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क्या कश्मीर से AFSPA और सिविलियन इलाकों से होगी सेना की वापसी? अमित शाह ने दिया बड़ा संकेत..!

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क्या कश्मीर से AFSPA और सिविलियन इलाकों से होगी सेना की वापसी? अमित शाह ने दिया बड़ा संकेत..!
जम्मू-कश्मीर को लेकर गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कश्मीर के एक मीडिया ग्रुप को दिए इंटरव्यू में कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को वापस लेने पर विचार करेगी। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से पाकिस्तान की साजिशों से दूर रहने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान भूख और गरीबी की मार से घिरा हुआ है। वहां के लोग भी कश्मीर को स्वर्ग के रूप में देखते हैं। मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अगर कोई कश्मीर को बचा सकता है, तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं।
पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा- शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी और पूरी संसद दृढ़ता से इस बात मानते हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि वहां रहने वाले मुस्लिम और हिंदू दोनों ही भारतीय हैं। अमित शाह ने कहा कि पीओके में रहने वाले मुस्लिम और हिंदू भाई भारतीय हैं। जिस जमीन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है, वह भारत की है। इसे वापस पाना हर भारतीय और हर कश्मीरी का लक्ष्य है।
कश्मीर से हटाया जा सकता है AFSPA
अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को वापस लेने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है। शाह ने कहा कि हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को केवल जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि हम AFSPA हटाने के बारे में भी सोचेंगे। हम कश्मीर के युवाओं से बातचीत करेंगे, न कि उन संगठनों से जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं।
क्या है AFSPA?
इस कानून को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो देश के जिन इलाकों में तनाव रहता है या जो इलाके आतंक से प्रभावित होते हैं उन इलाकों में यह कानून लागू किया जाता है। इस कानून में आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था। इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू किया गया था। 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया। इसके बाद से पूर्वोत्तर से 70 फीसदी से अधिक इलाकों में यह कानून हटाया जा चुका है लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह अभी भी लागू है। इस कानून के तहत सुरक्षाबल किसी के भी घर में किसी भी समय बिना वॉरंट तलाशी ले सकते हैं। इतना ही नहीं अगर सुरक्षाबलों को लगता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं, तो वो उसे ध्वस्त भी कर सकते हैं। ऐसा करने पर सुरक्षाबलों के जवानों पर कोई कार्रवाई या मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता है जब तक केंद्र सरकार उसकी मंजूरी ना दे।

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