सरकार को प्राप्त हो रहा है। इधर एक बार फिर कोल सेक्टर में हड़ताल के ऐलान से सरकार के साथ-साथ कोल कंपनी के सामने मुश्किल है। पिछली हड़ताल के दौरान जो बिन्दु सामने लाये गए थे उससे सरकार पीछे नहीं हटी। उसने नीतिगत रूप से कोल ब्लाक आबंटित किए और कामर्शियल माइनिंग का रास्ता साफ किया। ट्रेड यूनियनों ने इसी मुद्दे को लेकर 26 नवंबर की हड़ताल का आह्वान किया है। भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध कोयला खदान मजदूर संघ को छोड़कर अन्य चार यूनियने इस हड़ताल को करने जा रही है। उन्होंने इस विषय को लेकर विभिन्न इकाइयों में कामगारों तक बात पहुंचायी है। पिछली बार की तुलना में इस बार स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मी ड्यूटी करना चाहेंगे

उन्हें किसी भी तरह नहीं रोका जाएगा। इससे पहले प्रबंधन ने अपने स्तर पर चर्चा की और हड़ताल को टालने का आह्वान किया। एसईसीएल के सीएमडी ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि हड़ताल अवैध है और इसका कोई औचित्य नहीं है। इसके अलावा और भी कई दावे किए जाते है। इसके चक्कर में कामगारों के सामने पशोपेश की स्थिति बनी हुई है कि 26 नवंबर को खदान में काम करें या हड़ताल का समर्थन करें। दूसरी ओर प्रबंधन को भी मालूम है कि एक दिन की हड़ताल करने का मतलब कई हजार करोड़ का नुकसान झेलना और उत्पादन के लक्ष्य से पीछे होना है। कुल मिलाकर हड़ताल की स्थिति में दोनों ही पक्ष घाटे में हो सकते हैं।
बिना काम के वेतन से भी आर्थिक नुकसान
सूत्रों का कहना है कि ना केवल एसईसीएल बल्कि कोल इंडिया की सभी कंपनियों में ऐसे कर्मियों की संख्या बहुत ज्यादा है जो काम तो नहीं करते लेकिन वेतन पूरे महीने का लेते हैं। ऐसे कर्मी ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारी बनने के साथ इस तरह की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं। जबकि एक वर्ग ऐसा है जो ड्यूटी करने से साफ बचते हुए एमटीके स्तर पर सांठगांठ कर लेता है। महीने में बनने वाले वेतन की राशि का एक हिस्सा एमटीके खाते में चला जाता है। इससे कर्मचारी को भी विशुद्ध फायदा होता है। प्रबंधन को भी इस बारे में भलीभांती जानकारी है। उसे मालूम है कि इस तरह के प्रयास भी कंपनी के लिए कुल मिलाकर आर्थिक नुकसान ही है।
नो वर्क नो पेमेंट
हड़ताल पर जाने वाले कर्मियों के मामले में पॉलिसी तय है। इस हड़ताल में जो भी भागीदारी करेंगे वे नो वर्क नो पेमेंट की केटेगरी में माने जाएंगे। यह पूरी तरह क्लीयर है। एसईसीएल कंपनी ने सर्व संबंधितों को इस बारे में अवगत करा दिया है।
-अनलेश सक्सेना,एचओडी पर्सनल एसईसीएल
खदान के मुहाने पर कामगारों ने की नारेबाजीकोरबा। कल होने वाले राष्ट्रव्यापी हड़ताल को देखते हुए खदान क्षेत्रों में गेट मीटिंग किए जा रहे है। आज ढेलवाडीह, सिंघाली व बगदेवा खदान क्षेत्र के मुहाने पर जाकर कामगारों ने नारेबाजी किया। इन कामगारों ने बताने का प्रयास किया कि कल होने वाले हड़ताल को हर हाल में सफल बनाना होगा। तभी केन्द्र सरकार पर दबाव बन सकेगा। ज्ञातव्य है कि चार श्रमिक संगठनों के द्वारा कोल इंडिया में कल एक दिन का राष्ट्रव्यापी हड़ताल किया जाएगा।
निजीकरण व श्रमनीति के विरोध में यह हड़ताल किया जा रहा है। ढेलवाडही, सिंघाली व बगदेवा में श्रमिक नेता धर्माराव, अशोक परिहार, अमित गुप्ता, समीम खान, एआर जीनस, गणेश प्रसाद, मनीष सिंह, सुरेन्द्र मिश्रा सहित कई नेताओं ने खदान के मुहाने पर पहुंचकर नारेबाजी किया। यह सभी यूनियन प्रतिनिधि सुराकछार व बांकीमोंगरा क्षेत्र में जाकर कामगारों से मुलाकात करते हुए उत्साह बढ़ाने का प्रयास किया। कामगारों को बताने का प्रयास किया गया कि खदानों को निजी हाथों में दिए जाने से कामगारों का व्यापक शोषण होगा। उन्हें कम वेतन में काम करने पड़ेंगे। सुविधाओं में भी कटौती कर दी जाएगी। इधर बीकेकेएमएस के अशोक सूर्यवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि उनका संगठन हड़ताल में शामिल नहीं है। उनके द्वारा भी दो बार हड़ताल किया गया था। श्रमनीति के खिलाफ सभी सीजीएम कार्यालयों में जाकर ज्ञापन सौंपा गया था। हड़ताल को सफल बनाने के लिए एरिया के दीपेश मिश्रा, गोपाल नारायण सिंह, अरविंद कुमार, ए विश्वास, सुरेन्द्र मिश्रा, जनकदास कुलदीप, मदन सिंह, अरूण झा, मनोहर, आबिद हुसैन, एके अंसारी, रमेश मिश्रा, विनोद सिंह, व्हीएन शुक्ला ईकाई क्षेत्रों का दौरा कर रहे है।

नियमितीकरण के मुद्दे पर अप्रेंटिश का प्रदर्शनोरबा। नियमित भर्ती की मांग को लेकर साउथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) मुख्यालय में अप्रेंटिसों ने विरोध प्रदर्शन किया। इनका कहना है कि नियमित कर्मियों के सेवानिवृत्त होने से एसईसीएल में मेनपावर लगातार कम हो रहा। लंबे अरसे से अप्रेंटिस की नियमित भर्ती भी नहीं की गई है। अप्रेंटिस करने के बाद सभी को नियमित किया जाना चाहिए।
कौशल विकास योजना के तहत सभी उपक्रम प्रबंधन वर्ष 2016 से अप्रेंटिस भर्ती कर प्रशिक्षण दे रहे हैं। एसईसीएल में भी पहले चरण में 617 व दूसरे चरण में 5500 से ज्यादा लोगों को भर्ती कर प्रशिक्षण दिया गया। समयावधि पूरी होने के बाद प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। प्रशिक्षण अवधि में प्रत्येक माह एक निश्चित राशि दी गई, पर किसी अप्रेंटिस को नियमित नहीं किया गया। अप्रेंटिसों का कहना है कि कंपनी में जब मेनपावर की कमी है, तो अप्रेंटिस करने के बाद सभी को नियमित किया जाना चाहिए। ताकि कंपनी का काम बाधित न हो और उन्हें नौकरी मिल सके, पर प्रबंधन किसी भी अप्रेंटिस को नियमित नहीं किया। इससे प्रशिक्षुओं में नाराजगी व्याप्त है और नियमितीकरण की मांग लेकर एसईसीएल मुख्यालय में धरना दिया। प्रबंधन को ज्ञापन सौंप कर जल्द मांग पूरी करने कहा, अन्यथा मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी दी है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि वर्ष 1985 से 1988 के तक ही अप्रेंटिस की भर्ती की गई और बाद में उन्हें नियमित किया गया था। उसे बाद अभी तक नई भर्ती नहीं की गई। आंदोलन में एसईसीएल कोरबा, गेवरा, दीपका व कुसमुंडा खदान के भी अप्रेंटिस शामिल हुए।
एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के नाम से सौंपे गए ज्ञापन में अप्रेंटिसों ने कहा है कि एसईसीएल में आईटीआई अप्रेंटिस छात्र बैच 2018-19 व 2019-20 में लगभग पांच हजार को प्रशिक्षित किया गया, पर किसी को भी नियमित नहीं किया। जिन छात्रों ने 240 दिन की ट्रेनिंग पूरी कर ली है, उन्हें नियमानुसार कोल माइंस एक्ट के तहत नियमितीकरण का प्रावधान है। इसके तहत अप्रेंटिसों को नियमित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही सुरक्षा प्रहरी, डंपर आपरेटर, असिस्टेंट फोरमेन, इलेक्ट्रिशियन व मेकेनिकल व अन्य स्वीकृत पद रिक्त हैं, उनका अधिकार एसईसीएल के अधीन है। 15 दिसंबर तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो पुन: एसईसीएल का घेराव किया

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