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कठपुतली कला का पर्याय नीलिमा मोइत्रा का आज दोपहर हुआ निधन

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कठपुतली नृत्य और कठपुतली कला को नई ऊंचाई पर ले जाने वाली बिलासपुर की नीलिमा मोइत्रा का शनिवार दोपहर करीब 12:00 बजे देहांत हो गया। वो 65 वर्ष की थीं। 9 अप्रैल 1956 को जन्मी निलीमा मोइत्रा पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी। आज दोपहर उन्होंने वेयरहाउस रोड स्थित अपने निवास पर परिजनों की उपस्थिति में अंतिम सांस ली। पति के निधन के बाद से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी । तार बाहर शासकीय स्कूल समेत कई स्कूलों में शासकीय शिक्षिका रहने वाली नीलिमा मोइत्रा की पहचान कठपुतली कला की वजह से थी। सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली नीलिमा मोइत्रा ने कठपुतली कला को नई ऊंचाई दी थी । उनके बनाए विशालकाय कठपुतली सभी सरकारी आयोजनों में अवश्य नजर आते थे। चाहे वह बिलासपुर का प्रसिद्ध व्यापार मेला हो, राज्य उत्सव या फिर कोई और अवसर। उनकी कठपुतलियों के बगैर कोई भी आयोजन संपूर्ण नहीं हो पाता था ।

अपना पूरा जीवन कठपुतलियों को समर्पित करने वाली नीलिमा मोइत्रा के निधन से बिलासपुर में कठपुतली कला अनाथ होती नजर आ रही है। उनकी पुत्रवधू किरण मोइत्रा पर इस विरासत को संभालने की जिम्मेदारी है। नीलिमा मोइत्रा के निधन पर सभी वर्गों द्वारा शोक व्यक्त किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कठपुतली कला मंच की संस्थापिका नीलिमा मोइत्रा के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। श्री बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ में कठपुतली कला की सूत्रधार रहीं श्रीमती नीलिमा मोइत्रा का निधन एक अध्याय के समाप्त होने जैसा है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। मुख्यमंत्री ने श्रीमती नीलिमा मोइत्रा के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है।

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