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भारतीय किसान संघ का,,, धरना प्रदर्शन ,,, लागत मूल्य की मांग,,, केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे ₹125 की अतिरिक्त राशि को जोड़कर किसानों को 2625 रुपए राज्य सरकार दे

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भारतीय किसान संघ का,,, धरना प्रदर्शन ,,, लागत मूल्य की मांग,,, केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे ₹125 की अतिरिक्त राशि को जोड़कर किसानों को 2625 रुपए राज्य सरकार दे

बिलासपुर— भारतीय किसान संघ ने अखिल भारतीय स्तर पर उत्पाद के लागत मूल्य भुगतान की मांग के लिए धरना प्रदर्शन किया। इसी क्रम में बिलासपुर स्थित नेहरू चौक में किसानों ने धरना प्रदर्शन के बाद धीरेन्द्र दुबे की अगुवाई में रैली निकालकर विरोध जताया। कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। किसान नेता और संगठन जिला अध्यक्ष दुबे ने बताया कि हमें एमएसपी नहीं बल्कि उत्पाद लागत मूल्य का भुगतान चाहिए।भारतीय किसान संघ बिलासपुर जिला ईकाई अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने बताया कि किसानों ने केन्द्र से तीन और राज्य सरकार से 11 सूत्रीय मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। बुधवार को देश के 650 जिलों में किसानों ने एक साथ अपनी मांग को राज्य और केन्द्र सरकार के सामने पेश किया है।
धीरेन्द्र ने कहा कि हमारी मांग है कि केन्द्र सरकार अपनी कृषि और वाणिज्यिक नीतियों में बदलाव करे। एमएसपी से किसानों का हित नहीं होने वाला है। भारत के किसानों को उत्पाद का लगात मूल्य भुगतान किया जाए। उन्होने कहा कि 1965 के बाद देश में किसान हित में तीन बिल को पास किया है। लेकिन इन बिल में काफी कुछ त्रुटियां भी है। इन त्रुटियों को जल्द से जल्द दूर किए जाने की जरूरत है। किसान संघ ने तीन त्रुटियों को लेकर धरना प्रदर्शन किया है। उन्होने कहा कि एमएसपी किसानों के लिए लाभकारी किसी भी सूरत में नहीं है। एमएसपी दरअसल केवल किसानों से छलावा है। इससे किसानों का लागत मूल्य भी नहीं मिलता है।किसान नेता ने बताया कि धीरेन्द्र ने बताया कि एमएसपी नीति से छत्तीसगढ़ के किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है। सरकार ने धान खरीदी का दर 2500 रूपए किया है। केन्द्र ने इस दौरान दो बार धान के समर्थन मूल्य में बृद्धि किया है। कुल 125 रूपए की वृद्धि का फायदा प्रदेश के किसानों को नहीं मिल रहा है। केवल 2500 हजार रूपए देकर सरकार पल्ला झाड़ रही है। यह प्रदेश के किसानों के साथ धोखा है। जबकि किसानों को 2625 रूपए मिलना चाहिए। हमारी मांग है कि केन्द्र सरकार लागत मूल्य भुगतान का कानून लाए। इसी में किसानों की भलाई है।
धीरेन्द्र दुबे ने टिकैत के आन्दोलन को बेअसर करने के आरोप को निराधार बताया। उन्होने कहा कि भारतीय किसान संघ गैर राजनैतिक संगठन है। किसी के इशारे से संगठन का संचालन नही होता है। संगठन के किसान खुद मुख्तार है। लेकिन टिकैत का आंदोलन दिशाहीन है। लोकंत्रात्रिक मूल्यों को कमजोर करने वाले आंदोलन से हमारा कोई नाता नहीं है। टिकैत के कार्यकर्ताओं ने 26 जनवरी को जो कुछ भी किया वह देश को शर्मशार करने वाला है। उनसे हमारा कोई लेना देना नहीं है किसानों ने बताया कि हमने धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार के सामने 11 प्रमुख मांगों को भी सामने रखा है। प्रदेश का किसान परेशान है। ठीक खेती बारी के समय किसान खाद के लिए दर दर भटक रहा है। सरकार के दलालों ने किसानों का जीना मुश्किल कर दिया है। 266 का यूरिया 600 रूपए में मिल रहा है। ब्लैक मार्केटिंग पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। या कहें कि सरकार के लोग खाद की ब्लैक मार्केटिंग कर रहे है। इसके अलावा भी किसान हित में हमने राज्य सरकार के सामने कई मांग को रखा है। इसमें बिजली आपूर्ति की समस्या भी शामिल है। सरकार बिजली बिल हॉफ का वाद कर दर को दो गुना बढ़ा दिया गया है। इस प्रकार की वादा खिलाफी को हरगिज बर्दास्त नहीं किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो उग्र सड़क पर उतर कर किसान उग्र आंदोलन भी करेंगे।

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